क्लब हाउस ऐप: सियासी एजेंडे का नया अखाड़ा, बनेगा दूसरा टि्वटर ?
अभी केंद्र सरकार ट्विटर से उलझी ही है कि एक और सोशल मीडिया ऐप देश की राजनीति में तहलका मचाने लगा है। हाल के दौर में पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव से लेकर कश्मीर में अनुच्छेद 370, लक्षद्वीप या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की कार्यशैली जैसे मुद्दों पर विवाद की सुर्खियों का ठिकाना 'क्लबहाउस' प्लेटफॉर्म रहा है। खास बात यह है कि क्लबहाउस से चर्चित हुए मुद्दे अब राजनैतिक एजेंडा भी तय करने लगे हैं। ताजा मामला 12 जून का है, जब सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह का क्लबहाउस पर ऑडियो चैट 'लीक' किया। पार्टी का दावा है कि दिग्विजय सिंह ने एक पाकिस्तानी पत्रकार के सवाल पर यह कहा कि अगर कांग्रेस की सत्ता में वापसी होती है तो पार्टी जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के मामले में पुनर्विचार कर सकती है। भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, ‘‘दिग्विजय सिंह पाकिस्तान की हां में हां मिला रहे हैं। अब इस मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी को जवाब देना चाहिए। यही नहीं, जब पाकिस्तानी पत्रकार ने दिग्विजय सिंह से 'मोदी से छुटकारा पाने' और 'कश्मीर नीति' पर सवाल पूछा, तब दिग्विजय सिंह ने उस पत्रकार को धन्यवाद दिया और कहा कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है, तो वे अनुच्छेद 370 पर पुनर्विचार करेंगे। उन्होंने हिंदू कट्टरपंथी का भी जिक्र किया। साफ है कि कांग्रेस राष्ट्रविरोधियों का क्लबहाउस है।’’ दिग्विजय सिंह ने जवाबी ट्वीट किया, ‘‘अनपढ़ लोगों की जमात को ‘शैल’ (करेंगे) और ‘कंसिडर’ (विचार करना) में फर्क शायद समझ में नहीं आता।’’
साफ है कि क्लबहाउस ऐप को सियासी घेराबंदी का जरिया बनाया जाने लगा है। इससे ऐप की बढ़ती लोकप्रियता भी जाहिर होती है। सिर्फ एक साल में दुनिया भर में इसे 2.5 करोड़ से ज्यादा लोगों ने डाउनलोड कर लिया है। भारत में क्लबहाउस मई 2021 से गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध हुआ है और 18 जून तक के आंकड़ों के अनुसार यहां इसके 50 लाख से ज्यादा डाउनलोड हो चुके हैं। एक्टिव यूजर करीब 20 लाख हैं। क्लबहाउस के डाउनलोड आंकड़े इसलिए अहम हो जाते हैं क्योंकि इसका इस्तेमाल कोई भी यूजर सीधे नहीं कर सकता है। उसे जब तक कोई यूजर इनवाइट (निमंत्रण) नहीं भेजता, वह क्लबहाउस का इस्तेमाल नहीं कर सकता।
क्या है क्लबहाउस
फेसबुक, ह्वाट्सऐप, ट्विटर, इंस्टाग्राम वगैरह सोशल मीडिया ऐप तो काफी लोकप्रिय हैं, जहां कोई न सिर्फ टेक्स्ट के जरिए अपनी बात कह सकता है, बल्कि उस पर वीडियो और फोटो भी पोस्ट कर सकता है। कुछ प्लेटफॉर्म पर लाइव भी हो सकता है। लेकिन क्लबहाउस ऐप पर आप ऐसा कुछ नहीं कर सकते हैं। इस मामले में यह औरों से अलग है। क्लबहाउस की ब्लॉग पोस्ट के अनुसार, ‘‘इसके जरिए आप सिर्फ आवाज से संपर्क करते हैं या अपनी बात कहते हैं। आपको अपने विचारों को कहते समय लोगों से आंखों के संपर्क के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है, आप क्या पहन रहे हैं, या आप कैसा दिखते हैं, इसकी चिंता करने की भी जरूरत नहीं है।’’
जाहिर है, क्लबहाउस एक ऑडियो चैट प्लेटफॉर्म है। यहां यूजर को शामिल होने के लिए पहले से मौजूद किसी यूजर से इनवाइट लिंक भेजा जाता है। उसे स्वीकार करने के बाद यूजर के सामने कई सारे वर्चुअल रूम की सूची प्रस्तुत हो जाती है। हर वर्चुअल रूम में किसी भी विषय पर चर्चा करने के लिए वक्ताओं का एक छोटा समूह होता है। यूजर जब चाहे वर्चुअल रूम को बदल सकता है और अपनी बात रखने का अनुरोध कर सकता है। ऐप की खास बात यह है कि यूजर किसी भी हालत में वीडियो स्ट्रीम करने के लिए अपने कैमरे को चालू नहीं कर सकते हैं या कुछ कहने के लिए टेक्स्ट का उपयोग नहीं कर सकते हैं। सब कुछ ऑडियो के रूप में ही कहा जाता है। क्लबहाउस की स्थापना मार्च 2020 में अल्फा एक्सप्लोरेशन कंपनी के पॉल डेविसन और रोहन सेठ ने की थी। शुरू में यह सिर्फ आइ-ओएस प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध था। लेकिन मई 2021 से यह पूरी दुनिया में आइ-ओएस के अलावा एंड्रॉयड प्लेटफॉर्म पर भी उपलब्ध है। अपनी विशिष्टता की वजह से इसकी वैल्युएशन 4 अरब डॉलर तक पहुंच गई।
दरअसल, ऐप न केवल आम लोगों, एक्टिविस्टों, नेताओं की पसंद बनता जा रहा है, बल्कि टेक्नोक्रेट भी इसे पंसद कर रहे हैं। मसलन, टेस्ला और स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क भी इस प्लेटफॉर्म पर पहुंच कर अपने विचार साझा कर चुके हैं। इसी तरह फेसबुक के संस्थापक मार्क जकरबर्ग भी भविष्य की तकनीकी पर चर्चा कर चुके हैं। मतलब यह कि ऐप का सभी वर्गों में दायरा बढ़ रहा है। इसका लोगों को प्रभावित करने और एजेंडा सेटिंग में इस्तेमाल बढ़ रहा है। ऐप के प्रति लोगों में स्वीकार्यता बढ़ने के बाद फेसबुक और ट्विटर भी इसी तरह की सेवा शुरू करने की तैयारी में हैं।
भारत में तेजी से बढ़ा दायरा
कंपनी के लिए भारत का बढ़ता बाजार कितना अहम है, वह फेसबुक की पूर्व एक्जीक्यूटिव और भारतवंशी आरती राममूर्ति को अंतरराष्ट्रीय मामलों की प्रमुख बनाने से दिखता है। आरती भारतीय बाजार को भी देखेंगी। उनका कहना है कि वे अपनी टीम के जरिए अलग ही नजरिया पेश करेंगी। सूत्रों के अनुसार क्लबहाउस भारत के बढ़ते बाजार को बेहद अहम नजरिए से देख रही है। ऐसे में आने वाले दिनों में भारतीय भाषाओं के वर्जन भी ऐप पर दिख सकते हैं। क्लबहाउस का दक्षिण भारत, खास तौर से केरल में काफी तेजी से विस्तार हुआ है। वहां कई छोटे-छोटे वर्चुअल रूम का इस्तेमाल लोग चर्चाओं के लिए कर रहे हैं। राज्य में बढ़ते दायरे का ही असर है कि केरल में क्लबहाउस पर हाल ही में लक्षद्वीप के मुद्दे पर राजनीतिक चर्चाएं शुरू हो गई हैं। मसलन, द डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया ने लक्षद्वीप में चल रहे विवाद पर चर्चा की है। इसी तरह की चर्चा कांग्रेस पार्टी ने भी क्लबहाउस के जरिए की है।
साफ है कि अब मत बनाने में क्लबहाउस का इस्तेमाल होने लगा है। इसी तरह के एक चैट लीक का पश्चिम बंगाल चुनावों में भी भाजपा ने इस्तेमाल किया था। 10 अप्रैल 2021 को पार्टी के आइटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने चैट लीक करते हुए बताया था कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने खुद यह स्वीकार किया है कि टीएमसी चुनाव हार रही है और भाजपा को बहुमत मिल रहा है। हालांकि परिणामों में वैसा नहीं हो पाया जैसा कि अमित मालवीय दावा कर रहे थे। लेकिन यह साफ हो गया है कि क्लब हाउस का एक टूल के रूप में राजनीति में इस्तेमाल होता रहेगा। सोशल मीडिया ऐप की लोकप्रियता के साथ-साथ विवाद भी बढ़ने शुरू हो गए हैं। मसलन, जून के महीने में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को लेकर भी विवादित चर्चा सामने आई है, जिसमें एक पूर्व पत्रकार की चर्चा में एक श्रोता ने अपनी समलैंगिकता को साबित करने के लिए संघियों (आरएसएस) का जिक्र किया है।
क्लबहाउस पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करते भाजपा नेता संबित पात्रा
ऐसा नहीं है कि क्लबहाउस में होने वाली चर्चाओं पर केवल भारत में विवाद शुरू हुआ है। दुनिया के दूसरे देशों में भी ऐसा ही कुछ हो रहा है। उस पर नस्लवाद, ईसाई धर्म के खिलाफ लोगों को भड़काने और अल्पसंख्यकों को चोट पहुंचाने के आरोप लग रहे हैं। उदाहरण के तौर पर पेरिस में क्लबहाउस के एक वर्चुअल रूम पर आतंकवाद के संबंध में झूठी जानकारी फैलाने का आरोप लगा है। कहा गया कि हाल ही में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने इस्लामिक कट्टरवाद के खिलाफ काफी सख्त कदम उठाए हैं। इसके बाद से उनके खिलाफ असंतोष बढ़ा है।
ऐसा ही मामला अप्रैल 2021 में अमेरिका में सामने आया। वहां 200 लोगों के एक समूह ने वर्चुअल रूम में यहूदियों के संबंध में आपत्तिजनक बातें कहनी शुरू कर दी थीं। वर्चुअल रूम में ये लोग यह बताने की कोशिश कर रहे थे कि कैसे यहूदियों ने अमेरिकी फेडरल रिजर्व पर कब्जा कर रखा है और उनके प्रभाव से आर्थिक नीतियां बनाई जा रही हैं। साथ ही कैसे यहूदियों ने गुलाम प्रथा को अटलांटिक क्षेत्र में बढ़ावा दिया और अल्पसंख्यकों को मोहरा बनाकर लोगों का नरसंहार करवाया। यह विवाद इतना बढ़ गया कि क्लबहाउस ऐप ने उस समूह पर प्रतिबंध लगा दिया। इस्तेमाल बढ़ने के साथ-साथ ऐप को लेकर विवाद भी शुरू हो गए हैं। इसी तरह का विवाद प्राइवेसी को लेकर भी उठ रहा है। फोर्ब्स डॉटकॉम के अनुसार, ‘‘क्लबहाउस ऐप पर जब कोई साइन-इन करता है तो उसे अपने सभी कॉन्टैक्ट ऐप के साथ शेयर करने की अनुमति देनी पड़ती है। इसके अलावा वार्तालाप के समय ऐप लोगों की आवाज की रिकॉर्डिंग भी करता है।’’ इस पर क्लबहाउस का कहना है कि ऐसा वह केवल इसलिए करता है कि किसी जांच के समय उसे सबूत के तौर पर पेश किया जा सके। हालांकि रिकॉर्डिंग अस्थायी होती है।
इन्हीं आरोपों के मद्देनजर चीन, ओमान और घाना ने ऐप के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है। फरवरी 2021 में चीन की सरकार ने ऐप पर प्रतिबंध लगाया। ऐसा माना जा रहा है कि क्लबहाउस पर हांगकांग में लोकतंत्र समर्थक आंदोलन, शिनजियांग में मुस्लिम उइगरों की सामूहिक गिरफ्तारियां और ताइवान की स्वतंत्रता जैसे मुद्दों पर काफी चर्चा हो रही थी। इसी के मद्देनजर चीन की सरकार ने यह कदम उठाया। इन विवादों के बीच भारत में आइटी कानून के नए नियम 26 मई से लागू हो गए हैं। ऐसे में जिस तरह से क्लबहाउस की भारत में लोकप्रियता बढ़ रही है, उससे आने वाले दिनों में उस पर सबकी नजर रहेगी।
क्या है क्लबहाउस ऐप
पूरी तरह ऑडियो चैट वाला सोशल मीडिया ऐप
ऐप पर टेक्स्ट, वीडियो, फोटो का इस्तेमाल नहीं हो सकता
केवल इन्वाइट के जरिए ही ऐप से जुड़ा जा सकता है
इन्वाइट स्वीकार करने के बाद यूजर कई सारे वर्चुअल रूम से जुड़ सकता है
यूजर अपनी इच्छा के अनुसार विभिन्न विषयों की चर्चाओं में भाग ले सकता है
वर्चुअल रूम में कुछ प्रमुख वक्ता होते हैं
देसी भाषा में कहें तो गपशप का नया अड्डा है
ऐप पर नस्लवाद, झूठी सूचनाएं फैलाने के लगे हैं आरोप
दिग्विजय ने क्लबहाउस की एक चर्चा में पार्टी के सत्ता में आने पर जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 पर पुनर्विचार की बात कही तो हुआ विवाद