बच्चों में फाइजर की कोरोना वैक्सीन करीब 91 फीसदी कारगर, जानिए कब तक मिलेगी मंजूरी
संघीय स्वास्थ्य नियामकों ने कहा कि फाइजर के कोविड-19 रोधी टीके की खासतौर पर बच्चों के लिए बनाई गई खुराक प्राथमिक स्कूल के बच्चों में लक्षण वाले संक्रमण को रोकने में अत्यधिक प्रभावी पाई गई है और इससे कोई अप्रत्याशित सुरक्षा समस्या भी नहीं होती है।
अमेरिका में बच्चों का टीकाकरण शुरू करने पर विचार किए जाने के बीच नियामक ने यह कहा। खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने फाइजर टीके संबंधी आंकड़ों का विश्लेषण से जुड़ी जानकारी ऐसे समय दी जब अगले हफ्ते एक जन सभा में यह चर्चा होनी है कि देश में पांच से 11 वर्ष की आयु के करीब 2.8 करोड़ बच्चों के लिए टीके की खुराक तैयार हैं या नहीं।
एफडीए के वैज्ञानिकों ने अपने विश्लेषण में कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती होने या उससे मौत के जोखिम को रोकने में टीका लाभकारी है और यह फायदा किसी भी परिदृश्य में बच्चों में टीके के किसी गंभीर दुष्प्रभाव से कहीं अधिक है। एजेंसी के समीक्षकों ने हालांकि फाइजर के टीके को अधिकृत करने की अनुशंसा नहीं की।
अब एफडीए इस सवाल को अगले मंगलवार को स्वतंत्र सलाहकारों की समिति के समक्ष रखेगा और इस बारे में कोई भी फैसला लेने से पहले उनकी सलाह पर विचार करेगा।
एफडीए की समीक्षा में फाइजर के उन परिणामों की पुष्टि की गई जिनमें कहा गया था कि टीके की दो खुराक बच्चों में लक्षण वाले संक्रमण को रोकने में 91 फीसदी तक कारगर है। एफडीए ने कोई नया या अप्रत्याशित दुष्परिणाम नहीं पाया। हालांकि उसके वैज्ञानिकों ने कहा कि यह अध्ययन अत्यंत दुर्लभ दुष्परिणामों का पता लगाने के लिहाज से पर्याप्त नहीं है।
गौरतलब है कि सीडीसी ने इस सप्ताह के शुरुआत में जारी रिपोर्ट में कहा था कि जून और सितंबर में डेल्टा स्वरूप के प्रसार के दौरान फाइजर का टीका 12 से 18 साल आयुवर्ग के लोगों में 93 प्रतिशत तक प्रभावी रहा और संक्रमण के बावजूद अस्पताल में भर्ती होने से बचाया।