एच1एन1 की चपेट में आए सुप्रीम कोर्ट के छह जज, मास्क पहनकर पहुंचे जस्टिस खन्ना
सुप्रीम कोर्ट के छह जज एच1एन1 वायरस (स्वाइन फ्लू) से संक्रमित हो गए हैं। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने ये जानकारी दी। उन्होंने मंगलवार को कोर्ट में घोषणा की कि सभी जजों ने चीफ जस्टिस एसए बोबडे के साथ इसके इलाज के लिए बैठक की।न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने मुख्य न्यायाधीश एसएस बोबडे से अनुरोध किया है कि वह इसे लेकर जरूरी निर्देश जारी करें जो आपात स्थितियों के कारण उत्पन्न हुई है। न्यायालय की कोर्ट नंबर दो में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना सुनवाई के दौरान मास्क पहने हुए दिखाई दिए।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने भारत के चीफ जस्टिस एसए बोबडे से इस संबंध में जरूरी दिशा-निर्देश जारी करने का अनुरोध किया है। यहां कोर्ट नंबर-2 में जस्टिस संजीव खन्ना ने मास्क लगाकर सुनवाई की।
पिछले महीने पंजाब में मिला था स्वाइन फ्लू का मरीज
पिछले महीने पंजाब के पंचकूला के मरीज में स्वाइन फ्लू का वायरस पाया गया था। 5 मरीज संदिग्ध पाए गए थे। एच1एन1 वायरस का पॉजिटिव केस सामने आने पर मरीज का पीजीआई चंडीगढ़ में इलाज चल रहा है। डॉक्टरों के अनुसार, मरीज शुरुआत में क्रिटिकल कंडीशन में था, लेकिन अब खतरे से बाहर है।
पिछले साल ये थी हालत
भारत में 2019 में स्वाइन फ्लू के 27,000 से ज्यादा मामले सामने आए। देश में देखें तो 2015 में इस वायरस का प्रकोप चरम पर था, तब कुल 42,592 मामले सामने आए थे। 2016 में बीमारी पर काबू पाया गया था, लेकिन 2017 में फिर से 38,811 मामले सामने आए थे। पिछले वर्ष 2018 की बात करें तो पूरे वर्ष 15,226 मामले ही सामने आए थे। 2019 में फिर से प्रभावित लोगों की संख्या बढ़ी है।
नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल की एक रिपोर्ट में 2012 से लेकर अब तक एच1एन1 के मामलों के आंकड़े पेश किए गए हैं। 2019 में स्वाइन फ्लू के 27,505 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें से 1137 लोगों को जान गंवानी पड़ी। सबसे ज्यादा 5,052 मामले राजस्थान में दर्ज किए गए, जहां 206 लोगों की मौत हुई।
2018 में यह थी स्थिति
2018 में देश में स्वाइन फ्लू के 15,266 मामले सामने आए थे, जिसमें 1,128 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। 2018 में तमिलनाडु (2,812), महाराष्ट्र (2,593), राजस्थान (2,375), गुजरात (2,164) और कर्नाटक (1,733) इस वायरस से सर्वाधिक प्रभावित थे। 2012 से लेकर अब तक महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान ऐसे प्रदेशों के रूप में सामने आए हैं, जिनमें इस बीमारी का प्रकोप सबसे ज्यादा रहा है।
क्या होता है स्वाइन फ्लू
स्वाइन फ्लू श्वसन तंत्र से जुड़ी बीमारी है, जो ए टाइप के इनफ्लुएंजा वायरस से होती है। इसे 1919 में एक महामारी के रूप में मान्यता दी गई थी। स्वाइन फ्लू का कारण एच1एन1 वायरस है। इसकी शुरुआत सुअरों से हुई थी। इसके लक्षणों में बुखार, खांसी, गले में खराश, ठंड लगना, कमजोरी और शरीर में दर्द आदि हैं। इससे बचने के लिए साफसफाई पर ध्यान देने की विशेष जरूरत होती है।
लक्षण
- तेज बुखार होना।
- खांसी आना।
- गले में तकलीफ होना।
- शरीर में दर्द होना।
- सिर दर्द और कंपकंपी महसूस होना।
- कमजोरी का अहसास।
- कुछ लोगों में दस्त और उल्टी की भी समस्या हो सकती है।
स्वाइन फ्लू का उपचार
- युवाओं में बुखार और ठंड से बचने के लिए पैरासिटामाल दिया जाता है।
- बच्चों को कभी कभी अतिरिक्त उपचार की आवश्यकता होती है ।
- 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को एस्पिरिन जैसी दवाएं नहीं देनी चाहिए।
- स्वाइन फ्लू का उपचार सामान्य फ्लू के जैसे ही किया जाता और ठंड, कफ, बुखार से बचने के लिए पैरासिटामाल या एंटीरेट्रोवायरल जैसी विषाणुरोधक दवाएं भी दी जाती हैं।
- स्वाइन फ्लू से बचने के लिए सुरक्षा के उपाय अपनायें। ऐसी जगह जहां संक्रमण होने की सम्भावना है वहां मास्क लगाना ना भूलें। ऐसे क्षेत्रो का दौरा करने से बचें जहां स्वाइन फ्लू फैला हो।