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19 August 2015

फेसबुक की रांग साइड ड्राइविंग- दिलीप मंडल

गूगल


जो लोग मेरे बारे में संदेह में हैं, उनसे सिर्फ यह कहना है कि अगर आपको अब भी नहीं मालूम कि मैं क्या लिख सकता हूँ और क्या नहीं, तो यह आपकी समस्या है। मैं आपकी मदद करने के मूड में नहीं हूँ। लेकिन फेसबुक, तुम्हें क्या हो गया है? हो सकता है कि तुम्हें हजारों की संख्या में शिकायतें मिली होंगी कि मेरा एकाउंट फ़र्ज़ी है। चला होगा कोई कैंपेन। लेकिन तुम्हारे पास मेरी आईडी है, फ़ोन नंबर है। एक बार पूछ लेते। कोई सरकारी पहचान माँग लेते। वेरिफाई कर लेते।

लेकिन तुमने बिना कुछ पूछे, एकाउंट डिसेबल कर दिया। क्यों? सरकार का दबाव था? या RSS की शिकायत थी? या आपके दफ़्तर के किसी जातिवादी स्टाफ़ की निजी खुन्दक है? किसी की भावना आहत हो गई है क्या? चलो बता भी दो। शर्माने की क्या बात है?

अगर मेरे लिखे से किसी को शिकायत है, किसी की मानहानि हुई है, शांति व्ववस्था को ख़तरा है, सौहार्द  नष्ट हो रहा है, IPC की किसी धारा का उल्लंघन हुआ है, तो कानूनी व्वस्थाओं के तहत कार्रवाई का रास्ता सबके लिए खुला है। लेकिन फेसबुक चलाने वाले, खासकर उसके इंडिया ऑफ़िस में बैठे लोग, बताएँ कि ऐसी किसी शिकायत के बग़ैर, आपने एक एकाउंट को डिसेबल करने का फैसला क्यों किया?

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कोई तो वजह होगी?

बताओ फेसबुक, क्यों बंद किया एकाउंट? वैसे तो रास्ता यह है कि मैं एक और एकाउंट खोल लूँ। लेकिन चोर दरवाज़े से मैं क्यों आऊँ? चोर दरवाज़े से, छिपकर एकाउंट बंद करने का काम तो तुमने किया है फेसबुक। शर्म आनी चाहिए। अब आपका यह क्लेम तो खंडित है कि आप विचारों और आइडिया के लिए एक सर्वसुलभ डेमोक्रेटिक मीडियम हैं।

फेसबुक,
क्या आपको पता है कि भारतीय संविधान में विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का विधान है। आप रॉंग साइड में चल रहे हो फेसबुक महोदय। मैंने आपका चालान काट दिया है।

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TAGS: दिलीप मंडल, फेसबुक, सोशल मीडिया, आलोचना, एकाउंट, dilip mandal, social media, facebook
OUTLOOK 19 August, 2015
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