फ्री बेसिक्स से दिलाना था एक खास कंपनी को फायदा: वोडाफोन
दूरसंचार कंपनी रिलायंस कम्यूनिकेशंस के साथ भागीदारी में सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक की मुफ्त योजना के तहत चुनिंदा वेबसाइट के जरिये मूलभूत इंटरनेट सेवा बगैर शुल्क के मुहैया करने की पेशकश की गई थी। लेकिन भारत में इसकी काफी आलोचना हुई क्योंकि आलोचकों का मानना था कि इससे नेट निष्पक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन होता है जिसके तहत समान शर्तों पर हर किसी को इंटरनेट सेवा उपलब्ध कराने का प्रावधान है चाहे सामग्री का सवाल हो या गति का।
इसी महीने फेसबुक ने इस संबंध में ट्राई के निर्देश के बाद इस विवादास्पद कार्यक्रम को बंद कर दिया था। वोडा फोन के मुख्य कार्यकारी कोलाओ ने सोमवार को बार्सेलोना में कहा, मेरे लिए महत्वपूर्ण यह है कि निष्पक्षता की रक्षा हो क्योंकि आप जानते हैं कि हम फेसबुक के प्रयोग का हिस्सा नहीं थे। मैंने हमेशा कहा है कि मुझे लगता है कि यह मॉडल एक प्रभावशाली कंपनी को अनुचित मदद कर रहा है। इसलिए यह कहना कि यह मॉडल अच्छा या बुरा है, मेरे लिए यह ज्यादा महत्वपूर्ण है कि किसी मॉडल से ज्यादा प्रतिस्पर्धा आती है ज्यादा सेवा दी जा सकती है। वह भारतीय दूरसंचार नियामक ट्राई द्वारा मुफ्त इंटरनेट सेवा पर प्रतिबंध के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे। हालांकि उन्होंने साफ किया कि मुफ्त सेवा शिक्षा समेत अन्य क्षेत्रों के लिए अच्छी हो सकती है।
यह पूछे जाने पर कि क्या मुफ्त सेवा की मंजूरी होनी चाहिए, कोलाओ ने कहा, यह परिप्रेक्ष्य और निष्पक्ष पहुंच पर निर्भर करता है। मसलन, शिक्षा के लिए। मुझे नहीं लगता कि कोई इस पर आपत्ति करेगा। नेट निष्पक्षता का समर्थन करते हुए दूरसंचार नियामक ट्राई ने विभिन्न किस्म की सामग्री के लिए अलग-अलग शुल्क दर पर प्रतिबंध लगा दिया था जिससे फेसबुक की विवादास्पद फ्री बेसिक्स और ऐसी अन्य योजनाओं को बड़ा झटका लगा था। कोलाओ ने कहा, भारतीय नियामक ने साफ किया है कि वह नहीं चाहता कि एक बड़ी कंपनी दूसरों के मुकाबले फायदा उठाए लेकिन इस मुद्दे पर अभी बहस जारी है और विश्व के विभिन्न हिस्सों में हमारे विचार अलग-अलग होंगे।