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21 April 2016

टाइप 2 डायबिटीज का सर्जरी से इलाज संभव- डा. पीटर्स

गूगल

टाइप 2 डायबिटीज को हमेशा अपरिवर्तनीय स्थिति माना जाता था, लेकिन अब मोटापे से पीड़ित व्यक्तियों में मेटाबाॅलिक सर्जरी उपचार करने लायक है। डायबिटीज का सीधा संबंध मोटापे से है। मोटापा टाइप-2 डायबिटीज के बनने का 80 से 85 प्रतिशत अनुमानित कारण है। मेडिकल की भाषा में इसे मेटाबाॅलिक डिसफंक्शन कहा जाता है, जिसकी रेंज कम रक्त शर्करा असंतुलन से पूरी तरह विकसित टाइप 2 डायबिटीज तक होती है।

फोर्टिस हाॅस्पिटल के मेटाबाॅलिक व बेरिएटिक सर्जरी के डायरेक्टर तथा हेड डाॅ. अतुल पीटर्स ने बताया कि डायबिटीज के लिए सबसे बड़ा कारण मोटापा है, इस कारण कोशिकाएं इंसुलिन के उपयोग में कम समर्थ हो जाती हैं, जिससे रक्त कोशिकाओं से इसमें शर्करा की मात्रा नहीं जा पाती। जब आप पहले से ही इंसुलिन रेसिस्टेंट ;डायबिटिक या प्री-डायबिटिकद्ध हों, तो वजन कम करना और भी मुश्किल हो सकता है। डाॅ. पीटर्स के मुताबिक पारंपरिक उपचार की तुलना में सर्जीकल उपचार डायबिटीज के नियंत्रण में अधिक प्रभावी है।

पारंपरिक दवाओं का इस्तेमाल करने वाले मरीज, जिनके आहार व जीवनशैली का सख्ती से ध्यान रखा जाता है, उनमें भी ज्यादा प्रगति देखने का नहीं मिलती है। लेकिन सर्जरी कराने वाले मरीजों में शानदार सुधार देखने को मिलता है। गैस्ट्रिक बायपास सर्जरी कराने वाले 85 प्रतिशत मरीजों को लाभ मिला और उन्हें डायबिटीज से छुटकारा मिल गया तथा स्लीव पेशेंट में यह आंकड़ा 80 प्रतिशत रहा।

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मेटाबाॅलिक सर्जरी फाउंडेशन आॅफ इंडिया के अनुसार भारत में डायबिटीज के उपचार के लिए बेरिएटिक सर्जरी कराने का ग्राफ उपर की ओर बढ़ रहा है। साल 2011 में 3500 लोगों ने यह सर्जरी कराई जबकि साल 2013 में 10,000 लोगों ने सर्जरी कराई। वर्तमान में भारत में प्रतिवर्ष करीब 12,000 बेरिएटिक सर्जरी होती हैं।

 

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TAGS: शुगर, सेहत, स्वास्‍थ्य, समस्या, डायबिटीज
OUTLOOK 21 April, 2016
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