खगोलविदों ने खोजी रहस्यमय फ्रैंकेंस्टीन आकाशगंगा
एक नए अध्ययन में आकाशगंगा यूजीसी 1382 के बारे में नए खुलासे किए गए हैं। पहले वैज्ञानिकों का मानना था कि यह एक पुरानी, छोटी और दूसरी आकाशगंगाओं की तरह एक आकाशगंगा है। बाद में इसका अध्ययन नासा के टेलिस्कोपों और अन्य वेधशालाओं के आंकड़ों का उपयोग कर किया गया और पता चला कि यह आकाशगंगा अनुमान से दस गुना अधिक बड़ी है और दूसरी आकाशगंगाओं की तरह नहीं है। इसका अंदरूनी हिस्सा बाहरी हिस्से की तुलना में नया है और कुछ इस तरह का है मानो वह बचे हुए हिस्सों से बना है।अमेरिका स्थित कॉनर्जी इंस्टीट्यूशन फॉर साइंस के मार्क सैबर्त ने बताया यह दुर्लभ फ्रैंकेंस्टीन आकाशगंगा बनी और बची इसलिए है क्योंकि यह ब्रमांड के भीड़ वाले हिस्से से अलग स्थित है। उन्होंने कहा यह इतनी सुकुमार है कि अन्य आकाशीय ग्रहों का मामूली सा टहोका भी इसे विघटित कर देगा।
सैबर्त और पेन्सिलवानिया स्टेट यूनिवर्सिटी में स्नातक के छात्रा ली हेजन ने तारों के निर्माण की प्रक्रिया का पता लगाते समय अचानक ही इस आकाशगंगा को खोज लिया। उन्होंने पाया कि करीब 718,000 प्रकाश वर्ष दूर स्थित यूजीसी 1382 मिल्की वे से सात गुना अधिक चौड़ी है। ज्यादातर आकाशगंगाओं में अंदरूनी हिस्सा सबसे पहले बनता है जहां पुराने तारे होते हैं। जैसे जैसे आकाशगंगा विकसित होते जाती है इसका बाहरी हिस्सा विकसित होता जाता है। बाहरी हिस्से में नए तारे होते हैं। लेकिन यूजीसी 1382 के साथ एेसा नहीं है। इसका बाहरी हिस्सा पुराना और अंदरूनी हिस्सा नया है। अध्ययन के नतीजे एस्टोफिजिकल जर्नल में प्रकाशित हुए हैं।