वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट 2018: नशीली दवाइयों का इस्तेमाल बढ़ा, कोकेन-अफीम उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर
यूनाइटेड नेशंस ऑफिस ऑन ड्रग्स एंड क्राइम (UNODC) की वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट 2018 के मुताबिक, दवाओं का मेडिकल उद्देश्यों से इतर किया जा रहा इस्तेमाल लोगों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। इसकी वजह से 76 फीसदी मौत हुई हैं। कोकेन और हेरोइन जैसे ड्रग्स लंबे समय से मौजूद रहे हैं लेकिन इनमें दवाइयों के जुड़ने से ड्रग की समस्या बढ़ गई है।
उत्तरी अमेरिका में फेंटानिल और ट्रेमाडॉल नाम के पदार्थ हल्के दर्द से राहत के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं लेकिन ये अफ्रीका और एशिया में चिंता का सबब बन गए हैं। फेंटानिल और ट्रेमाडॉल दर्द को ठीक करने के लिए हैं लेकिन उन्हें अवैध रूप से भी बनाया जा रहा है और अवैध बाजारों में नशे के लिए प्रचारित किया जा रहा है, जिनका ओवरडोज स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है।
फेंटानिल और ट्रेमाडॉल ओपिऑड की श्रेणी में आते हैं। 2016 में 87 टन ओपिऑड बरामद किया गया था। इस साल इसी मात्रा में नशीला पदार्थ हेरोइन भी बरामद हुआ था। 2016 में पश्चिमी, मध्य और उत्तरी अमेरिका में ट्रेमाडॉल 87 फीसदी था। एशिया के देशों में, जहां पहले पूरे विश्व का आधा ओपिऑड बरामद होता था, उसमें काफी गिरावट आई और यह घटकर केवल 7 फीसदी रह गया। यानी एशिया के देश इसकी चपेट में कम हैं।
वैश्विक स्तर पर 2016 में कोकेन सबसे ज्यादा बनाया गया और यह रिकॉर्ड स्तर है। इसकी मात्रा 1,410 टन थी। दुनिया का ज्यादातर कोकेन कोलंबिया से आता है। रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि एशिया और अफ्रीका भी कोकेन की ट्रैफिकिंग और उपभोग के केंद्र बन रहे हैं।
2016-17 में वैश्विक स्तर पर अफीम का उत्पादन 65 फीसदी बढ़कर 10,500 टन हो गया। यह 21वीं शताब्दी की शुरुआत से लेकर अब तक सबसे ज्यादा है। अफीम की खेती में बढ़ोत्तरी होने और अफगानिस्तान में पैदावार बढ़ने की वजह से अफीम का उत्पादन पिछले साल 9,000 टन तक पहुंच गया। युवा लोगों के बीच गांजे की खपत बढ़ गई है।
रिपोर्ट बताती है कि किशोरावस्था (12 से 17 साल) में ड्रग्स की लत लगने की शुरुआत आम तौर पर होती है, जो युवावस्था (25 साल तक) में चरम पर होती है। इसके अलावा 40 साल की उम्र के पार लोगों में भी ड्रग्स की लत बढ़ रही है।
वैश्विक स्तर पर 2000 से 2015 के बीच ड्रग्स के इस्तेमाल में 60 फीसदी लोगों की सीधे तौर पर मृत्यु हुई। 50 साल से ऊपर के लोगों की साल 2000 में 27 फीसदी मौत हुई, जो 2015 तक बढ़कर 39 फीसदी हो गई।
ड्रग्स का सेवन करने वालों में ज्यादातर पुरुष हैं लेकिन महिलाओं में इसके इस्तेमाल को लेकर एक पैटर्न है। महिलाओं में ओपिऑड का मेडिकल उद्देश्यों से इतर इस्तेमाल पुरुषों से ज्यादा नहीं तो उनके बराबर ही है। पुरुषों के मुकाबले महिलाएं ड्रग्स का शिकार देर से बनती हैं लेकिन जब उन्हें लत लगती है तब वे इनका इस्तेमाल काफी जल्दी-जल्दी करती हैं, जो उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है।