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31 July 2019

बदल जाएगी मेडिकल की पढ़ाई, प्रैक्टिस-एडमिशन के लिए डॉक्टरों को करने होंगे ये काम

File Photo

मेडिकल शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त और पारदर्शी बनाने के मकसद से सरकार ने लोकसभा में नेशनल मेडिकल कमीशन बिल 2019 पेश किया, जिसे मंजूरी भी मिल गई है। बिल पास होने के बाद सरकार जहां इसकी तारीफ करते नहीं थक रही है तो वहीं डॉक्टर्स इसके विरोध में हैं। हालांकि अभी यह बिल राज्यसभा में पेश नहीं हुआ है। बिल को लेकर डॉक्टरों का विरोध दो मुख्य मुद्दों को लेकर है, पहला बिल के पास होने के बाद एमबीबीएस पास करने के बाद प्रैक्टिस करने के लिए एक टेस्ट देना होगा। ऐसा कोई प्रावधान अभी सिर्फ विदेश से पढ़कर आने वाले छात्रों के लिए ही है। इसके बाद दूसरा मुख्य मुद्दा नॉन मेडिकल शख्स को लाइसेंस देकर सभी प्रकार की दवाइयां लिखने और इलाज करने का कानूनी अधिकार देना। डॉक्टरों के मुताबिक ऐसा प्रवाधान होने से झोलाछाप डॉक्टरों को बढ़ावा मिलेगा और चिकित्सा मानकों में गिरावट आएगी।

इन वजहों से डॉक्टर कर रहे हैं इस बिल का विरोध- 

मेडिकल एडवाइजरी काउंसिल बनेगी

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केंद्र सरकार मेडिकल एडवाइजरी काउंसिल बनाएगी जो मेडिकल शिक्षा और प्रशिक्षण के बारे में राज्यों को अपनी समस्याएं और सुझाव रखने का मौका देगी। साथ ही यह काउंसिल मेडिकल शिक्षा में बेहतर सुधार लाने के लिए नए सुझाव भी देगी।

मेडिकल की सिर्फ एक परीक्षा होगी

इस कानून के लागू होते ही पूरे देश के मेडिकल कॉलेजों में (फिर वो चाहे सरकारी हो या फिर प्राइवेट) दाखिले के लिए सिर्फ एक परीक्षा ली जाएगी। इस परीक्षा का नाम नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET) होगा।

मेडिकल प्रैक्टिस के लिए देना होगा टेस्ट

मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के बाद डॉक्टरों को मेडिकल प्रैक्टिस करने के लिए एक और टेस्ट देना होगा, जो एग्जिट टेस्ट कहलाता है। उसे पास करने के बाद ही मेडिकल प्रैक्टिस का लाइसेंस मिलेगा। अभी एग्जिट टेस्ट सिर्फ विदेश से मेडिकल पढ़कर आने वाले छात्र देते हैं। इसी टेस्ट के आधार पर पोस्ट-ग्रैजुएशन में एडमिशन लिया जाएगा, लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि कोई छात्र एक बार एग्जिट परीक्षा नहीं दे पाया तो उसके पास दूसरा विकल्प नहीं है। इस बिल में दूसरी परीक्षा का विकल्प नहीं है।

मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया खत्म होगी

इस कानून के आते ही मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया खत्म हो जाएगा। इसके अधिकारियों-कर्मचारियों की सेवाएं भी खत्म हो जाएंगी। उन्हें 3 महीने की तनख्वाह और भत्ते मिलेंगे। इसके बाद बनेगा नेशनल मेडिकल कमीशन। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के अफसरों की नियुक्ति चुनाव से होती थी लेकिन मेडिकल कमीशन में सरकार द्वारा गठित एक कमेटी अधिकारियों का चयन करेगी।

निजी मेडिकल कॉलेजों की फीस तय होगी

नेशनल मेडिकल कमिशन निजी मेडिकल संस्थानों की फीस तय करेगा लेकिन सिर्फ 40% सीटों पर ही। 50 फीसदी या उससे ज्यादा सीटों की फीस पर निजी संस्थान खुद तय कर सकते हैं।

आयुर्वेद-होम्योपैथी के डॉक्टर करेंगे एलोपैथिक इलाज

इस बिल के तहत एक ब्रिज कोर्स कराया जाएगा, जिसे करने के बाद आयुर्वेद, होम्योपेथी के डॉक्टर भी एलोपैथिक इलाज कर पाएंगे। इसी बिंदु का आईएमए खुलकर विरोध कर रहा है।

मेडिकल रिसर्च को दिया जाएगा बढ़ावा 

नेशनल मेडिकल कमीशन सुनिश्चित करेगा कि चिकित्सा शिक्षा में अंडर-ग्रैजुएट और पोस्ट-ग्रैजुएट दोनों स्तरों पर उच्च कोटि के डॉक्टर आएं। इसके साथ ही मेडिकल प्रोफेशनल्स को इस बात के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा कि वे नए मेडिकल रिसर्च करें।

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TAGS: National Medical Comission Bill, Lok Sabha, rules will be Change, MBBS's studies, Practice Admission
OUTLOOK 31 July, 2019
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