एक झपकी और पलक झपकते काम
जिन दफ्तरों में कर्मचारियों को हल्की झपकी लेने की सुविधा दी है वह देख सकते हैं कि उनके कर्मचारी इस सुविधा के बाद ज्यादा एवं बेहतर तरीके से काम करते हैं। मिशिगन विश्वविद्यालय के शोधार्थियों ने पाया कि हल्की झपकी न सिर्फ कर्मचारियों के आवेगपूर्ण आचरण को नियंत्रित कर सकती है बल्कि हताशा भी उन पर हावी नहीं हो पाती।
शोधार्थियों ने बताया कि आम लोगों, खास कर वयस्कों की नींद पूरी नहीं हो पाना आम बात है और यह चलन बढ़ता जा रहा है। इससे व्यक्ति की याददाश्त कमजोर हो जाती है, उसकी एकाग्रता में कमी आती है और वे थकान भी महसूस करते हैं।
उन्होंने यह देखने का प्रयास किया कि थोड़ी सी झपकी वयस्कों की भावनाओं को कैसे नियंत्रिात करती है। इस अध्ययन के लिए 18 साल से 50 साल की उम्र के 40 प्रतिभागियों को टेस्ट से पहले तीन रात तक लगातार सुलाया गया। प्रयोगशाला में इन प्रतिभागियों ने नींद, मूड और आवेग आदि के बारे में सवालों के जवाब दिए। उन्हें फिर एक घंटे झपकी लेने का मौका दिया गया या जगाया गया। इस दौरान उनके व्यवहार पर लगातार नजर रखी गई।
जिन प्रतिभागियों को झपकी लेने का मौका मिला था उन्होंने सवालों के हल में अधिक समय लगाया और वे शांत रहे। वहीं झपकी से वंचित प्रतिभागियों ने टेस्ट को पूरा करने में हताशा और व्यग्रता दिखाई।
साइकोलॉजी विभाग के एक छात्रा गोल्डस्माइड ने कहा हमारे परिणाम बताते हैं कि लंबे समय तक जागने वालों के लिए थोड़ी सी झपकी लाभकारी हो सकती है क्योंकि इससे उनकी विभिन्न परिस्थितियों में काम करने की क्षमता में वृद्धि होती है। अध्ययन के नतीजे पर्सनैलिटी एंड इंडिविजुअल डिफरेन्सेज जर्नल में प्रकाशित हुए हैं।