मन का व्यायाम है विपश्यना
भगवान बुद्ध के समय से निष्ठावान् आचार्यों की परंपरा ने पीढ़ी-दर-पीढ़ी इस ध्यान-विधि को बनाए रखा। अगर आप भी विपश्यना करना चाहते हैं तो ध्यान देखभाल कर गुरू की तलाश करें। विपश्यना दस-दिवसीय आवासी शिविरों में सिखायी जाती है। शिविरार्थियों को अनुशासन संहिता, का पालन करना होता है एवं विधि को सीख कर इतना अभ्यास करना होता है जिससे उन्हें लाभ मिलता है। यह साधना मन का व्यायाम है। जैसे शारीरिक व्यायाम से शरीर को स्वस्थ बनाया जाता है वैसे ही विपश्यना से मन को स्वस्थ बनाया जा सकता है।
निरंतर अभ्यास से ही अच्छे परिणाम आते हैं। सारी समस्याओं का समाधान दस दिन में ही हो जायेगा ऐसी उम्मीद नहीं करनी चाहिए। दस दिन में साधना की रूपरेखा समझ में आती है,जिससे की विपश्यना जीवन में उतारने का काम शुरू हो सके। जितना जितना अभ्यास बढ़ेगा, उतना उतना दुखों से छुटकारा मिलता चला जाएगा।