सौगत रॉय इंटरव्यू: “मोदी असर गैर-बंगालियों में ही”
बंगाल चुनावों में इस बार भारतीय जनता पार्टी एक बड़ी चुनौती बन कर ममता बनर्जी के सामने खड़ी हो गई है। तृणमूल कांग्रेस के कई नेता भाजपा का दामन थाम रहे हैं। ऐसे में, क्या ममता बनर्जी चुनावों की हैट्रिक लगा पाएंगी? तृणमूल किन मुद्दों के जरिए जनता का भरोसा फिर जीतने की कोशिश करेगी? इन सब पहलुओं पर तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत रॉय ने आउटलुक के प्रशांत श्रीवास्तव से बातचीत की। प्रमुख अंशः
भाजपा इस बार पूरे जोर-शोर से चुनावों में उतर रही है। अमित शाह का दावा है कि 200 सीटें जीतेंगे। आपके लिए कितनी बड़ी चुनौती है?
बहुत बड़ी चुनौती नहीं है। टीएमसी को स्पष्ट बहुमत मिलेगा। जहां तक अमित शाह के दावे की बात है तो कोई कुछ भी कह सकता है। उनके लिए 100 सीटें भी जीतना मुश्किल होगा।
लेकिन लोकसभा चुनावों में भाजपा ने उम्मीद से कहीं अच्छा प्रदर्शन किया था
यह बात सही है कि भाजपा के लिए उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन था। लेकिन अगर उन परिणामों के आधार पर विधानसभा सीटें देखे तो उस वक्त भी तृणमूल कांग्रेस को 150 से ज्यादा और भाजपा को 100 के आस-पास सीटें मिलती। हमने बहुत काम किया है। पार्टी कार्यकर्ताओं में नया जोश भरा है। गरीब तबके तक जो हमारी योजनाएं चल रही हैं, उससे समर्थन बढ़ा है। हम 143 से ज्यादा सीटें जीतेंगे।
माकपा और कांग्रेस एक बार फिर मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं, यह कितनी बड़ी चुनौती है?
देखिए, हमारा स्पष्ट मानना है कि हमें भाजपा से ही टक्कर मिलने वाली है। माकपा-कांग्रेस तो टक्कर में ही नहीं हैं।
दस साल में कौन-से काम किए हैं, जिससे आपको भरोसा है कि स्पष्ट बहुमत मिलेगा? भाजपा के ममता बनर्जी पर तुष्टीकरण और भ्रष्टाचार के आरोपों पर क्या कहना है?
भाजपा तो लोगों को लड़ाने का ही काम करती है। ममता सरकार ने पिछले 10 साल में लोगों को सांप्रदायिक हिंसा से दूर रखा है। कानून का राज है। लोगों को स्थिर सरकार दी है। हमारी योजनाएं हर तबके तक पहुंची हैं, जिसका लोगों को काफी लाभ मिल रहा है।
भाजपा के पास मजबूत संगठन है, वह काफी आक्रामक और आधुनिक तरीके से चुनाव लड़ती है। ऐसे में आप उससे कैसे टक्कर लेंगे?
हम यह सब अच्छी तरह से जानते हैं, इसके पीछे पैसा है। हमारे पास नहीं है। लेकिन हम अपने संगठन के दम पर चुनाव लड़ेंगे। भाजपा मशीनरी का दुरुपयोग करती है। हम लोगों के लिए काम कर रहे हैं। यही भरोसा हमें जिताएगा।
भाजपा का आरोप है कि टीएमसी हिंसा का रास्ता अपना रही हैं, उसके कार्यकर्ताओं को मारा जा रहा है?
यह आरोप सही नहीं है। कुछ घटनाएं घटी हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि ममता बनर्जी हिंसा का रास्ता अपनाती हैं। भाजपा चीजों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करती है। भाजपा अध्यक्ष जे.पी.नड्डा पर हुए हमले को ही देखिए, कैसे पेश किया गया। असल में वह तो बहुत स्थानीय स्तर की छोटी-सी घटना थी। उसमें थोड़ी-बहुत कुछ लोगों को चोट आई थी और गाड़ी का शीशा टूटा था।
राज्यपाल के रवैये को कैसे देखते हैं? ऐसा लगता है कि चुनाव से पहले राष्ट्रपति शासन भी लग सकता है?
उनका रवैया बहुत खराब है, वे भाजपा कार्यकर्ता जैसा व्यवहार करते हैं। जहां तक राष्ट्रपति शासन की बात है तो कानून के मुताबिक ऐसा करना मुश्किल है। सरकार बहुमत में है और पूरी मजबूती से काम कर रही है। फिर किस आधार पर ऐसा करेंगे। हम इस राज्यपाल के खिलाफ हैं और खुलकर उनका विरोध करते हैं।
तृणमूल कांग्रेस से शुभेंदु अधिकारी जैसे जनाधार वाले नेताओं ने भाजपा का दामन थामा है। असंतोष से कैसे निपटेंगे?
देखिए, थोड़ा-बहुत असंतोष हो सकता है। वह भी स्थानीय स्तर पर है लेकिन पार्टी में बड़े पैमाने पर कोई असंतोष नहीं है। शुभेंदु के साथ 6 लोग गए थे। 4-5 और भी जा सकते हैं। इससे ज्यादा कुछ नहीं होगा। चुनावों से पहले ऐसा होता आया है।
प्रशांत किशोर को लेकर भी पार्टी में असंतोष है, आपका क्या कहना है?
प्रशांत किशोऱ अच्छा काम कर रहे हैं। वे पार्टी को अच्छी सलाह दे रहे हैं, चुनाव के लिए बेहतर रणनीति भी बना रहे हैं। जहां तक उनके खिलाफ असंतोष की बात है तो वह केवल उसी को होगा, जिसको डर है कि उसकी रिपोर्ट अच्छी नहीं है। ऐसे में उसका टिकट कट जाएगा।
ममता बनर्जी भाजपा पर यह आरोप लगाती रही हैं कि वह बाहरी लोगों के जरिए चुनाव लड़ रही है...
इसमें गलत क्या है। भाजपा का पूरा अभियान देखिए उसने बाहरी लोगों की फौज खड़ी कर दी है। रोज एक केंद्रीय मंत्री आकर यहां भाषण देते हैं। ये ऐसे लोग हैं, जिनका बंगाल से कोई ताल्लुक नहीं है।
चर्चा है कि सौरभ गांगुली भाजपा का दामन थाम सकते हैं, इस पर आपका क्या कहना है?
हम नहीं चाहते हैं कि सौरभ राजनीति में आएं। अभी तक सौरभ ने ऐसी कोई इच्छा नहीं जताई है। यह सब भाजपा की ओर से फैलाया जा रहा है। उनकी अपनी छवि है। उन्हें राजनीति में नहीं आना चाहिए।
इन चुनावों में मोदी फैक्टर कितना असर डाल सकता है?
थोड़ा-बहुत मोदी फैक्टर काम करेगा। वह भी गैर-बंगालियों में ही दिखेगा। जहां तक बंगालियों के ऊपर असर की बात है तो वहां कोई असर नहीं है। इसमें दो राय नहीं है की हर जगह ममता भारी पड़ेंगी।