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26 March 2016

इंसानों में विभेद करना जाते हैं अंटार्कटिक के पक्षी

दक्षिण कोरिया में कोरियाई ध्रुवीय शोध संस्थान और इन्हा विश्वविद्यालय के शोधार्थियों ने अंटार्कटिका में पाए जाने वाले भूरे रंग के सामुद्रिक पक्षी पर कई प्रयोग किए और इस नतीजे पर पहुंचे।

वह सप्ताह में एक बार पक्षियों के प्रजनन की निगरानी के लिए उनके घोंसले को देखने जाते और वह पक्षी बार- बार शोधार्थियों पर हमला करते।

पक्षियों की प्रवृत्ति जांचने के लिए शोधार्थियों ने जांचकर्ताओं की जोड़ियां बनाईं। इनमें से एक जोड़ी पक्षियों के घोंसले में घुसपैठ की कोशिश करती, जबकि दूसरी जोड़ी तटस्थ रह कर सिर्फ मुआयना कर वापस आ जाती।

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सभी सातों समुद्री पक्षियों के जोड़ों ने उन जांचकर्ताओं पर हमला और उनका पीछा किया जो उनके घोंसले में घुसपैठ की कोशिश करते थे लेकिन जो जांचकर्ता तटस्थ रहते उन पर पक्षियों ने कभी हमला नहीं किया।

इन्हा विश्वविद्यालय के पीएचडी छात्रा येओंग डेको हान ने बताया, मुझे समुद्री पक्षी के हमले से खुद को बचाना पड़ा। हान ने कहा, जब मैं एक अन्य शोधार्थी के साथ वहां गया तो पक्षी उड़कर मेरे उपर आ गए और मुझ पर हमला किया। यहां तक कि मैंने अपने कपड़े भी बदल लिए तब भी उन्होंने मेरा पीछा किया। मुझे ऐसा लगा कि पक्षी जानते हैं कि मैं कौन हूं और मैंने क्या पहना है इससे उन्हें फर्क नहीं पड़ता।

शोध का नेतृत्व करने वाले कोरियाई ध्रुवीय शोध संस्थान के एक वरिष्ठ शोधार्ती वॉन यंग ली ने बताया, यह अभूतपूर्व है कि जो भूरे समुद्री पक्षी मानव रहित पर्यावास में बड़े हुए और वहीं रहे। वे मात्रा तीन से चार भ्रमण के बाद अलग-अलग इंसानों में भेद कर लेते हैं। इससे दिखता है कि उनके पास काफी उंचे स्तर का संज्ञानात्मक कौशल है।

शोधार्थियों ने बताया कि अंटार्कटिक के समुद्री पक्षियों के संज्ञानात्मक कौशल पर पहले कोई अच्छा अध्ययन नहीं हुआ है। यह शोध एनिमल कॉन्गिनिशन जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

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TAGS: antarctic birds, animal Cognition journal, अंटार्कटिक, एनिमल कॉग्निशन जरनल
OUTLOOK 26 March, 2016
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