Advertisement
26 August 2015

'रोशोगुल्ला' पर बंगाल का दावा!

रसगुल्ला किसका है? जो खाए उसका। इतने सीधे सवाल का सीधा जवाब नहीं है। यहां रसगुल्ले को ले कर खाने की नहीं किसने इसे खोजा इसकी लड़ाई चल रही है। पश्चिम बंगाल सरकार के विज्ञान एवं प्राद्योगिकी विभाग ने अपने केंद्रीय समकक्षों के साथ रसगुल्ले का भौगोलिक उपदर्शन प्रमाणीकरण कराने की कोशिश जारी कर दी है ताकि इसकी पहचान को बंगाल के साथ जोड़ा जा सके। बंगाल में एक किंवदंती भी है कि सबसे पहले रसगुल्ला बनाने वाले नवीन चंद्र दास को इसकी विधि श्रीकृष्ण भगवान ने सपने में दर्शन देकर बताई थी।

 

पश्चिम बंगाली मिष्ठान व्यवसायी समिति के प्रवक्ता और उत्तरी कोलकाता में एक प्रसिद्ध मिठाई की दुकान के मालिक जगन्नाथ घोष ने कहा कि इस संबंध में सोमवार को राज्य की महिला एवं बाल कल्याण राज्य मंत्री शशि पांजा ने उनके प्रतिनिधि मंडल को इस बात से अवगत कराया है।

Advertisement

 

इस पर मंत्री ने कहा, हमारी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हमसे कहा कि रसगुल्ले के आविष्कारक के तौर पर बंगाल को उसका सही स्थान दिलाने के लिए सभी आवश्यक काम किए जाएं। वर्ष 1868 में नवीन चंद्र दास ने इस मिठाई से प्रदेशवासियों का परिचय कराया था और हम हमारी विरासत को किसी और को नहीं हड़पने दे सकते।

 

के. सी. दास प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक और नवीन चंद्र दास की पांचवीं पीढ़ी के सदस्य संजय दास ने कहा कि यह ऐतिहासिक रूप से जाना जाता है कि घरेलू पनीर को चाशनी में डुबोकर रसगुल्ला बनाने में दास परिवार शीर्ष पर है।

 

संजय दास ने कहा, रसगुल्ले का आविष्कार शहर में ही होने पर जब कानूनी मुहर लग जाएगी तो इसे वैश्विक पहचान दिलाई जा सकेगी और फिर इस क्षेत्र में और अधिक शोध एवं विकास कार्य किए जा सकेंगे। यदि रसगुल्ले के बंगाल में ही बनाए जाने को मान्यता मिल जाती है तो फिर भविष्य में हम इसके लिए पेटेंट भी ले सकेंगे।

 

भौगोलिक उपदर्शन एक प्रकार की पहचान प्रणाली है। इसके तहत किसी वस्तु के नाम या चिन्ह को उसके उत्पन्न होने की भौगोलिक स्थिति जैसे कि शहर, क्षेत्र या देश के नाम से पहचानबद्ध किया जाता है। यह उत्पादों के प्रमाणीकरण में भी काम आता है और यह बताता है कि किसी उत्पाद का निर्माण पारंपरिक विधि से हुआ है और यह किसी विशेष भौगोलिक क्षेत्र में ही उत्पन्न हुआ है।

 

पांजा ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि व्यवसायियों की ओर से यदि कोई आधिकारिक प्रस्ताव आता है तो सरकार इस पर विचार करेगी। पूरा उत्तरी कोलकाता विरासतीय स्थलों से भरा हुआ है और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हमेशा विरासत को सहेजने के लिए प्रयासरत रहती हैं फिर वह चाहे मिठाई हो या इमारत।

 

दास का कहना है कि उनका ओडिशा के साथ कोई झगड़ा नहीं है। हर कोई जानता है कि रसगुल्ला बंगाल का उत्पाद है जैसे कि छैनापोड़ा ओडिशा का। क्षेत्र के सभी राज्यों को अपने मूल स्वाद की रक्षा के लिए साथ मिलकर काम करना चाहिए और केक और पेस्ट्री के साथ मुकाबला करना चाहिए। ओडिशा का दावा है कि रसगुल्ले का आविष्कार 12वीं सदी में जगन्नाथ पुरी में हुआ था।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: rasgulla, patent debate, west bangal, odisha, रसगुल्ला, पेटेंट, पश्चिम बंगाल, ओडिशा
OUTLOOK 26 August, 2015
Advertisement