गर्मियों की छुट्टियों में यहां न जाएं
गर्मी है तो, 'चलो शिमले चलते हैं।’ वहां हो आए हैं तो 'मनाली भी तो देखना है।’ अगर खूब 'हिल स्टेशन’ घूम लिए हैं तो चलो कुछ भक्ति कर लेते हैं। अमूमन औसत भारतीय परिवारों के लिए घूमने का मतलब सिर्फ गर्मियों की छुट्टियों का वक्त होता है। पहाड़, कोई मंदिर ज्यादा हुआ तो समुद्री तट और सोच लिया तो कोई अभयारण्य। इससे ज्यादा घूमने के बारे में सोचने की जहमत कम ही लोग उठाते हैं। पूरे साल गृहलक्ष्मी जो लक्ष्मी बचाती है, मार्च के महीने में कंपनी जो टैक्स काट कर रहम करती है उस पैसे से एक मध्मवर्गीय परिवार छुट्टी की योजना बनाता है। बच्चों की गर्मी की छुट्टियां होने के बाद उन्हें पूरे दिन घर पर रखना वैसे भी माता-पिता की सेहत के लिए अच्छा नहीं होता। बस फिर क्या है, शिमले, मनाली, माता रानी, साई बाबा के सिवा कुछ सूझता नहीं सो गाड़ी वहीं चल पड़ती है।
तो जनाब जब छुट्टियां इतनी ही कीमती हैं, तो ठीक से उनके लिए क्यों नहीं सोचते। क्या सरकार ने संविधान में लिखा है कि शिमले में छुट्टी नहीं मनाई तो उसे छुट्टी नहीं मानी जाएगी। आप कहां जाएं, कैसे जाएं, कब जाएं की जानकारी की तो कोई कमी नहीं है। इस लेख को पढ़ कर जानिए कि कहां, किस मौसम में कब बिलकुल न जाएं। यहां जा कर अपनी छुट्टियां खराब करने से तो अच्छा है घर पर बैठ कर सोनी टीवी पर सूर्यवंशम फिल्म ही देख लें। इन जगहों पर जाना और एक करोड़वीं बार आ रही सूर्यवंशम देखना एक बराबर है।
शिमला
कहां है - हिमाचल प्रदेश की राजधानी है। सबसे ज्यादा लोकप्रिय पर्यटन स्थल।
क्यों न जाएं - लाखों की संख्या में पर्यटक यहां आते हैं। पहले गर्मियों में गुलजार रहता था अब इस मौसम में भीड़ का गुबार रहता है। माल रोड पर चलते हुए ऐसा लगता है, जैसे दिल्ली के बल्लीमारान में पैदल चल रहे हैं। होटलों के दाम तीन गुना तक बढ़ जाते हैं।
एक फोटो खिंचवाने के लिए कम से कम बीस मिनट लगते हैं। क्योंकि कैमरे के सामने गुजर रहे लोगों को या तो आप 'एक्सक्यूज मी’ कह लीजिए या फिर अपनी मिलियन डॉलर स्माइल के साथ पोज बना लीजिए !
तो फिर कहां जाएं - यह लाख टके का सवाल है। वैसे अभी तक जिम कार्बेट, डलहौजी ऐसी जगहें हैं जहां सुकून है। जब तक वहां ऐसा आलम न हो वहां घूम लीजिए। आखिर आप परिवार के साथ छुट्टियां मनाने जा रहे हैं तो थोड़ा आराम, थोड़ी बात भी तो होनी चाहिए वरना घर का ड्राइंग रूम क्या बुरा है।
कब जाएं - अगर शिमला एक भी बार नहीं देखा है तो जाहिर सी बात है एक बार तो जाना चाहेंगे न। और अगर एक बार गए और पसंद आया तो दोबारा देखने की इच्छा हो सकती है। अगर कोई कहे कि ऑफ सीजन तो शिमला में अब ऑफ सीजन जैसा कुछ नहीं रह गया है। पर हां दीपावली के आसपास मौसम भी अच्छा रहता है और पर्यटकों का 'मौसम’ भी नहीं रहता।
मसूरी
कहां है – उत्तराखंड, देहरादून जिले में।
क्यों न जाएं - ऐसा नहीं है कि आप यहां न जाएं। जाएं बिलकुल जाएं बस गर्मियों में न जाएं। यह ठीक है कि छुट्टी गर्मी में आसानी से मिलती है, पर यदि यहां जाकर कैंपटी फॉल में छप-छप न किया तो क्या किया। गन हिल तक रोप-वे से पहुंचने के चक्कर में घंटों कतार में ही खड़े रहना पड़े, लेक मिस्ट तक पहुंचने के लिए सवारी की भागदौड़ हो तो बताइए कैसे मजा आएगा।
तो फिर कहां जाएं - धनोल्टी इससे बेहतर विकल्प है। मसूरी चंबा रोड पर। चंबा की ओर मसूरी से मात्र 25 किलोमीटर की दूरी पर।
कब जाएं - धनोल्टी भी बहुत पर्यटक जाते हैं। फिर भी यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या मसूरी के मुकाबले कम है, सो गर्मियों में भी जा सकते हैं।
शिर्डी
कहां है - महाराष्ट्र में, जिला-अहमदनगर।
क्यों न जाएं - भक्तों के लिए कोई मौसम, दिन, त्योहार, तारीख या महीना नहीं होता। गर्मियों में इसलिए न जाएं क्योंकि यहां तामपान पूरे शबाब पर होता है। बाबा के दर्शनों के लिए लंबी कतार में खड़े रहना हो सकता है आपके लिए तकलीफदेह हो सकता है। फैले हुए मंदिर प्रांगण में एक छोर से दूसरी छोर पर जाने के लिए आपको संगमरमर के तपते फर्श पर चलना पड़ सकता है। सबसे बड़ा कारण, हो सकता है आप बाबा के दर्शन के बजाय केवल एक झलक पा सकें, क्योंकि भीड़ नियंत्रित करने के लिए वहां किसी को रूकने नहीं दिया जाता।
तो फिर कहां जाएं - अगर केवल भक्ति दर्शन के लिए जाना है तो आसपास कोई विकल्प नहीं। अगर छुट्टियों में कहीं जाना है तो मुंबई के पास पंचगनी, मालशेज घाट।
कब जाएं - वैसे तो जब बाबा बुलाते हैं तभी आप दरबार में जाते हैं, ऐसा आपने सुना ही होगा। अगर योजना बनाएं तो सितंबर से फरवरी तक।
बागा, अंजुना समुद्री तट
कहां है - गोवा में।
क्यों न जाएं - क्योंकि गर्मियों में रेत बहुत गर्म हो जाती है। क्योंकि वहां आप रेत पर लेटने और खेलने का आनंद न उठा पाएं तो फिर क्या मजा। वहां जाकर भी रहने के लिए वातानुकूलित कमरे खोजने पड़े तो यात्रा का रोमांच ही खत्म हो जाएगा।
फिर कहां जाएं - कम से कम समुद्र के लिए तो इस मौसम में कोई विकल्प नहीं है। समुद्र तट देखना चाहें तो मौसम का इंतजार कीजिए। पर गोवा के साथ एक परेशानी यह भी है कि गोवा का मौसम यानी दिसंबर का अंतिम सप्ताह। जमाने भर की जनता नया साल मनाने गोवा पहुंचती है। तब समुद्र तट तो क्या सडक़ पर भी खड़े रहने की जगह नहीं मिलती।
कब जाएं - अक्टूबर मध्य से दिसंबर मध्य। जनवरी के दूसरे हफ्ते से मार्च के पहले हफ्ते तक।