फिर आ जाएगा ‘धोना-सुखाना’ जमाना
भारत में तो माहवारी के दौरान सामाजिक प्रतिबंध और धारणाएं-मान्यताएं भी इतनी अजीबो-गरीब हैं कि अच्छी खासी महिला इंसानी दायरे से बाहर निकल कर ‘अछूत’ बन जाती है। भारत में अभी कुछ ही साल बीतें हैं जब सेनेटरी नैपकिन ‘पेड्स’ की क्रांति आई है। पहले भारतीय लड़कियां रसोई, धार्मिक स्थलों और आयोजनों से ही बाहर रहने की पीड़ा नहीं झेलती थीं बल्कि माहवारी के दौरान इस्तेमाल किए गए घरेलू पेड्स को इस्तेमाल करने के बाद धोने और सुखाने की परेशानी को भी झेलती थीं।
इसके बाद लगभग 20 साल पहले सैनेटरी नैपकिन भारत में लोकप्रिय हो गए और देखते ही देखते गांवों-कस्बों में भी सेनेटरी नैपकिन दिखाई देने लगे और वहां की लड़कियां भी इन्हें इस्तेमाल करने लगी। हालांकि भारत में इन्हें इस्तेमाल के बाद फेंकना बड़ी समस्या है और यह ‘फुलप्रूफ’ भी नहीं है। यानी इसमें भी दाग लगने का डर रहता है।
दुनियाभर की महिलाएं इस समस्या से जूझती हैं। इस समस्या को देखते हुए जुडवां बहनों राधा और मिकी अग्रवाल ने अपनी एक दोस्त एंटोनिया डेनबर के साथ मिल कर एक ऐसी पेंटी बनाई है जो टैंपून और सेनेटरी नैपकिन के मुकाबले ज्यादा बेहतर है और जिसकी सोखने की क्षमता भी ज्यादा है। जाहिर सी बात है सेनेटरी नैपकिन की तरह यदि पैंटी हो जाए तो कितनी सुविधा होगी। इस पैंटी को चार सतहों के साथ बनाया गया है, इसे धो कर दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है और यह लीक प्रूफ भी है। यह पैंटी ऑनलाइन उपलब्ध है। हालांकि अभी भारत में इसकी बिक्री शुरू नहीं हुई है। लेकिन विदेश से यहां तक चीजें आने में वक्त ही कितना लगता है। फिलहाल थिंक्स इन पेंटियों को कई देशों में उपलब्ध करा रहा है।
लेकिन भारत के संदर्भ में सबसे बड़ी बात यह है कि बड़ी मुश्किल से भारतीय लड़कियों-महिलाओं को ‘धोने-सुखाने’ से छुटकारा मिला है। भारत में पहले भी ‘उन कपड़ों’ को सुखाना ही सबसे बड़ी समस्या थी। अब इन पेंटियों को सुखाना समस्या होगी। क्योंकि दाग लगी इन पेंटी को कहीं भी नहीं सुखाया जा सकता। फिर पहले की तरह यह नमी वाली जगहों पर सूखेंगी और भारतीय लड़कियों को फिर रेशेज और एलर्जी की समस्या से जूझना होगा। क्या फिर से आ जाएगा वही ‘धोना-सुखाना’ वाला जमाना।