‘प्यारी मौत शुक्रिया, अरुणा को ले जाने के लिए’
चार्ल्स असीसी- प्यारी मौत, शुक्रिया, आखिरकार अरुणा शानबाग पर दावे के लिए।
मनीष तिवारी- अरुणा शानबाग की हिम्मत को सलाम है। उन लोगों को भी सलाम है जिन्होंने 42 साल तक अरुणा की देखभाल की। भगवान जो शांति उन्हें धरती पर नहीं मिल सकी, वह उन्हें मौत के बाद जरूर देना।
संजीव कपूर- केईएम अस्पताल की नर्सों ने बता दिया है कि हम उन्हें ‘सिस्टर’ क्यों कहते हैं।
रश्मि पुराणिक- मुझे याद है अरुणा शानबाग की इच्छामृत्यु वाले मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक सुनवाई के दौरान मैं भी उपस्थित थी। मुझे एक लाइन अभी भी याद है कि जीने के अधिकार में इच्छामृत्यु शामिल नहीं है।
अशोक पंडित- केईएम के डॉक्टरों और नर्सों को बहुत बड़ी प्यार की झप्पी। सलाम।
अलका धूपकर- कानून के लंबे हाथ भारत की बेटी अरुणा के साथ न्याय नहीं कर सके। अरुणा का बलात्कारी सात साल बाद जेल से रिहा हो गया लेकिन अरुणा की सारी जिंदगी बरबाद कर गया।
प्रियंका वोहरा- केईएम अस्पताल की नर्स अरुंधति वेलहाल ने अरुणा के अंतिम संस्कार के लिए दस हजार रुपये दिए।
सतीश चप्पारिके- गुड बाय अरुणा। हो सके तो इस क्रूर दुनिया को माफ कर देना और मानव जात को भी।
तुषार ए. गांधी- अब अरुणा शानबाग की मौत के बाद उसके बलात्कारी पर हत्या का मुकदमा होना चाहिए।
अमृता शेडगे- 42 साल के संघर्ष का अंत।
प्रह्लाद पांडे- अरुणा शानबाग मरी नहीं है बल्कि भारत के हर कोने में हर दिन मरती हैं। वे तब तक मरती रहेंगी जब तक बलात्कार पर पूरी तरह से शिंकजा नहीं कस जाता।
समर अनारय- अरुणा शानबाग नहीं रहीं। बर्बर बलात्कार के बाद 42 वर्ष कोमा में रहने के बाद चली गईं। पर क्या वह उसी दिन नहीं चली गईं थीं जब उनके बलात्कारी पर बलात्कार का मामला तक नहीं दायर हुआ था? और उस दिन के बाद देश में हुए हर उस बलात्कार के साथ जिसमें अपराधियों को सजा तक नहीं हुई ? तब जब देश में कांग्रेस से बरास्ते जनता परिवार भाजपा तक, इंदिरा गांधी से बरास्ते वाजपेयी मोदी तक सारी सारी सरकारें रहीं हैं? आइये, बलात्कारियों के, बलात्कारियों के द्वारा, बलात्कारियों के लिए स्थापित गणतंत्र के हम सम्मानित नागरिक अरुणा पर रस्मी छाती पीट लें। अच्छा हुआ मौका मिल गया क्योंकि कल दिल्ली में हुआ सामूहिक बलात्कार 'आउटरेजियस एनफ' नहीं था न!
किशोर तिवारी- अरुणा शानबाग की देखभाल करने वाले स्टाफ को मैं सलाम करता हूं।
प्रवीण तिवारी- अरुणा शआनबाग कई सुलगते सवाल छोड़ गई है। उनके साथ 70 के दशक में बलात्कार हुआ था। इतने वर्षों बाद भी देश में स्थिति नहीं बदली। गांव से राजधानी तक बलात्कार हो रहे हैं। बलात्कार के बाद लड़कियां मारी जा रही हैं। अरुणा शानबाग और निर्भया के दर्द में कोई फर्क नहीं। हम और हमारी सरकार इतने सालों में कुछ नहीं कर पाई। संसद भी मौन है !
मुब्बासिर लातिफि- आखिरकार अरुणा शानबाग की मौत हो गई। वह 42 सालों से कोमा में थी। अस्पताल के वॉर्ड बॉय ने उनसे बलात्कार किया था। मेरे मन में लोहे के दिल वाली अरुणा के लिए असीम इज्जत है।
अजय नायक- अरुणा आखिरकार तुम्हें शांति और इज्जत मिल गई। जिसकी तुम हकदार थीं। तुम्हें इस क्रूर दुनिया से छुटकारा मिल गया।
स्वाति चक्रवर्ती- अरुणा तुम्हारी जिंदगी समाज के घिनौने और मानवीय दोनों पहलू की सुबूत है।