प्रधानमंत्री को ललकारती कत्ल हुए बाप और बेटी की सेल्फी
निशरीन की अपने पिता एहसान जाफरी के साथ इस तस्वीर ने सोशल मीडिया पर #SelfieWithDaughter मुहिम की प्रशंसा में बिछे जा रहे लोगों को न केवल चुप करा दिया है बल्कि बहुत से लोगों को भावुक भी कर दिया है। अनगिनत लोगों ने निशरिन जाफरी के साथ होने की बात कही। उनकी मांग को वाजिब ठहराया। यही नहीं,इस तस्वीर ने दंगों की खून से सनी यादें ताजा कर दीं। निशरीन ने अपने फेसबुक पेज पर यह तस्वीर शेयर करते हुए लिखा- #SelfieWithDaughter: यह एक चीज उसे हमेशा डराती रहेगी। (This one will haunt him for ever)
बस यह पोस्ट करते ही जिसने भी इस पोस्ट को देखा और पढ़ा वह कुछ देर वहीं थम गया। फिर शुरू हो गया निशरिन के हक में टवीट्स और टिपण्णियों का न रुकने वाला सिलसिला। अपने फेसबुक पेज पर मीनू जैन ने लिखा- ‘ प्रधानमंत्री जी, एक पिता- बेटी की' सेल्फी ' भेज रहे हैं, इसे जरूर पोस्ट कीजिएगा अपने टि्वटर अकाउंट से, आपके रहमोकरम से इस बेटी के जीवन में यह लम्हा फिर कभी लौटकर नहीं आएगा। इस लिहाज से यह तस्वीर और भी अहम बन जाती है कि पिता एहसान जाफरी अपनी प्यारी बेटी निशरीन जाफरी हुसैन के साथ हैं
दिलीप सी.मंडल लिखते हैं‘ मोदी की अंतरात्मा पर एक बेटी की दस्तक! In solidarity with human values. #SelfieWithDaughter इंसानियत के हक में। क्योंकि इंसानियत बचेगी, तो बाकी सब बचेगा। गुजरात दंगों में मारे गए पूर्व सांसद एहसान जाफरी और उनकी बेटी की तस्वीर। गौतम वीर सिंह ने लिखा -‘दुखती रग पर हाथ रख दिया।’
हालांकि इस तस्वीर के पोस्ट होने के कुछ घंटो बाद एक खास वर्ग में #SelfieWithDaughter की नायाब पहल ने बहस का एक तीखा रूप ले लिया। गोधरा कांड, गुजरात दंगे वगैरह..वगैरह...। यही नहीं टि्वटर पर हैशटैग #SelfieWithDaughte के तहत मुठभेड़ में मारी गई इशरत जहां की मां की उसकी लाश के साथ तस्वीर पोस्ट की गई। राणा अयूब ने टवीट किया #SelfieWithDaughter इस तस्वीर को मोदी सरकार को शर्मिंदा कर देना चाहिए। एहसान जाफरी के साथ निशरीन।
क्या है एहसान जाफरी का मामला
अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसाइटी में एहसान जाफरी का भरा पूरा आशियाना था लेकिन 28 फरवरी 2002 की मनहूस दोपहर उनका सब लुट गया। कुछ दंगाइयों ने सब कुछ आग के हवाले कर दिया। गुजरात दंगे में एहसान जाफरी के साथ-साथ कुल 69 लोग मारे गए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप है कि उन्होंने और उनके प्रशासन ने एहसान जाफरी की मदद की गुहार ठुकरा दी थी। तब से लेकर आज तक एहसान जाफरी की विधवा जाकिया जाफरी मोदी के खिलाफ लड़ाई लड़ रही है। इस लड़ाई में कई मानवाधिकार संगठनों ने उनका साथ दिया। जाकिया को 24 अप्रैल 2009 को सबसे महत्वपूर्ण कामयाबी मिली थी। इसी दिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए एसआईटी को पूरे मामले की जांच के आदेश दिए थे।
तीस्ता सेतलवाड़ को फेसबुक पर एक खुले खत में निशरीन जाफरी हुसैन
प्यारी तीस्ता,
आपके लिए अम्मी (ज़किया नसीम जाफ़री) की ओर से एक संदेश है। दोषियों को न्याय तक लाने के लिए आप और आपके हौसले ने उनको और बाकी पीड़ितों की जिंदगियों को ताकत और अमन बख्शा है। हर रोज वो आपकी जीत और हिफाजत की दुआएं करती हैं। उनके लफ्जों में, “मेरा रोम-रोम तुम्हारे लिए दुआ करता है, मेरा दिल जानता है कि तुम्हारा हर कदम, गुजरात के मजलूमों की मदद में जुड़ा है। मेरी दुआएं तुम्हारे साथ हैं, हमारा दुख, हमारे साथ जो बीता है,वो तुम से बेहतर कोई नहीं जानता है। हमें पूरा यकीन है कि तुम्हें कामयाबी जरूर मिलेगी, हिंदुस्तान के लोग तुम्हारे साथ हैं।”
“ऊपर वाले के घर देर है, अंधेर नहीं,”
लोग हंसती हुई आंखों पे यकीं रखते हैं,
मेरे आंसू, मेरे जज्बात कोई क्या जाने
एक तू है जिसे मालूम हैं सारी बातें
शब ए हिजरां, मेरे हालात कोई क्या जाने
ढेर सारे प्यार के साथ,
जकिया नसीम जाफरी