हृदय रोगियों के लिए ऊंचाई पर रहना खतरनाक
दूसरी वजह हाथों से दी जाने वाली सीपीआर 10 तकनीक के प्रति लोगों में जानकारी का अभाव होना है। लोगों को यह पता होना चाहिए कि हृदयाघात की स्थिति में मरीज के दिल की धड़कन बंद होने के 10 मिनट के अंदर यदि सीपीआर 10 तकनीक से यदि हाथों से मरीज की छाती को दबाया जाए तो धड़कन फिर से शुरू हो सकती है।
हृदय रोग के 5998 मरीजों पर किए गए इस अध्ययन में यह सामने आया कि मरीज द्वारा गंभीर हालत का हवाला देते हुए किए गए फोन कॉल में बिल्डिंग तक पहुंचने में मददकर्ता को औसतन 6 मिनट का समय लगा और इसके बाद पहली और दूसरी मंजिल के मरीज तक पहुंचने में औसतन 3 मिनट का समय लगा मगर इससे ऊपर की मंजिलों तक पहुंचने में औसतन 5 मिनट लगे। शुरू की दो मंजिलों में कार्डिएक अरेस्ट के मरीजों में जीवित बचने वालों का प्रतिशत 4.2 रहा जबकि इससे ऊपर की मंजिलों पर यह प्रतिशत 2.6 रहा। इसे देखते हुए यह निष्कर्ष निकाला गया कि हृदय के मरीजों को ऊपरी मंजिलों पर रहने से यथासंभव बचना चाहिए।
इस अध्यन के परिणामों के आधार पर हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने डॉक्टरों को सलाह दी है कि वे मरीजों के परिजनों को अनिवार्य रूप से हाथ से दी जाने वाली सीपीआर तकनीक का प्रशिक्षण दें ताकि किसी भी आपात स्थिति में वे खुद भी मरीज को यह मदद दे सकें। साथ ही ऐसे मरीजों को ऊंची मंजिलों पर रहने के प्रति हतोत्साहित भी करें। फाउंडेशन के अध्यक्ष और देश के जाने-माने हृदय रोग विशेषज्ञ पद्मश्री डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा कि यह डॉक्टरों की जिम्मेदारी है कि वह मरीजों और उनके परिजनों को ऊंची मंजिल पर रहने के खतरे के बारे में सावधान करें। फिर भी कोई यदि रह रहा हो तो उसके परिवार और बिल्डिंग के स्टाफ को सीपीआर तकनीक का पूरा प्रशिक्षण दिया जाए।