Advertisement
14 October 2016

एमसीआई को खत्म करना ही समाधान मान लिया गया है : डॉ जयश्री मेहता

google

बातचीत के दौरान मेडिकल कालेज खोलनें के लिए न्यूनतम स्तर निर्धारण के सवाल पर उन्होंने खुद सवाल किया कि जो स्तर तय किया गया है, क्या उससे भी नीचे का कोई स्तर हो सकता है? क्या मेडिकल कालेजों की संख्या बढ़ाने के लिए लोग चाहते हैं कि हम इसके लिए आदेश दे? पर हम महज लाभ के लिए ऐसा आदेश नहीं दे सकते। चिकित्सा के छात्र केवल किताबें पढ़कर पास हो जाएं और डॉक्टर बन जाएं। यह संभव नहीं है। लोगों को जानना चाहिए कि वास्तव में मेडिकल कालेज को मंजूरी देने के लिए नियमों का पालन जरूरी है। एमसीआई नियमों के आधार पर कार्य करने वाली एक कार्यकारी संस्‍था हैं। तमाम चीजें हमारे हाथ में नहीं होतीं। अगर संसद हमें ‌निर्देशित कर दे कि हम न्यूनतम शर्तें न पूरी करने वाले कालेजों को मंजूरी दे दें, तो हम वैसा ही कर देंगे। लेकिन सच तो यह है कि हमें लोगों की जिंदगी से जुड़े इस पेशे से खिलवाड़ नहीं करना है। हमें आधी-अधूरी जानकारी वाले कमजोर दिल डॉक्टर पैदा करनेे से बचना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट का आरोप कि चिकित्सा आयोग दक्ष और कुशल डॉक्टर देने में फेल रहा हैै। इस पर डॉ. मेहता का कहना था कि आरोप को हम समझने की कोशिश कर रहे हैं कि अदालत ने आखिर ऐसा क्यों कहा। अगर कोई एक व्यक्ति गलत तरीके से या नियम विपरीत कार्य करता है तो उसकी वजह से पूरे सिस्टम को आरोपित नहीं किया जा सकता। मेरे कार्यकाल के दौरान हम लोगों ने कई चीजें सुधारने की कोशिश की है। हमने छात्र-चि‌कित्सकों की दक्षता और कार्यकुशलता को ध्यान में रखते हुए पाठ्यचर्या में आमूलचूल परिवर्तन किया है। हमने इसमें पेशेेगत-व्यावहारिकता, नैतिकता, यौनशिक्षा, लिंग संबंधी संवेदना, मनोस्वास्थ्य आदि विषयों का समावेश किया है। लेकिन अभी यह सरकार के स्तर से अंतिम रूप ग्रहण नहीं कर सका है।

जहां तक चिकित्सकों की कमी का सवाल है तो हम इसके लिए परास्नातक (पीजी) में सीटें बढ़ाने के प्रयास में लगे हैं। लेकिन जहां एनोटोमी, फिजियोलॉजी, बायोकेमेस्ट्री वगैरह की व्यवस्‍था नहीं है, हम उन कालेजों को मंजूरी कैसे दे सकते हैं? उन्होंने हंस कर कहा कि देश में 71 ऐसे सरकारी मेडिकल कालेज हैं, जो मास्टर डिग्री कोर्स खोलने के लिए आवेदन ही नहीं क‌रते, क्या यह हमारी ड्यूटी है कि हम उनको आवेदन करने के लिए कहें?

Advertisement

अपने सकारात्‍मक कदम की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि हमने डॉक्टरों को गांव की ओर आकर्षित करने के लिए ऐसे छात्रों को 30 प्रतिशत का वेटेज देने की घोषणा की है, जो दो साल तक गांवों में अपनी सेवा देने को तैयार हैं। 2012 में हमने कई सरकारी कालेजों में एक बारगी स्नातक में 50 सीटें बढ़ाने के लिए स्वीकृति दे दी इस उम्मीद में कि वे आधारिक संरचना बढ़ाएंगे लेकिन बाद में जांच करने पर कहीं भी किसी ने भी ये काम नहीं किया। फलतः पिछले दो वर्षों से किसी को मंजूरी नहीं दी गई। हां, इधर पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश सहित कुछ राज्यों में 8-9 करोड़ रुपये इन कालेजों के लिए आवंटित किया है, यह जानकर मुझे खुशी हुई है। कालेजों को शिकायत है आप नियम-निर्देश पालन को लेकर बहुत सख्‍त हैं, जैसे कि 20 एकड़ जमीन के मामले पर। हम इसमें बदलाव लाएंगे, कम से कम पर्वतीय इलाकों के लिए ढील बरतेंगे। वैसे भी हमें अभी दो साल हुए हैं। लोग जादू की तरह कुछ हो ऐसा चाहते हैं। ऐसा संभव नहीं है।

नीति आयोग के प्रस्ताव पर कि एमसीआई को खत्म कर देना चाहिए ताकि मेडिकल शिक्षा में इंस्पेक्टर राज का खात्मा हो सके, डॉ. मेहता ने कहा कि उन्हें नहीं पता के नीति आयोग के लोग क्या सुधारना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ‘वे समाज के बड़े लोग हैं इसलिए वे सही कदम उठा रहे होंगे।’ डॉ. मेहता ने कहा कि ऐसा लगता है कि इसी बात को सबसे महत्वपूर्ण मान लिया है कि एमसीआई को खत्म कर देने से सब कुछ ठीक हो जाएगा जबकि सच्चाई यह है कि मैने जहां गड़बड़ियां देखी उन्हें काली सूची में डाल दिया। 2013 में फर्जी फैकल्टी के कई मामले सामने आए, हमने सब पर कड़ी कार्रवाई की है। आने वाले दिनों में अच्छे परिणाम की संभावना है। 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया, डॉ जयश्री मेहता, मेडिकल, छात्र, कालेज, मंजूरी, MCI, jayshree mehta, medical collage, medical student, outlook
OUTLOOK 14 October, 2016
Advertisement