सीमेंट के विज्ञापन में मॉडल बनीं मजदूर
आजकल टेलीविजन पर अल्ट्राट्रेक सीमेंट का एक नया विज्ञापन आ रहा है, बला की खूबसूरत मॉडल्स, ग्रीक देवता की तरह शरीर सौष्ठव का प्रदर्शन करते पुरुष अदा से आ-जा रहे हैं। सफेद कपड़ों में सजे-धजे ये मॉडल्स एक निर्माणधीन इमारत में काम कर रहे हैं। लड़कियां सीमेंट-बालू मिला रही हैं, लड़के कंधों पर सीमेंट की बोरियां ढो रहे हैं। और इस खूबसूरत मेहतन का परिणाम? एक खूबसूरत इमारत जो मजबूत के साथ-साथ खूबसूरत भी है।
यह कल्पना की उड़ान है या गरीब मजदूरों की अनदेखी। सीमेंट के विज्ञापनों में भी अब मजबूती की जगह खूबसूरती ने ले ली है। क्या कोई इमारत इसलिए अच्छी होगी कि वह खूबसूरत है। या फिर उसका मजबूत होना भी जरूरी है।
क्या एक खूबसूरत इमारत के लिए उसे बनाने वाले का भी खूबसूत होना जरूरी है। क्या विज्ञापन बनाने वालों ने कभी किसी निर्माणधीन स्थल पर पसीना बहाते मजदूरों को नहीं देखा? सौंदर्य जीवन का अभिन्न पहलू है, पर क्या मेहनतकशों से अब उनके हिस्से का यह अधिकार भी छीन लिया जाएगा। किसी खूबसूरत इमारत के पीछे मेहनत दिखाई जाए तो ज्यादा बेहतर हो। सौंदर्यबोध अच्छी बात है मगर इस काल्पनिक सौंदर्यबोध को हास्यास्पद नहीं हो जाना चाहिए।
अल्ट्राटेक सीमेंट आदित्य बिरला समूह का उत्पाद है। सीमेंट कंपनियों में छिड़ी जंग में लगता है बिरला समूह कहीं भी कमतर होना नहीं चाहता। अब समूह के निदेशकों को कोई यह समझाए कि ठेकेदारों, मजदूरों को सौंदर्य नहीं सुरक्षा ज्यादा समझ में आती है।