‘गाय दो लत्ती मारकर निकल गई’
दिलीप मंडल- हां तो राष्ट्रपुरोहित मोहन भागवत जी, हो जाए आरक्षण की समीक्षा? करा लीजिए। पंजाब वाले भी ठोकने के लिए तैयार बैठे हैं। यूपी में तो वो धुलाई होगी कि आपकी पीढ़ियां तर जाएंगी और गुरु गोलवलकर और पंडित हेडगेवार अपनी कब्र में करवट बदलने लगेंगे।
मोहम्मद अनस- गाय बेहद सीधी सादी जानवर होती है। भाजपाईयों के साथ उसका रिश्ता लंबा चल ही नहीं सकता था। दो लत्ती मार के निकल गई।
समर अनार्य- पाकिस्तान में दीवाली मने या न मने, बिहारियों ने अमित शाह को मनाने लायक नहिये छोड़ा है मितरों।
शाहनवाज आलम बर्नी- गाय बचाने के नाम पर इंसान को कत्ल करने का नतीजा है बिहार,बिहार के बच्चे-बच्चे ने ये साबित कर दिया कि हिंदुस्तान में अमन पसंद लोगों की तादाद आज भी ज्यादा है। अब की बार अमन पसंद सरकार।
दिलीप खान- बाहरी भक्त तो बिहार को पाकिस्तान भिजवा दें, लेकिन बिहारी भक्त क्या करें? उनसे मेरी मोहब्बत भरी अपील है कि मनुष्य होकर सोचना शुरू कीजिए, ऑटोमेटिकली भक्त नहीं रह जाएंगे।
वसीम अकरम त्यागी-बिहार में जीतने वाले महागठबंधन के नेता राहुल, नितीश, लालू, मुसलमान नहीं हैं बल्कि उसी हिंदू बिरादरी के हैं,जिसके भाजपाई हैं। फिर भी इनकी जीत की दुआएं की गईं। अब इनकी जीत पर खुशियां जिस तरह मुसलमान मना रहे हैं, उस तरह तो इन्होंने भी नहीं मनाई होंगी। एक हिंदू की दूसरे हिंदू पर जीत पर खुशियां मनाने वाले ये मुसलमान पागल या दीवाने नहीं हैं। जानते हो क्यों ? क्योंकि ये मुसलमान को पाकिस्तान नहीं भेजते, मुसलमानों का मानसिक उत्पीड़न नहीं करते। इनके एजेंडे में हिंदूराष्ट्र नहीं बल्कि हिंदोस्तान होता है। ये दलितों आदिवासियों के आरक्षण खत्म करने की मांग भी नहीं करते।
वरुण- 65 साल की मेहनत से देश को खाकी चड्डी पहनाई थी, नादान बिहारियों ने उसे डेढ़ साल में ही फाड़ दिया।
गुप्ता गुंजन- गाय लव जिहाद हिंदुतत्व के अलावा मंहगाई बेरोजगारी शिक्षा कृषि और भी मुद्दे हैं जिन्हें बीजेपी लोकसभा चुनाव के बाद भूल गइ। ये उसी का परिणाम है।
इश्तियाक अहमद- बिहार की अवाम ने न सिर्फ मोदी-ब्रांड हिंदुत्व को नकारा बल्कि ओवैसी की मुस्लिम फिर्कापरस्ती को भी लात मार दिया। बिहार की अवाम जिंदाबाद।