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21 February 2021

‘बहाना नहीं बहाली चाहिए, मोदी रोजगार दो’, केंद्र और SSC के खिलाफ युवाओं ने सोशल मीडिया पर क्यों छेड़ी मुहिम

Outlook/ Jitendra Gupta/ File Photo

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2013 में 16वीं लोकसभा चुनाव के दौरान उस वक्त की मौजूदा कांग्रेस की अगुवाई वाली मनमोहन सरकार को घेरते हुए कहा था, “कांग्रेस की सरकार ने वादा किया था कि सरकार बनेगी तो वो हर साल एक करोड़ नौजवानों को रोजगार देंगे। लेकिन, कितने लोगों को रोजगार दिया।“ पीएम मोदी का दूसरा कार्यकाल पीएम 2.0 चल रहा है। अब देश के युवाओं ने केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ हल्ला-बोल दिया है। युवा ट्वीटर और सोशल मीडिया के जरिए केंद्र और सरकारी संस्थानों से पूछ रहे हैं कि “बहाना नहीं बहाली चाहिए, मोदी रोजगार दो”। युवाओं का ये गुस्सा रविवार को दिनभर ट्वीटर पर तैरता रहा और ट्रेंड करता रहा।

दरअसल, सरकारी नौकरी की ताक में बैठे युवाओं का आपा खोता जा रहा है। सिस्टम की लेटलतीफी और भ्रष्टाचार को लेकर बीते कई सालों से छात्र संघर्ष कर रहे हैं और सवाल उठा रहे हैं। दो-तीन सालों की प्रतियोगिता परीक्षा का रिजल्ट और प्रक्रिया ठंड बस्ते में है।

बीते साल भी जब कोरोना महामारी की वजह से कई प्रतियोगी परिक्षाएं को स्थगित कर दिया था तो युवाओं ने “मैं भी बेरोजगार” अभियान चलाया था। दरअसल, 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले पीएम मोदी ने “मैं भी चौकीदार” अभियान चलाया था जिसको युवाओं ने बढ़ती बेरोजगारी दर के बीच आड़े हाथ लिया और केंद्र के खिलाफ मुहिम छेड़ दी।

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अब युवाओं ने हैशटैग “मोदी रोजगार दो” कैंपेनिंग की शुरूआत कर रहे हैं। तैयारी कर रहे छात्रों का कहना है कि कर्मचारियों का चयन करने वाली संस्थान स्टाफ सेलेक्शन कमिशन (एसएससी) अब “स्लो सेलेक्शन कमिशन” बन गया है। परीक्षा में पारदर्शिता पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। 25 फरवरी से छात्र इस मुहिम की शुरूआत कर रहे हैं। प्रतियोगिता की पढ़ाई कर रहे छात्र और पढ़ा रहे शिक्षक भी केंद्र और चयन आयोग के खिलाफ हैं। इसमें ऑनलाइन कोचिंग और कई वेबसाइट के माध्यम से पढ़ा रहे शिक्षकों ने भी हल्ला बोल का ऐलान कर दिया है।

दरअसल, युवाओं की ये मुहिम 19 फरवरी को सीजीएल 2019 के टीयर-2 के रिजल्ट जारी किए जाने के बाद शुरू हुआ है। आउटलुक से बातचीत में एक छात्र नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं, “टीयर टू की परीक्षा तीन चरणों में 15, 16 और 18 नवंबर को आयोजित की गई थी। आयोग के मुताबिक 18 नवंबर का पेपर आसान था और छात्रों ने काफी अच्छा यानी 200 अंक की परीक्षा में कुल 200 अंक हासिल किया।“ आगे वो बताते हैं, “जब सीजीएल का रिजल्ट आया तो कई ऐसे छात्र जिन्होंने अंसर की के मुताबिक अच्छा स्कोर किया था, लेकिन लिस्ट में उनका नाम नहीं है। घोषित कट ऑफ से 100 मार्क्स तक काट दिए गए हैं जिन्होंने 18 नवंबर को परीक्षा दिया था वही कइयो के 70 से 80 नंबर बढ़ा दिए गए जिन्होंने 15, 16 नवंबर को परीक्षा दिया था।“ छात्रों का आरोप है कि वो इस बात को समझने में नाकाम है कि किस प्रक्रिया के तहत ये किया गया।

एसएससी की वेबसाइट के मुताबिक जारी टीयर वन और टीयर टू के कुल 600 अंक में जनरल का कट्-ऑफ 528 है जबकि एसटी का 405, एससी का 434, ओबीसी का 478 और ईडब्ल्यूएस का 466 जारी किया गया। छात्रों का कहना है कि नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया की वजह से इससे छात्रों का काफी नुकसान हो रहा है। कैरियर खत्म हो रहा है। जिन्हें आंसर की के मुताबिक इससे 100 नंबर तक अधिक मिले थे वो भी इस लिस्ट में नहीं हैं।

छात्र और शिक्षक लगातार घटती सीटों की संख्या को लेकर भी सवाल उठा रहे हैं। गणित के शिक्षक गगन प्रताप चयन के लिए जारी सीटों की हर साल घटती संख्या पर भी सवाल उठाया हैं। अपने सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से जारी एक आंकड़े के मुताबिक एसएससी सीजीएल की 2012 में 16119, 2013 में 16114, 2014 में 15549, 2015 में 8561, 2016 में 10661, 2017 में 8134, 2018 में 11271, 2019 में 8582 और 2020 में 6506 पोस्ट जारी किए गए। यानी हर साल सीटों की संख्या घटती चली गई। हालांकि, आउटलुक इन आंकड़ों की पुष्टि नहीं करता है। छात्रों का ये भी कहना है कि एसएससी वेटिंग लिस्ट प्रक्रिया को नहीं शामिल की हुई है, जो होना चाहिए। जो सेलेक्टेड छात्र ज्वाइन नहीं करते हैं वो सीटें इस प्रक्रिया के न होने की वजह से खाली रह जाती है।

वहीं, अभिनय शर्मा प्रतियोगी परीक्षा के लिए अनएकेडमी प्लेटफॉर्म और अपने यूट्यूब चैनल के जरिए छात्रों को गणित पढ़ाते हैं। अभिनय शर्मा ने शनिवार की शाम को एक वीडियो जारी करते हुए केंद्र और एसएससी पर कई सवाल उठाए हैं। इसके अलावा शिक्षक गगण प्रताप ने भी अपने वीडियो के माध्यम से सेलेक्शन प्रक्रिया पर और जारी रिजल्ट पर सवाल उठाए हैं। शिक्षकों का कहना है कि इस बार के रिजल्ट के साथ मार्क्स जारी नहीं हुए हैं क्योंकि आयोग बच्चों को भ्रम में रखना चाहती है। 

एसएससी द्वारा रिजल्ट के मुताबिक कहा गया है कि टीयर-टू का परिणाम टीयर-थ्री की परीक्षा परिणाम के साथ जारी किया जाएगा। आउटलुक से बातचीत में दिल्ली के साकेत में तैयारी कर रहे छात्र अंकित मिश्रा कहते हैं कि पहले तीन से चार दिनों में अंक जारी कर दिए जाते थे लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है। वहीं, बीते साल "स्पीक रेलवे-एसएससी" अभियान का भी आयोग पर कुछ असर नहीं हुआ है। सिर्फ तारीखों का ऐलान किया जा रहा है जबकि रिजल्ट पेंडिंग हैं। सबसे बड़ी समस्या परीक्षा सेंटर को लेकर भी है। छात्रों को पेपर के लिए 500 किलोमीटर के दायरे में या दूर सेंटर दिया जा रहा है। जबकि कई परीक्षाएं ऑनलाइन हो रही है। 

शिक्षकों का कहना है कि आयोग पेपर का लेवल क्यों नहीं बढ़ाती है। आयोग किस आधार पर ये तय करती है कि कौन-सा पेपर हल्का है और कौन सा भारी। उस छात्र की क्या गलती है जो उस शिफ्ट में शामिल हुआ जिसमें उसने अधिकत्तम स्कोर प्राप्त किये। अभी तक चयन आयोग की तरफ से कोई बयान नहीं जारी किया गया है।

 

 

 

 

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TAGS: Social Media, competitive students, bahana nahi behali chahiye, modi rojgar do, Modi Center, SSC, social media, Staff Selection Campaigning, Neeraj Jha, नीरज झा, CGL Results 2019
OUTLOOK 21 February, 2021
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