Advertisement
17 June 2019

एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम से बच्चों की मौत, डॉ. हर्षवर्धन और मंगल पांडेय के खिलाफ केस दर्ज

File Photo

मुजफ्फरपुर और आसपास के जिलों में दिन पर दिन एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) का कहर बढ़ता ही जा रहा है। इस जानलेवा बीमारी की चपेट में आकर अब तक 100 से अधिक बच्चों की मौत हो चुकी है और मरने वाले बच्‍चों की संख्‍या लगातार बढ़ती ही जा रही है। इतनी काफी संख्या में हुई मौत के साथ ही कई बच्चे इलाजरत हैं जिसमें से कुछ बच्चों की हालत नाजुक बनी हुई है। वहीं, इस मामले में मुजफ्फरपुर की सीजेएम अदालत में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। 

नीतीश कुमार ने बुलाई बैठक

इस मामले में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज यानी सोमवार को एक बैठक बुलाई है। इस बैठक में स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे।

Advertisement

सामाजिक कार्यकर्ता तमन्ना हाशमी ने दर्ज कराया मुकदमा

सामाजिक कार्यकर्ता तमन्ना हाशमी ने हर्षवर्धन और मंगल पांडेय के खिलाफ मामला दर्ज करवाया है जिस पर 24 जून को सुनवाई होगी। तमन्ना हाशमी का कहना है कि स्वास्थ्य मंत्री ने गलत आंकड़े पेश किए हैं, अस्पताल में स्वास्थ्य व्यवस्था की हालत बेहद खराब है। इसी को आधार मानकर केस दर्ज कराया गया है।

 

मुजफ्फरपुर के सरकारी अस्पताल में सुविधाओं की भारी कमी

 

बिहार के मुजफ्फरपुर से बीजेपी सांसद अजय निषाद ने कहा है कि मुजफ्फरपुर के सरकारी अस्पताल में सुविधाओं की भारी कमी है। उन्होंने कहा कि संसाधनों के अभाव में एक बेड पर तीन-तीन बच्चों का इलाज हो रहा है। निषाद ने कहा कि पूरे बिहार से बच्चे इलाज करने के लिए मुजफ्फरपुर आते हैं। इसलिए यहां पर आईसीयू की संख्या बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि संसाधनों के अभाव में एक बेड पर ही तीन-तीन बच्चों का इलाज किया जा रहा है।

 

70 फीसदी मरीजों का इलाज हो रहा है

 

सांसद ने कहा कि डॉक्टरों की भी कमी है, लेकिन वे काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि जो भी इलाज के लिए आ रहा है उसकी मौत ही हो जा रही है, बल्कि 70 फीसदी मरीजों का इलाज हो रहा है। लेकिन किसी की भी मौत नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि विज्ञान इतनी तरक्की कर चुका है, लेकिन हमलोग एक बीमारी को कंट्रोल नहीं कर पा रहे हैं ये दुर्भाग्यपूर्ण है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने रविवार को किया था मुजफ्फरपुर का दौरा 

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने रविवार को मुजफ्फरपुर का दौरा किया था। इस दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे भी मौजूद थे। जिला स्वास्थ्य अधिकारी ने मंत्रियों को बताया कि हालात का जायजा लेने के लिए डॉक्टरों और स्वास्थ्य अधिकारियों ने एक समीक्षा बैठक की।

रविवार को उत्‍तर बिहार के सबसे बड़े अस्‍पताल श्रीकृष्‍ण मेडिकल कॉलेज एवं अस्‍पताल (एसकेएमसीएच) में 24 घंटे के अंदर 16 और बच्‍चों की मौत होने से मृतकों की संख्या 84 हो गई थी जो सोमवार को बढ़कर 100 हो गई है। मुजफ्फरपुर व आस-पास के इलाकों में अब तक इस बीमारी से 100 से अधिक बच्‍चों की मौत हो गई है।

इन अस्पतालों में सबसे अधिक मौतें

इस मौसम में बच्‍चों की सर्वाधिक मौत एसकेएमसीएच और केजरीवाल अस्पताल में हुई है। वहीं स्‍वास्‍थ्‍य सचिव ने मीडिया को बताया कि मुजफ्फरपुर के दोनों अस्‍पतालों में अधिकृत रूप से शनिवार की सुबह तक 69 बच्‍चों की मौत हुई थी। इसमें एसकेएमसीएच में 58 तथा केजरीवाल अस्‍पताल में 11 बच्‍चों की मौत शामिल है। वहीं मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन डॉ. शैलेश प्रसाद सिंह ने भी एसकेएमसीएच का जायजा लिया। इस दौरान वे मरीजों के परिजनों से मिले। पूर्वी चंपारण में तीन और वैशाली में पांच बच्‍चों की मौत हुई है। वहीं शनिवार की सुबह तक 234 नए बच्चों को भर्ती कराया गया है। इस सीजन में सोमवार (10 जून) को स्थ‍ि‍ति सबसे भयावह रही। उस दिन 23 बच्चों की मौत हुई थी।

नेताओं का दौरा भी जारी

प्रशासन के साथ ही नेताओं का लगातार दौरा भी जारी है। रविवार को ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने मुजफ्फरपुर में श्री कृष्णा मेडिकल कॉलेज व अस्पताल (एसकेएमसीएच) का दौरा किया था और बीमारी के प्रकोप पर चिंता जाहिर की थी। हर्षवर्धन के साथ केंद्रीय राज्यमंत्री अश्विनी चौबे और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय भी मौजूद थे। हर्षवर्धन ने स्वास्थ्य और जिला अधिकारियों के साथ-साथ एसकेएमसीएच के डॉक्टरों के साथ हाई लेवल मीटिंग की।

इसके पहले शुक्रवार को बिहार के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री मंगल पांडेय मुजफ्फरपुर गए थे तो शनिवार को राजद की टीम के बाद केंद्रीय गृह राज्‍यमंत्री नित्‍यानंद राय भी मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच पहुंचे। उन्‍होंने डॉक्‍टरों के अलावा स्‍थानीय प्रशासन व पीड़ित परिवारों से बात की। उन्‍होंने चिकित्‍सा सुविधा में किसी प्रकार की कमी नहीं होने का निर्देश दिया। उन्‍होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सरकार सहायता के लिए पूरी तरह से तत्‍पर है। ऐसी व्‍यवस्‍था की जा रही है कि आगे से इस प्रकार की बीमारी नहीं फैले और बच्‍चों को बचाया जाए। इसके पहले वे पटना में कहा कि एईएस को लेकर आवश्‍यक निर्देश दिए गए हैं। केंद्र हर स्‍तर पर मदद कर रहा है।

राजद की टीम ने किया था दौरा

शनिवार की सुबह राष्‍ट्रीय जनता दल (राजद) की टीम बीमारी व पीड़तों का जायजा लेने मुजफ्फरपुर पहुंची। टीम में प्रदेश अध्‍यक्ष रामचंद्र पूर्वे के अलावा पूर्व मंत्री राम विचार यादव, विधायक सुरेंद्र यादव व अन्‍य पदाधिकारी शामिल रहे। टीम सबसे पहले एसकेएमसीएच पहुंची। पूर्वे ने एसकेएमसीएच के अधीक्षक से मुलाकात की और बीमारी के बारे में जाना। मरीजों के लिए सरकार की ओर से क्‍या व्‍यवस्‍था की गई है, उसके बारे में उन्‍होंने जानकारी ली। बाद में पूर्वे ने मीडिया को बताया कि बिहार सरकार बीमारी रोकने के मामले में पूरी तरह फेल है। इस मामले को राजद विधानसभा में उठाएगा।  

मंगल पांडेय ने किया दौरा

शुक्रवार को स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने एसकेएमसीएच में एईएस (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) से पीड़ित बच्चों का जायजा लिया। साथ ही चिकित्सकों व प्रशासनिक पदाधिकारियों के साथ बैठक की। इसमें इलाज से जुड़ी समस्या व आगे की रणनीति पर चर्चा हुई। बैठक के बाद उन्होंने कहा कि बच्चों को बेहतर इलाज चल रहा है। मरीजों के परिजन भी इससे संतुष्ट हैं। वहीं एईएस पीड़ित बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी को देखते हुए एसकेएमसीएच के अन्य विभागों की आइसीयू को पीआइसीयू में बदलकर इलाज की व्यवस्था की गई है। सदर अस्पताल में भी 10 व केजरीवाल में 15 अतिरिक्त बेड की व्यवस्था की गई है। एसकेएमसीएच को छह अतिरिक्त एंबुलेंस उपलब्ध कराई गई है। केंद्रीय टीम की रिपोर्ट के आधार पर जागरूकता अभियान में तेजी लाई जाएगी। गांव-गांव में आशा, एएनएमके माध्यम से लोगों को जागरूक किया जाएगा।

केंद्रीय जांच टीम आई मुजफ्फरपुर

बता दें कि बुधवार को स्वास्थ्य विभाग की डॉक्टरों की केंद्रीय जांच टीम डॉक्टर अरुण कुमार सिन्हा के नेतृत्व में मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच पहुंची। टीम में डॉ. गोयल, डॉ. पूनम, पटना एम्‍स के डॉ. लोकेश और एनसीडीसी पटना के डॉ. राम सिंह शामिल थे।

क्या है एईएस?

एक्यूट एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम मच्छरों द्वारा प्रेषित एन्सेफलाइटिस का एक गंभीर मामला है। एईएस का प्रकोप उत्तर बिहार के जिलों में और इसके आसपास के क्षेत्रों में गर्मियों के मौसम में आम है। यहां इस बीमारी को "चमकी बुखार" या "मस्तिष्क बुखार" के नाम से जाना जाता है। ये महामारी ज्यादातर गरीब परिवारों के बच्चों को प्रभावित करती है जो 10 वर्ष से कम उम्र के हैं।

एईएस के लक्षण अस्पष्ट होते हैं, लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि इसमें दिमाग में ज्वर, सिरदर्द, ऐंठन, उल्टी और बेहोशी जैसी समस्याएं होतीं हैं। शरीर निर्बल हो जाता है। बच्‍चा प्रकाश से डरता है। कुछ बच्चों में गर्दन में जकड़न आ जाती है। यहां तक कि लकवा भी हो सकता है।

डॉक्‍टरों के अनुसार इस बीमारी में बच्चों के शरीर में शर्करा की भी बेहद कमी हो जाती है। बच्चे समय पर खाना नहीं खाते हैं तो भी शरीर में चीनी की कमी होने लगती है। जब तक पता चले, देर हो जाती है। इससे रोगी की स्थिति बिगड़ जाती है।

 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: Sunil Kumar Shahi, Superintendent, SKMC Hospital, Death toll, due to AES, in Muzaffarpur, rises to 100, Harsh Vardhan, Mangal Pandey, case was filed
OUTLOOK 17 June, 2019
Advertisement