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22 April 2016

हरित क्रांति भी पानी की कमी की वजह : उमा भारती

त्रिभुवन तिवारी

मराठवाड़ा में सूखे की क्या वजह है। आपको क्या लगता है हमारे पास प्रबंधन की कमी है या पानी वास्तव में कम है?

सूखा तो अप्रत्याशित है। पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं बरसे तो सूखा होगा।

इसका समाधान क्या है?

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कुओं-बावड़ियों पर और काम किया जाए। पीने के पानी के लिए उनका इस्तेमाल बढ़े। शहर के आसपास के कुओं या तालाबों को ऐसा बनाया जाए कि शहरों से इनका सीधा संपर्क रहे। गांव के आसपास भी इसी तरह की व्यवस्था हो। जैसे सिंचाई बड़ी योजना है, ऐसे ही पेयजल के बारे में काम करने की जरूरत है। 

पेयजल और सिंचाई जल बड़ी समस्या है। बहुत ज्यादा बोरवेल से हमने भूजल का अति दोहन नहीं कर लिया है?

इसमें हरित क्रांति भी एक पहलू है। हम समय पर सावधान नहीं रहे। कहां कौन सी फसल उगानी है इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए था। पैदावार बढ़ाने का दबाव था। संतुलन नहीं रखा। यह ध्यान नहीं दिया कि पंजाब में कौन सी फसल होनी चाहिए और असम में कौन सी। असम में धान उगाते क्योंकि वहां भूजल स्तर ऊपर था। पंजाब में ऐसी फसल उगाई जाती जो वहां के लिए मुफीद होती। अब हालत यह है कि पंजाब-हरियाणा अस्सी फीसदी डार्क जोन में आ गए हैं। हमने पानी की सुध नहीं ली।

तो अब क्या?

अब चेतना नहीं आएगी तो कुछ नहीं बचेगा। भूजल, जमीनी और बारिश के पानी को बचाने के प्रयास होने चाहिए। नियम बनने चाहिए कि भूजल किस काम आएगा और तालाब का पानी किस काम में लिया जा सकेगा। हर जगह रेन वाटर हार्वेस्टिंग यानी बारिश के पानी को इकट्ठा करना जरूरी कर देना चाहिए। कोई एक कमरा भी बना रहा हो तो रेन वाटर हार्वेस्टिंग अनिवार्य हो।

कौन करेगा, क्या कानून बनाना होगा?

कानून बनाने की जरूरत नहीं है। जब आप मकान बनाने की अनुमति लेने जाएं तो रेन हार्वेस्टिंग के बिना मंजूरी न मिले। कानून तो बहुत सी बातों के लिए बने हैं। यह तो स्व और सामाजिक चेतना की बात है। समाज साथ न हो तो कानून काम नहीं कर पाता।

कम से कम आचमन के लिए शुद्ध जल मिल सके ऐसा कब तक होगा?

बहुत जल्दी होगा और जरूर होगा।

उज्जैन में सिंहस्थ इतना बड़ा आयोजन है और सूचना है कि क्षिप्रा में प्रदूषित जल मिलाया गया है?

मुझे लगता है कई बार हम अतिशयोक्तिपूर्ण बातें करते हैं। लोग रोज सिंहस्थ में नहा रहे हैं। किसी को कुछ नहीं हो रहा है। मेरी अपील है कि सिंहस्थ को शांति से होने दें।

जल के अलावा कश्मीर में भी संकट है। पीडीपी अतिवादी समर्थक है, आपकी पार्टी ने उनके साथ सरकार बनाई है। पहले कश्मीरी ब्राह्मणों ने कश्मीर छोड़ा और अब छात्र। इसका क्या समाधान है?

केंद्र और राज्य मिल कर इसका समाधान निकाल लेेंगे। पीडीपी और हमारा साथ अपने आप में ऐतिहासिक है। इससे साबित हुआ कि हम किसी को अछूत नहीं मानते और न हम किसी के लिए अछूत हैं।

लेकिन लोग सरकार को हिंदुओं की हितैषी मानते हैं। आपको नहीं लगता सरकार की छवि को नुकसान होगा।

अभी तक तो ऐसा कोई मसला नहीं है।

क्या मोदी हिंदू सम्राट शासक हैं?

हम मोदी को मोदी क्यों नहीं मान सकते।

वाजपेयी-आडवाणी-मोदी आपने तीनों के साथ काम किया है, तीनों की कार्यशैली में क्या समानता या अंतर पाती हैं?

किसी में कोई तुलना नहीं हो सकती।

नमामि गंगे के पहले चरण में देर हो रही है?

2016 में पहला परिणाम आ जाएगा धीरे-धीरे काम आगे बढ़ रहा है।

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TAGS: uma bharti, उमा भारती
OUTLOOK 22 April, 2016
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