Advertisement
09 August 2019

जहरीले पानी, हवा से होने वाली बीमारियों का पता लगाएगा एम्स दिल्ली का नया सेंटर

आज समूचा पर्यावरण यानी हवा, पानी और भोजन में कई कारणों से बढ़ते जहरीले तत्व गंभीर बीमारियां पैदा कर रहे हैं। इन बीमारियों की जल्दी पहचान करने और उनके कारकों पर अध्ययन करने के लिए दिल्ली के ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) में देश का पहला क्लीनिकल इकोटॉक्सिकोलॉजी फैसेलिटी विकसित की गई है। यह जानकारी एम्स ने एक बयान जारी करके दी है।

जहरीले पर्यावरण से गरीबों पर खतरा ज्यादा

एम्स के प्लूमोनरी मेडिसिन एंड स्लीप डिसऑर्डर के प्रोफेसर एवं डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने इस सेंटर का शुक्रवार को उद्घाटन किया। लेंसेंट कमीशन ऑन पॉल्यूशन एंड हेल्थ के अनुसार प्रदूषण के कारण पूरी दुनिया में जनस्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा पैदा हुआ है। पानी, हवा और मिट्टी में हानिकारक तत्व होने के कारण हर साल दुनिया भर में करीब 90 लाख लोगों की मौत हो जाती है। इनमें से 92 फीसदी मौतें भारत और चीन सहित निम्न और मध्यम आय वर्ग के देशों में होती हैं। प्रदूषित पर्यावरण से सबसे ज्यादा खतरा बच्चों को रहता है। अगर प्रभावित बच्चों की मौत नहीं होती है तो वे शारीरिक या मानसिक रूप से अपंग हो जाते हैं।  

Advertisement

अनजान बीमारियों का जनक है प्रदूषण

इकोटॉक्सिकोलॉजी में दरअसल दो भिन्न क्षेत्रों पर्यावरण और जहरीले तत्वों के संयुक्त रूप से रसायनिक अथवा जैविक प्रभाव का अध्ययन होता है। इस सेंटर में मरीजों पर पर्यावरण के विभिन्न जहरीले तत्वों के असर, बीमारी की पड़ताल आदि के बारे में अध्ययन किया जाएगा। आमतौर पर गैर संचारी बीमारियों का कारण पता नहीं चल पाता है। माना जाता है कि वे पर्यावरण के जहरीले तत्वों, हैवी मेटल्स के कारण होती हैं।

ये बीमारियां होने का खतरा

देश के कुछ राज्यों में आर्सेनिक, मरकरी, कैडमियन, फ्लोराइड, यूरेनियम, आयरन और अन्य जहरीले तत्व भूमिगत पानी के कारण होते हैं। इन तत्वों के लगातार संपर्क में रहने किडनी की गंभीर बीमारी, कैंसर, हृदय की बीमारी, हायपरटेंशन, जन्मजात बीमारियां, अर्थराइटिस, मिर्गी, ऑटिज्म और पार्किंसन का खतरा बढ़ जाता है। पिछले कुछ वर्षों में इन बीमारियों के मामले तेजी से बढ़े हैं। इनका कोई कारण पता नहीं चला है। लेकिन माना जाता है कि इनके पीछे पर्यावरण के जहरीले तत्व हैं।

मरीजों को मिलेगी बेहतर सुविधा

प्रो. गुलेरिया ने कहा कि इस सेंटर के खुलने से मरीजों को बेहतर सुविधा मिल सकेगी। समय के साथ पर्यावरण में बदलाव आया है और पानी, हवा और मिट्टी में मानवीय गतिविधियों से प्रदूषण का स्तर बढ़ा है और इसका स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है। इस वजह से इसके अध्ययन के लिए इस तरह के सेंटर की सख्त जरूरत थी।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: Ecotoxicology, AIIMS, environment, toxins, cancer
OUTLOOK 09 August, 2019
Advertisement