परियोजनाओं में देरी से होती है किरकिरी
यात्रियों को अच्छे दिन की उम्मीद नजर नहीं आ रही है?
ऐसा नहीं है। अच्छा दिन आएगा, थोड़ा वक्त जरूर लग रहा है। सरकार ने कई ऐसे कदम उठाए हैं जिसमें यात्रियों की सुविधा को पहली प्राथमिकता में रखा गया है। जब सब सुविधाएं शुरू हो जाएगी तब खुद ही लोगों को लगने लगेगा कि अच्छे दिन आ गए।
रेलवे किस प्रकार का प्रयास कर रहा है कि यात्रियों को बेहतर सुविधा मुहैया हो सके?
टिकट जल्दी मिले, यात्रियों को सीटें आसानी से मिले, सफर समय से हो, स्टेशन स्वच्छ हो यह सब भारतीय रेल की प्राथमिकताएं हैं। स्वच्छ रेल, स्वच्छ भारत अभियान शुरू हो गया है। स्टेशनों पर बॉयोटायलेट बनाना, ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा को सरल बनाना, स्टेशनों पर वेडिंग मशीन लगाना यह सब यात्री सुविधाओं में शामिल है।
यात्रियों की संख्या बढ़ती जा रही है। ट्रेनें कम पड़ रही है। इसके लिए सरकार क्या कदम उठा रही है?
यह सही बात है कि यात्रियों की संख्या में बढ़ रही है। लेकिन भारतीय रेल का जो नेटवर्क है वह सीमित हैं। नेटवर्क बढ़ाने की दिशा में प्रयास चल रहा है। भारतीय रेल में वह निवेश नहीं हो पाया जो देश के हाइवे को बनाने के लिए हुआ। यात्रियों की सुविधा के लिए ट्रेनों में अतिरिक्त कोच लगाने का प्रावधान किया जा रहा है। जिन रूटों पर यात्रियों की भीड़ ज्यादा है उन रूटों को चिन्हित किया गया है। ट्रेन बढ़ा देने से समस्या का समाधान नहीं हो जाएगा। क्योंकि जो ट्रेने चल रही हैं उसका संचालन सुचारू रूप से हो इस दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं।
भारतीय रेल की प्राथमिकता क्या है?
नेटवर्क का विस्तार करना। गाडिय़ों की संख्या बढ़ गई, स्टेशनों पर यात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई लेकिन भारतीय रेल के नेटवर्क को विस्तार नहीं मिला। ऐसे में सरकार की पहली प्राथमिकता नेटवर्क बढ़ाना है। जिन रेललाइनों पर अधिकतम 100 रेलगाडिय़ां चलनी चाहिए, उन पर 186 गाडिय़ां चल रही हैं। इन रूटों पर रेललाइनों का दोहरीकरण और तिहरीकरण किया जाए। ताकि रेलगाडिय़ों का आवागमन सही तरीके से हो सके। नेटवर्क का विस्तार होने से रेल यातायात की समस्या से छुटकारा मिल सकता है।
इसलिए रेल बजट में न तो कोई रेल चलाई गई और न ही कोई बड़ी घोषणा हुई?
परियोजनाओं की घोषणा कर देना तो आसान है उस पर अमल करना मुश्किल। कई ऐसी परियोजनाएं जिनकी घोषणा 30-35 साल पहले हुई लेकिन यह परियोजनाएं कब पूरी होगी इसकी कोई बात नहीं करता। इसलिए हम उन योजनाओं को चिन्हित कर रहे हैं जो लंबित हैं। प्राथमिकता के आधार पर धन मुहैया कराकर योजनाओं को पूरा करना यह पहला लक्ष्य है।
ऐसी कितनी योजनाएं हैं?
302 शीर्ष वरियता की योजनाएं हैं जिन पर ध्यान दिया जा रहा है। इसमें कई पूरी हो गई है और कई पूरी होने के कगार पर हैं।
बुलेट ट्रेन के बारे में आपकी क्या राय है?
बुलेट ट्रेन चलाना सरकार की प्राथमिकता में है लेकिन उससे पहले कुछ रेलगाडिय़ों की स्पीड बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है ताकि 18-20 घंटे का सफर 12-13 घंटे में पूरा किया जा सके। अभी भी राजधानी जैसी गाडिय़ों की स्पीड बढ़ाई जा सकती है। लेकिन व्यस्त रूट के चलते स्पीड नहीं बढ़ पाती। सात हजार किलोमीटर रेलमार्ग के दोहरीकरण, तिहरीकरण किए जाने का प्रावधान किया गया है।
भारतीय रेल में निवेश को लेकर क्या योजना है?
एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश इस साल भारतीय रेल कर रही है। आने वाले पांच सालों में यह निवेश करीब 8.50 लाख करोड़ रुपये का होगा।
कहा यह जाता है कि भारतीय रेल घाटे में नहीं है। फिर भी धन जुटाने के लिए यात्री किराए, माल भाड़े में बढ़ोतरी हो रही है। यात्रियों को सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। इसके पीछे क्या कारण है?
सस्ती लोकप्रियता हासिल करने की बजाय देशहित के बारे में सोचना होगा। राजनीतिक कारणों से परियोजनाओं की स्वीकृत करना कहीं से भारतीय रेल के हित में नहीं है। जो लोग दावे करते रहे हैं कि भारतीय रेल घाटे में नहीं है वह केवल राजनीतिक कारणों से ऐसा करते हैं। लेकिन अब जो फैसले लिए जा रहे हैं उससे देश की जनता को जरूर फायदा होगा।