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18 June 2019

बिहार में इंसेफेलाइटिस से अब तक 126 बच्चों की मौत, मुजफ्फरपुर में नीतीश कुमार का विरोध

ANI

बिहार के मुजफ्फरपुर और आसपास के कुछ जिलों में बड़ी संख्या में बच्चे एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) यानी चमकी बुखार की चपेट में हैं। इस बुखार से अब तक 126 बच्चों की मौत हो चुकी है और अस्पताल में भर्ती बीमार बच्चों की संख्या बढ़कर 414 हो गई है। एईएस से पीड़ित अधिकतर मरीज मुजफ्फरपुर के सरकारी श्रीकृष्णा मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल और केजरीवाल अस्पताल में भर्ती हैं। इस बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज (मंगलवार) मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच हॉस्पिटल पहुंचे। जहां मुजफ्फरपुर में स्थानीय लोगों ने मुख्यमंत्री का विरोध करते हुए नीतीश कुमार वापस जाओ के नारे लगाए।

इस मामले में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे के खिलाफ बीमारी से पहले कार्रवाई नहीं लेने के आरोप में मामला दर्ज हुआ है। बच्चों की मौत पर मानवाधिकार आयोग ने केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस भेजा है। वहीं चमकी बुखार पर मचे राजनीतिक बवाल के बीच आज (मंगलवार) को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सुबह 10:30 बजे मुजफ्फरपुर अस्पताल का दौरा करने पहुंचे। सीएम नीतीश अस्पताल में डॉक्टरों के साथ समीक्षा बैठक करेंगे।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मांगी रिपोर्ट

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मुजफ्फरपुर जिले में इंसेफेलाइटिस वायरस की वजह से बच्चों की मौत की बढ़ती संख्या पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने सोमवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और बिहार सरकार से रिपोर्ट दाखिल करने के लिए एक नोटिस जारी किया है। मानवधिकार आयोग ने कहा कि सोमवार को बिहार में एईएस से मरने वाले बच्चों की संख्या बढ़कर 100 से अधिक हो गई है और राज्य के अन्य जिले भी इससे प्रभावित हैं। इसके साथ ही आयोग ने इंसेफेलाइटिस वायरस और चमकी बुखार की रोकथाम के लिए उठाए गए कदमों की स्टेटस रिपोर्ट भी मांगी है। मानवधिकार आयोग ने चार सप्ताह में जवाब मांगा है।

सीएम ने बुलाई उच्चस्तरीय बैठक

एईएस को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को उच्चस्तरीय बैठक की। जिसके बाद मुख्य सचिव दीपक कुमार ने बताया, सरकार ने फैसला किया है कि उनकी टीम हर उस घर में जाएगी जिस घर में इस बीमारी से बच्चों की मौत हुई है, टीम बीमारी के बैक ग्राउंड को जानने का प्रयास करेगी, क्योंकि सरकार अब तक यह पता नहीं कर पाई है कि आखिर इस बीमारी का कारण क्या है। कई विशेषज्ञ इसकी वजह लीची वायरस बता रहे हैं, लेकिन कई ऐसे पीड़ित भी हैं, जिन्होंने लीची नहीं खाई।

सामाजिक कार्यकर्ता तमन्ना हाशमी ने दर्ज कराया मुकदमा

सामाजिक कार्यकर्ता तमन्ना हाशमी ने हर्षवर्धन और मंगल पांडेय के खिलाफ मामला दर्ज करवाया है जिस पर 24 जून को सुनवाई होगी। तमन्ना हाशमी का कहना है कि स्वास्थ्य मंत्री ने गलत आंकड़े पेश किए हैं, अस्पताल में स्वास्थ्य व्यवस्था की हालत बेहद खराब है। इसी को आधार मानकर केस दर्ज कराया गया है।

‘मुजफ्फरपुर के सरकारी अस्पताल में सुविधाओं की भारी कमी’

बिहार के मुजफ्फरपुर से बीजेपी सांसद अजय निषाद ने कहा है कि मुजफ्फरपुर के सरकारी अस्पताल में सुविधाओं की भारी कमी है। उन्होंने कहा कि संसाधनों के अभाव में एक बेड पर तीन-तीन बच्चों का इलाज हो रहा है। निषाद ने कहा कि पूरे बिहार से बच्चे इलाज करने के लिए मुजफ्फरपुर आते हैं। इसलिए यहां पर आईसीयू की संख्या बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि संसाधनों के अभाव में एक बेड पर ही तीन-तीन बच्चों का इलाज किया जा रहा है।

क्या है एईएस?

एक्यूट एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम मच्छरों द्वारा प्रेषित एन्सेफलाइटिस का एक गंभीर मामला है। एईएस का प्रकोप उत्तर बिहार के जिलों में और इसके आसपास के क्षेत्रों में गर्मियों के मौसम में आम है। यहां इस बीमारी को "चमकी बुखार" या "मस्तिष्क बुखार" के नाम से जाना जाता है। ये महामारी ज्यादातर गरीब परिवारों के बच्चों को प्रभावित करती है जो 10 वर्ष से कम उम्र के हैं।

एईएस के लक्षण अस्पष्ट होते हैं, लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि इसमें दिमाग में ज्वर, सिरदर्द, ऐंठन, उल्टी और बेहोशी जैसी समस्याएं होतीं हैं। शरीर निर्बल हो जाता है। बच्‍चा प्रकाश से डरता है। कुछ बच्चों में गर्दन में जकड़न आ जाती है। यहां तक कि लकवा भी हो सकता है।

डॉक्‍टरों के अनुसार इस बीमारी में बच्चों के शरीर में शर्करा की भी बेहद कमी हो जाती है। बच्चे समय पर खाना नहीं खाते हैं तो भी शरीर में चीनी की कमी होने लगती है। जब तक पता चले, देर हो जाती है। इससे रोगी की स्थिति बिगड़ जाती है।

 

 

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TAGS: Death toll, Acute Encephalitis Syndrome, AES, Muzaffarpur, 107, know all updates
OUTLOOK 18 June, 2019
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