'अपराध के मामलों में किसी को नहीं बख्शेंगे’
उत्तर प्रदेश में 2017 चुनावी साल होगा। इसमें मूल मुद्दा क्या रहेगा?
अमेरिका ने सडक़ें बनाईं, सड़कों ने अमेरिका को बनाया। हमने पूरे उत्तर प्रदेश की तस्वीर बदल दी है। समग्र विकास पहले दिन से मूल उद्देश्य रहा है। हमने अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम बनाया लखनऊ में, मेट्रो बना रहे हैं, गोमती रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट, लखनऊ-आगरा हाईवे आदि विकास के काफी काम हुए हैं। हम विकास का मुद्दा लेकर जनता के बीच जाएंगे।
आजकल हर तरफ पर्यावरण और नदियों की स्थिति पर चिंता जताई जा रही है। उत्तर प्रदेश में क्या होना चाहिए? आप क्या कर रहे हैं?
हमें प्रण लेना होगा कि हम अपनी आने वाली पीढिय़ों को स्वच्छ और निर्मल 'गंगा’ एवं अन्य नदियां विरासत में दे जाएं। हमें तो बचपन से लेकर आज तक दिन-प्रतिदिन गंगा व अन्य नदियों की हालत खराब होती ही दिख रही है। हमें स्वच्छ व निर्मल नदियां न मिल पाईं तो क्या कम से कम हम अपने बच्चों को साफ नदियां देने का हरसंभव प्रयास करें। नदियों को साफ करने का एक ही फंडा है- गंदगी और गंदा पानी नदियों में जाने से रोकना होगा। हमने केंद्र को भी यही सुझाव दिया है। अब तक नदियों का ढंग से इस्तेमाल हुआ ही नहीं है। वाराणसी में वरुणा के किनारे बने कई निजी व व्यावसायिक भवनों को नोटिस दिया गया है। हजारों की संख्या में नोटिस दिए गए हैं। वरुणा कॉरिडोर बनाकर हम रोजगार के अवसर तो बढ़ाएंगे ही साथ ही एक अत्यंत सुंदर रिवर फ्रंट तैयार होगा, जिससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। इसी तरह गोमती पर भी काम हो रहा है।
लखनऊ को कैसे बदल रहे हैं? यहां की योजनाएं किस मायने में बाकी सौंदर्यीकरण योजनाओं से अलग हैं?
राजधानी लखनऊ में 'गोमती रिवर फ्रंट’ अनूठा प्रोजेक्ट है। यह किसी नदी के किनारे सबसे तेजी से बनाया गया 'डायफ्राम’ है। देश में बिकने वाली सबसे महंगी आइसक्रीम्स में से एक 'मैग्नम’ सबसे ज्यादा इसी गोमती नदी के किनारे लगे अस्थायी स्टाल पर बिक रही है। सैकड़ों लोगों को रोजगार केवल इसी एक जगह से मिल गया है। मेट्रो रेल प्रोजेक्ट पर भी तेजी से काम हो रहा है। वाराणसी में वरुणा के किनारे बन रहा 'वरुणा कॉरीडोर’ जल्द तैयार हो जाएगा। वृंदावन के लोगों की लगातार आ रही मांग के बाद हमने वहां भी ऐसा कॉरीडोर बनाने की प्रक्रिया शुरू की है। हम लक्ष्य से आगे काम कर रहे हैं।
आगरा-लखनऊ हाईवे की क्या स्थिति है?
आगरा-लखनऊ हाईवे हमारे ड्रीम प्रोजक्ट्स में से एक है। यह केंद्र सरकार की मदद के बगैर बनाया जा रहा है। यह अब तक का सबसे बड़ा विश्वस्तरीय हाई-वे है और हमारे सभी प्रोजेक्ट्स निर्धारित समय से पहले पूरे हो जाएंगे। हमने अपनी सरकार बनने के पहले और बाद में जितने भी वादे किए थे वह तो कब के पूरे हो गए, अब उससे आगे के कामों को हम अमलीजामा पहना रहे हैं।
पूर्वांचल के लिए क्या सोच रहे हैं?
पूर्वांचल में एक नया एक्सप्रेस-वे बनाने की प्रक्रिया तेजी से चल रही है। ग्रीन फील्ड को विकसित करके बनाया जाने वाला विश्वस्तरीय हाई-वे बलिया से लखनऊ को जोड़ेगा।
बुंदेलखंड के सूखे के हालात की काफी चर्चा है। आपने 'वाटर ट्रेन’ भी लौटा दी।
बुंदेलखंड की समस्या को लेकर हमने वहां लगातार काम किया है। हमसे पहले की सरकार ने गरीबों की सुध नहीं ली थी। वहां लोगों का पूरा विश्वास आज की सरकार पर है। आप बताइए हमने 'वाटर ट्रेन’ लौटा दी और विपक्ष की तमाम कोशिशों के बावजूद यह मुद्दा नहीं बन पाया क्योंकि वहां के लोगों का पूरा विश्वास हम पर है। 'वाटर ट्रेन’ केंद्र सरकार ने भेजी तो थी, लेकिन वह अव्यावहारिक थी। सुदूर गांवों में सैकड़ों किलोमीटर चलकर कोई भी गरीब कैसे पानी लेने आएगा? वहां हर गांवों तक पहुंचने वाले टैंकर काम आएंगे न कि 'वाटर ट्रेन’। दिल्ली के कार्यालयों में बैठकर बुंदेलखंड के रास्तों का अंदाजा लगाना मुश्किल है।
बुंदेलखंड में सरकार क्या कर रही है?
हम बुंदेलखंड में अन्न बांटने की मुहिम चला रहे हैं। मैंने स्वयं कई जगह जाकर गरीब लोगों के बीच खाद्य सामग्री वितरित की है। एक व्यक्ति से मैंने पूछा, 'भाई यह बताओ कि सामग्री के साथ जो घी आपको सरकार दे रही है यह कितने दिन तक चलेगा?’ वह बोला, 'तीन महीने।’ मैं उसका जवाब सुनकर हैरान था। इतने बड़े परिवार में एक किलो घी तीन महीने तक चलाने का विश्वास रखने वाले व्यक्ति की बात सुनकर उस इलाके की गरीबी का असर साफ दिख रहा था। मैंने उसे बताया कि सरकार आप सबको हर महीने अन्न और अन्य सामग्री के साथ एक किलो घी देगी, तो उसकी खुशी देखने लायक थी।
वहां जल संकट दूर करने को क्या कर रहे हैं?
हमने बुंदेलखंड में सूखे की समस्या से निबटने के लिए बारिश से पहले सारे तालाब खुदवाने के निर्देश दे दिए हैं। चरखारी को मैंने अपना 'पायलेट प्रोजक्ट’ बनाया है, क्योंकि सबसे ज्यादा तालाब वहीं हैं। हमने एक और काम शुरू किया है, जिसे वहां के लोगों ने बेहद पसंद किया है। जिस किसी के भी पास जेसीबी (खुदाई की मशीन) है, उसे बोला कि आप किसी ठेकेदार का इंतजार मत करो, अपनी जेसीबी से लोगों के लिए तालाब खोदो और सरकार से पैसे ले जाओ। अब वहां तालाबों की खुदाई खूब हो रही है।
आगरा से इटावा की लॉयन सफारी तक साइकिल हाईवे कितनी प्रासंगिक है?
आगरा से लेकर इटावा की लॉयन सफारी तक सरकार साइकिल हाईवे बनवा रही है। जर्मनी में मैंने ऐसे कई हाई-वे देखे थे। अन्य लोग पर्यावरण और स्वास्थ्य को सुधारने के लिए अब प्रयास शुरू कर रहे हैं, हमने तो चार साल पहले ही काम शुरू कर दिया था। कई काम हमारे ऐसे हैं, जो नजीर बन रहे हैं। जनेश्वर मिश्र पार्क में हमने चुन-चुनकर दुर्लभ पौधे लगवाए और हजारों लोग प्रतिदिन इसका लाभ ले रहे हैं। हमारा उद्देश्य है कि लोग फिट रहें। फिट नहीं रहेंगे तो काम कैसे करेंगे?
कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर कई बार उत्तर प्रदेश नकारात्मक कारणों से चर्चा में रहता है।
कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर हमने 'जीरो-टॉलरेंस’ की नीति बना रखी है। हमने अपने मंत्रियों और विधायकों तक को नहीं छोड़ा है। पुलिस के अफसरों को निर्देश है कि किसी के खिलाफ शिकायत हो, कार्रवाई करने में न झिझकें। हमने महिला हेल्पलाइन 1090 शुरू की। इसे हमने पावरलाइन नाम दिया है। इसके तहत हमने पांच लाख शिकायतों का निपटारा किया है। स्कूल-कॉलेजों में हम 'शक्ति परियां ’ कॉन्सेप्ट ला रहे हैं। इन बालिकाओं को पुलिस अधिकारियों जैसे अधिकार होंगे, जो किसी आपराधिक कारगुजारी का मुकाबला करेंगी। कई मामलों पर हमारी पुलिस की जांच पर सीबीआई ने मुहर लगाई।
कानून व्यवस्था को मैं खुद मॉनीटर कर रहा हूं। डायल 100 की सुविधा हम दो अक्टूूबर को लांच कर रहे है, इसके तहत हम पूरे प्रदेश में हो रही छोटी-बड़ी घटनाओं पर एक विश्वस्तरीय - अत्याधुनिक कंट्रोल रूम से नजर रखेंगे और सूचना मिलने के कुछ ही मिनटों में हमारी पुलिस घटनास्थल पर होगी। इसके लिए हमने 100 नंबर को पांच हजार नई अत्याधुनिक गाडिय़ां और कई हजार पुलिस फोर्स मुहैया कराई है। सोच सकारात्मक और बड़ी हो तो कुछ भी संभव है।
बिजली उपलब्ध कराने को क्या कर रहे हैं?
अक्टूबर, 2016 से ग्रामीण क्षेत्रों में 14 से 16 घंटे और शहरी क्षेत्रों में 22 से 24 घंटे बिजली उपलब्ध करा देंगे। निजी क्षेत्र की बारा, ललितपुर व श्रीनगर परियोजनाओं से चार हजार मेगावाट और राज्य सेक्टर की अनपरा डी परियोजना से एक हजार मेगावाट बिजली मिलने की उम्मीद है।
विपक्ष की आलोचनाओं पर क्या कहेंगे?
(हंसते हुए...) उनके पास कोई काम नहीं है, और हमारे पास बहुत काम है। इसलिए मुझे काम करने दीजिए और 'टीका- टिप्पणी’ उनसे लेते रहिए। मैं और मेरी सरकार अपने कार्यकाल के आखिरी दिन तक काम करते रहेंगे, चुनावी साल होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। हमारा किया काम वर्षों और दशकों तक नहीं, बल्कि पीढिय़ों तक याद किया जाएगा। प्रदेश में हम ही जीतकर आएंगे। हमारी सरकार की साख जनता के बीच एक काम करने वाली सरकार के रूप में बन चुकी है।