लेगिंग, अश्लीलता और औरत की आजादी का सवाल
लड़कियों के लेगिंग पहनने से पुरुषों को दिक्कत होती है। वे अपने काम में ध्यान नहीं लगा पाते हैं। इसलिए औरतों को ऐसे कपड़े नहीं पहनने चाहिए। औरतों के जिस्म और पहनावे पर नकेल लगाने के लिए चेन्नै मेडिकल कॉलेज से लेकर लड़कियों के हॉस्टल में पहनावे को लेकर जबर्दस्त हंगामा चल रहा है। इसी बीच तमिल भाषा की एक लोकप्रिय मैगजीन कुमदम रिपोर्टर ने एक बेहद आपत्तिजनक कवर स्टोरी छापी जिसमें महिलाओं कीलेगिंग पहने बेहद अश्लील फोटो छपी (ये तमाम फोटो इन महिलाओं की जानकारी के बिना ली गई थी) गई। इसके जरिये बताया गया कि लड़कियां या महिलाएं जब इस तरह के कपड़े पहनती हैं तो पुरुषों के लिए अपनी वासना को रोकना कितना मुश्किल होता है।
इस पत्रिका ने तमिलनाडु के कई कॉलेजों में लेगिंग पहने लड़कियों चित्र उतारे, खासतौर से जो दोपहिया वाहनों में पीछे बैठी हुई थीं। इसके साथ ही एक कविता भी छापी जिसमें आदमियों द्वारा औरतों को घूरने को जायज ठहराया गया था। इस लेख पर सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर हंगामा मचा। महिला समूहों और बाकी प्रगतिशील-लोकतांत्रिक खेमे ने इसका जमकर विरोध किया। बाकायदा एक ऑनलाइन याचिका दाखिल की गई जिसमें इस आपत्तिजनक स्टोरी के लिए पत्रिका से माफी मांगने की मांग की गई। इसमें साफ-साफ कहा गया है कि जिस तरह से लड़कियों पर नैतिक पुलिसिंग करने की कोशिश की जा रही है, वह शर्मनाक है। बिना स्वीकृति के महिलाओं की फोटो लेना और उसे छापना अपराध है, इस पर कार्रवाई होनी चाहिए।
इस ऑनलाइन याचिका की बहुत सकारात्मक प्रतिक्रिया सामने आई। दरअसल, पिछले कुछ समय समय से तमिलनाडु में एक के बाद एक घटनाएं महिला विरोधी मानसिकता को उजागर करने वाली घटित हुईं। इसने महिलाओं और बाकी तबके में खासा आक्रोश पैदा किया। खासतौर से श्री साई राम इंजीनियरिंग कॉलेज ने लड़कियों के पहनावे के लिए 14 नियम बनाए और ये बेहद आपत्तिजनक थे। इनमें लड़कियों को बाल खुला रखने, लेगिंग पहनने, ऊंची एड़ी पहनने से रोका गया था। इसका भी खूब विरोध हुआ। इस पूरे मामले में बेहद सक्रिय अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन की सचिव कविता कृष्णन ने बताया कि हर तरह से महिलाओं की स्वतंत्रता को कुचलने के लिए शक्तियां सक्रिय हैं। उनके पहनावे, बोलचाल, प्रेम से लेकर हर मोर्चे पर पितृसत्ता अपनी घुसपैठ करना चाहती है। इन ताकतों का सख्त विरोध करना चाहिए।