महागठबंधन में सीटों का बंटवारा मुद्दा नहीं होगा- जयंत चौधरी
बिहार की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी महागठबंधन के विचार की नींव कैसे पड़ी?
दरअसल एक साल पहले चौधरी अजित सिंह ने मेरठ में एक महारैली का आयोजन किया था, जिसमें नीतीश कुमार और शरद यादव जैसे बड़े नेता शामिल हुए थे, इसी रैली के दौरान यह विचार जन्मा और बाद में बिहार में महागठबंधन की सफलता ने इसे आधार दे दिया। एकता का मूल विचार स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह के विचारों को आगे बढ़ाने का है और हम उन्हीं की राजनीति को कोशिश करने में जुटे हैं।
उत्तर प्रदेश में महागठबंधन की बात कहां तक आगे बढ़ी है?
हाल ही में नीतीश कुमार, शरद यादव, केसी त्यागी, चौधरी अजित सिंह और स्वयं मेरी मौजूदगी में इस विषय पर एक महत्वपूर्ण बैठक हो चुकी है। अपना दल की कृष्णा पटेल की भी नीतीश जी के साथ दो-तीन बैठकें हो गई हैं। पीस पार्टी के डाॅक्टर अय्यूब से भी जद (यू) की इस मामले में गंभीर चर्चा हुई है। सभी दल प्रदेश में सामाजिक न्याय की लड़ाई को मजबूत करना चाहते हैं और जाति व संप्रदाय की राजनीति के खिलाफ काम करने के इच्छुक हैं। बातचीत सार्थक दिशा में आगे बढ़ रही है।
महागठबंधन में कांग्रेस को लाने के प्रयास कितने सफल हुए हैं?
राहुल जी से विभिन्न मुद्दों पर चर्चा होती रहती है, वह भी जाति व धर्म की राजनीति के विरोध में हैं और हम ऐसे सभी लोगों को एक मंच पर लाने के पक्षधर हैं मगर कांग्रेस बड़ी पार्टी है और वहां कोई भी फैसला होने में समय लगता है। हम कांग्रेस को लेकर आशान्वित हैं।
विधानसभा चुनाव आपको आगे रखकर लडऩे की चर्चाएं हैं, कैसा लग रहा है?
यदि ऐसा होता है तो यह बड़ी जिम्मेदारी होगी, मैं प्रदेश में स्वच्छ प्रशासन की इच्छा रखता हूं और यदि मुझे मौका मिला तो मैं निश्चय ही खुले मन से बिना दबावों के प्रदेश की बेहतरी के लिए काम करुंगा।
आपकी पार्टी हरित प्रदेश का मुद्दा उठाती रही है, महागठबंधन में इस मुद्दे का क्या स्थान होगा?
हमारी पार्टी छोटे प्रदेशों की पक्षधर है, सभी मानते हैं कि बेहतर प्रशासन के लिए छोटी इकाइयां जरूरी हैं, मगर आप भी जानते हैं कि इन्हें लागू करना इतना आसान नहीं है। हम अपनी बात लोगों को और बेहतर ढंग से समझाएंगे।
सीटों का बंटवारा किस आधार पर होगा?
यह बाद की बात है, पहले मुददों पर सहमति तो हो फिर कार्यकर्ताओं का मन टटोला जाए। मन एक हो जाएंगे तो सीटों का बंटवारा मुददा नहीं होगा।
महागठबंधन की तैयारियों को लेकर अगली बैठक कब हो रही है?
शीघ्र ही। हो सकता है मार्च में ही हो। समय कम है और काम बहुत करना है।