Advertisement
05 June 2017

प्रणय रॉय पर सीबीआई छापों को लेकर मीडिया में तीखी प्रतिक्रिया, आपातकाल से तुलना

FILE PHOTO

पत्रकारों द्वारा कहा जा रहा है कि इस कार्रवाई को सरकार ने दुर्भावनावश अंजाम दिया है। वहीं इसे मीडिया पर सरकार का हमला भी माना जा रहा है।  पत्रकार सागरिका घोष ने ट्वीट किया है “हम पत्रकारों की पीढ़ी के लिए प्रणय रॉय पत्रकारिता की अखंडता और नैतिक ईमानदारी का उदाहरण हैं। इस पर (आरोपों पर) विश्वास नहीं किया जा सकता।”

 

वहीं पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने इस पर आश्चर्य जताते हुए ट्वीट किया,  "2017 में 2010 के मामले के लिए प्रणय रॉय पर छापे? सीबीआई या आईटी को सार्वजनिक तौर पर ब्योरा देना चाहिए।"

Advertisement

 

 

पत्रकार जे गोपीकृष्णन ने ट्वीट कर बताया कि प्रणय रॉय और एनडीटीवी पर यह मामला दिसंबर 2010 में एम जे अकबर द्वारा रिपोर्ट किया गया था।

 

 

एम के वेणु ने इसकी तुलना आपातकाल से की है। उन्होंने ट्वीट किया, “प्रणय रॉय पर सीबीआई छापा संदेश है कि मीडिया सामान्य व्यवहार करे। सरकार निम्न श्रेणी के आपातकाल का सहारा ले रही है।”

 

पूर्व पत्रकार और आप नेता आशुतोष ने लिखा है, “यह शर्म की बात है कि अन्य समाचार टीवी चैनल एनडीटीवी / प्रणय रॉय की तरफ नहीं हैं, कल उन्हें भी टार्गेट किया जाएगा।”

 

जांच के समर्थन में पत्रकारों की टिप्पणी

कुछ पत्रकारों ने इस जांच को सही ठहराया। रोहित सरदाना तंज कसते हुए लिखा “मीडिया मालिक आईटी / सीबीआई / सुप्रीम कोर्ट से ऊपर होना चाहिए। अगर कुछ जांच की आवश्यकता होती है तो उन्हें बुक नहीं कर सकते।”

 

 

 

 

 

 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: sharp reaction, media, CBI, raids, pranoy Roy, emergency, Journalists, NDTV, BJP, SAMBIT PATRA
OUTLOOK 05 June, 2017
Advertisement