Advertisement
16 February 2020

कोरोना वायरस का प्रकोप, कितने महफूज हम

रहस्यमय नॉवेल कोरोना वायरस रोज अखबारों की सुर्खियां बन रहा है। चीन के हुबे प्रांत की राजधानी वूहान से निकला यह वायरस भारत सहित अब तक 25 देशों में पहुंच चुका है। वायरस तो इर्द-गिर्द सैंकड़ों होते हैं और हर दिन उनके हमले होते रहते हैं, लेकिन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता इन सबसे निपटने में कामयाब होती है। लेकिन अचानक जब कोई नया रोगकारी वायरस पैदा हो जाता है तो इससे निपटना स्वस्थ शरीर के लिए भी मुश्किल होता है। वैसे, नए वायरसों से डरने के पीछे की वजह इसका खौफनाक इतिहास है। वायरस के खतरों के सिलसिले में अक्सर 1918 में फैले स्पैनिश फ्लू को याद किया जाता है, जिससे विश्व की एक-तिहाई आबादी, लगभग 50 करोड़ लोग, संक्रमित हो गए थे और 50 लाख लोगों की जान चली गई थी। आज एंटी-वायरल दवाओं, टीकों और अन्य चिकित्सीय प्रगति के चलते वैसा कुछ नहीं हो सकता। फिर भी जब कोई नया वायरस आता है तो स्वास्थ्य विशेषज्ञ सतर्क हो जाते हैं। नए कोरोना वायरस को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञों में इसलिए चिंता है, क्योंकि यह कोरोना प्रजाति के अंदर विकसित हुआ एकदम नया वायरस है, जिसकी न अभी तक कोई परीक्षित दवा है और न कोई टीका।

इसीलिए 30 जनवरी को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस के खतरे से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर “जनस्वास्थ्य आपातकाल” की घोषणा कर दी। इसके पीछे तर्क यह है कि चीन तो अपनी विशाल क्षमता के बलबूते इस संक्रमण से निपट लेगा, लेकिन उन देशों में जहां स्वास्थ्य सुविधाएं सीमित हैं, वहां यह भारी कहर ढा देगा। लेकिन गरीब देशों की तुलना में विकसित देशों ने तेजी से कदम उठाए। अमेरिका सहित कोई आधा दर्जन देशों ने तो चीन यात्रा पर रोक लगा दी। मंगोलिया और रूस ने चीन से लगती भू-सीमा सील कर दी। हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ऐसी कोई सिफारिश भी नहीं की थी। कई व्यापारिक घरानों ने तो चीन से व्यापार पर अल्पकालिक रोक लगा दी।

भारत भी उन देशों में शामिल है, जिसने तुरत-फुरत कार्रवाई करके विशेष विमान के जरिए वूहान से भारतीयों को वापस लाने की व्यवस्था की। दो उड़ानों से 654 लोगों को वापस लाया गया। ये सब विवरण पढ़ कर भारत में भी इसके प्रति दहशत का माहौल बन रहा है, हालांकि अभी तक इसका संक्रमण केवल केरल में देखने को मिला है। केरल में तीन फरवरी तक तीन लोग इस वायरस से संक्रमित पाए जा चुके हैं। इसके बाद केरल सरकार ने भी “राज्यस्तरीय आपदा” की घोषणा कर दी। केरल सरकार ने दावा किया है कि उन सभी 2,239 लोगों को जो हाल ही में चीन से लौट कर आए हैं, निगरानी में रखा गया है। इनमें ज्यादातर लोगों को उनके घरों में ही परिवार के अन्य लोगों से अलग रखा गया है और 84 लोगों को अस्पतालों में आइसोलेट करके रखा गया है। केरल की स्वास्थ्य मंत्री के.के. शैलजा के अनुसार, सबसे बड़ी चुनौती उन सभी लोगों पर नजर रखने की है, जो हाल में चीन से लौटे लोगों के संपर्क में आए हैं।

Advertisement

 

दिल्ली में अधिकारी बताते हैं कि देश के 21 हवाई अड्डों पर चीन, हांगकांग, सिंगापुर और थाईलैंड से आने वाले सभी यात्रियों की जांच की गई। इन देशों से पिछले हफ्ते 593 उड़ानों से आए 72,353 यात्रियों की स्क्रीनिंग की गई, जिनमें 2,815 लोगों पर विशेष रूप से नज़र रखी जा रही है। विशेष उड़ानों से 600 से ऊपर भारतीयों और मालदीव के सात नागरिकों को वापस लाया गया है। अनेक लोगों को आइटीबीपी चावला संगरोध केंद्र पर भेज दिया गया। एक ऐसा ही संगरोध केंद्र हरियाणा के मानेसर में बनाया गया है।

लेकिन संक्रमित लोगों की संख्या इतनी कम होते हुए भी जिस तरह आतंक का माहौल बना हुआ है, वह कई सवाल पैदा करता है। पहला यह कि क्या यह वायरस  सचमुच बहुत अधिक कहर ढाएगा। इस बारे में चिकित्सकों का कहना है कि इस नए वायरस से संक्रमित व्यक्ति को जुकाम, बलगम, बुखार और सांस लेने में तकलीफ के लक्षण उभरते हैं, जैसा आम तौर पर होने वाले फ्लू में होते हैं। फ्लू का शिकार व्यक्ति तो कुछ दिन में सिर्फ बुखार उतारने वाली और खांसी की दवाओं से ठीक हो जाता है; लेकिन यदि संक्रमण ‘नए कोरोना वायरस’ का होगा तो हालत जानलेवा न्यूमोनिया में तब्दील हो सकती है और ऐसे मरीजों को ग्लूकोज और ऑक्सीजन के सहारे ताकत दिया जाना जरूरी हो जाता है, फिर भी कमजोर और बूढ़े मरीजों की जान को खतरा बना रहता है।

चार फरवरी तक के आंकड़ों के अनुसार इस वायरस से अब तक विश्व भर में 427 मौतें हो चुकी हैं। एक को छोड़कर ये सभी मौतें चीन में हुई हैं। उनमें भी साठ प्रतिशत अकेले हुबे प्रांत में, जिसकी राजधानी वूहान से इस संक्रमण की शुरुआत हुई थी। अभी तक के आंकड़ों के अनुसार 17,205 लोग इससे संक्रमित पाए जा चुके हैं। चीन में शुरुआती दौर में इस संक्रमण को स्थानीय स्तर पर छिपाने की कोशिश की गई थी, लेकिन एक बार जब विषाणुविदों ने पाया कि यह नए किस्म का वायरस है, तो चेतावनी जारी की गई और इसका फैलाव रोकने के लिए कदम उठाए गए। वूहान में फटाफट दो नए अस्पताल खोले गए, जिनमें सेना के डाक्टरों को तैनात किया गया।

ऐसे आकस्मिक कदमों की खबरों से डर और आतंक फैलना स्वाभाविक है। अभी तक के आंकड़े बताते हैं कि इस वायरस से संक्रमित मरीजों में मृत्यु-दर 2 से 3 प्रतिशत है, जबकि 2002-03 में चीन से ही दुनिया भर में फैले एक अन्य किस्म के कोरोना वायरस ‘सार्स’ की मृत्यु दर 10 प्रतिशत थी। इससे लगभग 800 लोग मारे गए थे। नया कोरोना वायरस तुलनात्मक दृष्टि से कम घातक है, पर जन-स्वास्थ्य अधिकारी इसे इसलिए खतरनाक मान रहे हैं, क्योंकि इससे संक्रमित व्यक्ति, संपर्क में आए दूसरे व्यक्ति को कहीं ज्यादा आसानी से संक्रमित कर सकता है।

वायरसों में कोरोना एक प्रजाति का नाम है जिसके कुछ सदस्य छिटपुट जुकाम आदि ही करते हैं, पर कुछ श्वसन प्रणाली पर गहरा हमला करते हैं तो कुछ आंतों पर भी। नया कोरोना वायरस कहां से आया वैज्ञानिक इसकी पड़ताल में लगे हैं। वैज्ञानिक इस बात पर तो एकमत हैं कि यह वायरस जानवर से निकल कर इंसान में पहुंचा है। शुरुआती अनुसंधान में यह संदेह पैदा हुआ कि सभवतः यह वायरस सांप से निकला है। लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हो पाई। इसके जीनोम के अब तक जो विश्लेषण हुए हैं, उनसे पता चलता है कि यह सार्स-किस्म का ही कोरोना वायरस है जो चमगादड़ में पाया जाता है। अनुमान है कि यह वायरस चमगादड़ से सांप में और सांप से इंसानों में आया होगा। इस कयास का आधार यह है कि शुरुआती संक्रमित व्यक्ति वे थे, जो वूहान के सी-फूड बाजार गए थे, जहां मीट के लिए सांप सहित तमाम किस्म के जिंदा जानवर बिकते हैं। 

सबसे अहम सवाल यह है कि आखिर इस आतंक के चलते आम आदमी क्या करे। अभी कोई प्रतिरोधक टीका है नहीं। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के तहत कार्यरत विविध चिकित्सा अनुसंधान परिषदों ने होम्योपैथी, आयुर्वेदिक और यूनानी पद्धति के आधार पर कुछेक रोग-प्रतिरोधक दवाओं की सूची जारी की है। मसलन, होम्योपैथिक दवा ‘आर्सेनिक अलबम 30’ सुझाई गई है। पनिया का काढ़ा, अगस्त्य हरितकी, शेषमणि वटी त्रिकटु चूर्ण आदि आयुर्वेदिक औषधियां भी सुझाई गई हैं। यूनानी चिकित्सा पद्धति के शरबत उन्नाब, तिर्यक नजला, क़ुरस ए सुआल आदि जैसे अनेक नुस्खे भी सुझाए गए हैं। पर जो भी आयुर्वेदिक और यूनानी दवाएं सुझाई गई हैं, उन्हें हकीम या वैद्य के परामर्श से ही लेने की हिदायत दी गई है। इसके अलावा संक्रमण की रोकथाम के लिए सामान्य उपाय भी सुझाए गए हैं। लोग व्यक्तिगत स्वच्छता पर विशेष ध्यान दें। बीमार व्यक्ति की खांसी, छींक आदि से दूर रहें। बीमार लोग भी खांसी और छींक से संक्रमित हुए अपने हाथों को साबुन और पानी से धोते रहें। अक्सर छुई जाने वाली वस्तुओं और सतहों को साफ करते रहें। बीमार होने पर घर में ही रहें और सार्वनजिक स्थलों पर न जाएं। जाना भी पड़े तो एन-95 मास्क पहन कर जाएं।

बहरहाल, संक्रमण से बचाव का मूलमंत्र है शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता दुरुस्त रखी जाए, जिसके लिए हल्का और पोषक भोजन और पर्याप्त विश्राम जरूरी होता है। अभी तक के आंकड़ों से पाया गया है कि यह वायरस युवा और स्वस्थ लोगों को संक्रमित नहीं कर रहा। फिर भी अगर किसी को कोरोना वायरस के संक्रमण का जरा भी संदेह हो, तो नजदीकी अस्पताल से संपर्क जरूर किया जाए।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: Corona, virus, outbreak, how, safe, Corona, virus, outbreak, how, safe
OUTLOOK 16 February, 2020
Advertisement