जानिए, प्रेग्नेंसी में क्यों नहीं खानी चाहिए पेनकिलर
महिला रोग विशेषज्ञ डॉक्टरों और गाइनेकोलॉजिस्ट से अक्सर आपने सुना होगा कि प्रेग्नेंसी के दौरान दर्द की दवाएं नहीं लेनी चाहिए। यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग के शोधकर्ताओं ने इसी विषय पर अध्ययन किया कि आखिर ऐसा क्यों है। प्रेग्नेंसी के दौरान दर्द की दवाएं खाने से प्रेग्नेंसी पर क्या असर होता है।
नवजात के डीएनए पर डालती हैं असर
शोधकर्ताओं का दावा है कि प्रेग्नेंसी के दौरान दर्द की दवाएं लेने वाली मां के गर्भ में पल रहे बच्चे की फर्टिलिटी या उर्वरता पर असर होता है। यानी मां अगर पेनकिलर की खुराक लेती है तो इसकी आशंका बढ़ जाएगी कि गर्भ में पल रहे बच्चे को भविष्य में कोई संतान ना हो। दर्द की दवाएं नवजात के डीएनए पर असर डालती हैं।
इन दवाओं को लेनें से बचें
न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, अध्ययन की रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई है कि कुछ दवाओं को जैसे कि पैरासिटामोल को भी प्रेग्नेंसी के दौरान बहुत संभालकर इस्तेमाल करने की हिदायत दी जाती है जबकि आइबुप्रोफेन से दूर रहने को कहा जाता है।
बच्चे में बढ़ता है विकलांगता आने का खतरा
अध्ययनकर्ता का यह भी कहना है कि इन दवाओं के कारण बच्चे में विकलांगता आने का खतरा भी बढ़ जाता है। दूसरी ओर महिलाओं में जल्दी मेनोपॉज का खतरा भी रहता है। अध्ययनकताओं के अनुसार, दर्द की दवाएं अंडाशय के सभी अंडों का उत्पादन जल्दी-जल्दी करती हैं। एक समय आता है जब अंडाशय खाली हो जाता है और कम उम्र में ही मेनोपॉज हो जाता है।
इन्वर्मेंटल हैल्थ पर्सपेक्टिव्ज में प्रकाशित अनुसंधान में पाया गया कि पैरासिटामॉल या आईबुप्रोफेन से कोशिकाओं में एक ऐसी प्रक्रिया शुरू हो सकती है, जिससे डीएनए की बनावट में बदलाव आ जाता है जिसे एपिजेनेटिक मार्क्स कहते हैं।