भोपाल: पत्रकारिता विश्वविद्यालय में खुलेगी गौशाला, सोशल मीडिया गरम
भोपाल के माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय परिसर में जल्द ही गौशाला खुलने जा रही है। विश्वविद्यालय ने भोपाल के बांसखेड़ी में बनने वाले अपने नए परिसर में ‘गोशाला’ शुरू करने का फैसला किया है।
बीबीसी हिंदी की खबर के मुताबिक, कुलपति बीके कुठियाला ने बताया कि इस गौशाला से छात्रों को दूध, दही, मक्खन खाने को मिलेगा, वहीं गोबर गैस प्लांट के ज़रिये हॉस्टल में गैस की सप्लाई भी की जायेगी।" उन्होंने बताया कि परिसर में खेती करने का भी निर्णय लिया गया है जिससे ऑर्गेनिक सब्जियां उपलब्ध हो सकें।
विश्वविद्यालय के इस फैसले पर सोशल मीडिया में जमकर बहस हो रही है। कुछ लोग इसके पक्ष में दिख रहे हैं। वहीं कुछ लोग इसे गलत करार दे रहे हैं।
फेसबुक पर ललित कुमार नाम के एक यूजर ने लिखा है, “आज के नए भारत के विजन की एक खबर, देश के प्रमुख संस्थान माखन लाल चतुर्वेदी पत्रकारिता संस्थान में देश के युवा गौशाला में गाय का गोबर उठाना सीखेंगे। साथ साथ पत्रकारिता भी।”
विश्वविद्यालय के कुलपति आरएसएस से जुड़े हैं। जिसे लेकर लोग तंज कस रहे हैं। मृगेन पटेल ने लिखा कि शिक्षण संस्थाओं को चलाने के तौर तरीकों से लेकर आरक्षण पर आरएसएस की जो सोच है, भगवा सरकारें उसी एजेंडे को आगे बढ़ा रही है। जेएनयू के कुलपति परिसर में युद्ध टैंक रखवाने की बात कर रहे हैं तो माखन लाल चतुर्वेदी पत्रकारिता वि.वि. के कुलपति परिसर में गौशाला बनवा रहे हैं।
अभिसार शर्मा नाम के एक यूजर ने लिखा कि विश्वविद्यालय जल्द अपने परिसर में गौशाला खोलेगी। कुछ दिन पहले आईआईएमसी ने कैम्पस में यज्ञ करवाया था और एसआर कल्लूरी को बुलवाया था। क्या ऐसे माहौल में पत्रकार पढेंगे? और पैदा होंगे।
वहीं विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर संजय द्विवेदी का कहना है, “विश्वविद्यालय में जैसे कैंटीन चलती है, आउटसोर्सिंग से वैसे ही गौशाला भी चलेगी। हमारी विशेषज्ञता गौशाला चलाने या गौपालन की नहीं है। इसीलिए टेंडर का विज्ञापन देकर गौशाला चलाने की विशेषज्ञता रखने वाली संस्थाओं को आमंत्रित किया गया है। इसी विज्ञापन का आधार लेकर खबरें बनाने वाले पत्रकार उसके अर्थ यह निकाल रहे हैं कि यहां के छात्र ही गौशाला चलाएंगें।”
वहीं दिति नाम की एक यूजर ने इस फैसले के पक्ष में लिखा कि ऐसा बिल्कुल नहीं है। कैंपस में सब्जी भी उगाई जाएगी इसका विरोध क्यों नही किया। हर बार गाय को ही क्यों मुद्दा बना दिया जाता है। गौशाला और सब्जी का काम के आउटसोर्स से कराया जाएगा। इसका विश्वविद्यालय के छात्र स्टाफ से कोई लेना देना नही है। विश्विद्यालय की बची हुई जमीन पर गौशाला और सब्जी उगाने का काम किया जा रहा है तो ये गलत नही है। माखन लाल के छात्रों को ये नहीं कहा गया कि गौशाला का काम उनको करना है। गोबर उनको साफ करना है।
विश्वविद्यालय ने भले ही खेती और पशुपालन के लिए यह कदम उठाया हो लेकिन इस फैसले के बाद अब ‘गाय’ पर चर्चा एक बार फिर से तेज हो गई है।