हाथी के मल से पर्यावरण अनुकूल कागज का उत्पादन
टाटा ग्लोबल बेवरेजिस के सहयोग से चल रहे सृष्टि वेल्फेयर सेंटर के तहत हस्तनिर्मित कागज निर्माण इकाई अतुल्य के सदस्य हाथी के मल को पुनर्चक्रित कर कागज बना रहे हैं।
मुन्नार से कुछ ही किलोमीटर दूर स्थित इस इकाई में पारिस्थितिकी के लिहाज से अनुकूल कागज बनाने में हाथी के मल के साथ ही सूती कपड़े की कतरन और सफेदा की पत्तियों, गेंदा के फूलों कुछ प्राकृतिक तत्वों, नारियल की जटाओं और पपीते के पत्तों समेत कुछ प्राकृतिक तत्वों का इस्तेमाल किया जाता है।
अतुल्य की अधिकारी मालती भास्कर ने प्रेस टस्ट को कहा कि इकाई में दफ्तर में इस्तेमाल में आने वाली हर तरह की स्टेशनरी का उत्पादन होता है जिनमें कई किस्म के कागज, कागज के थैले, लिखने के पैड, लिफाफे और कागज की फाइलें शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि गेंदे की पंखुडि़यों, लेमन ग्रास आदि प्राकृतिक तत्वों और हाथी के मल से तैयार कागज को लोग हाथों हाथ ले रहे हैं।
उन्होंने पीटीआई को बताया, सारे उत्पाद शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर युवा बनाते हैं। इसमें अधिकतर बेकार पदार्थ मुन्नार में और इसके आसपास के चाय बागान से इकट्ठे किये जाते हैं।
मालती ने कहा, सभी कर्मियों ने कागज बनाने का विशेष प्रशिक्षण प्राप्त किया है। यहां 16 महिलाओं समेत 37 लोग काम करते हैं।
उन्होंने बताया कि हाथी के मल को एकत्रित किया जाता है, उसे पुनर्चक्रित किया जाता है और कर्मचारी इसे संक्रमणरहित बनाते हैं। इसमें से बाद में फाइबर रहित हिस्से को हटा दिया जाता है।
मालती के अनुसार इसमें सूती कपड़े की कतरनें, कॉस्टिक सोडा मिलाया जाता है ताकि कागज नरम बने। इस मिश्रण को कागजों की शीट के तौर पर बिछाया जाता है और प्राकृतिक शेडों में सुखाया जाता है।
यह कागज सामान्य कागज से मोटा होगा और ए4 की सामान्य शीट की मोटाई से चार गुना मोटा होता है। इकाई में एक महीने में औसतन 500 से 1000 कागज शीट बनाई जाती हैं। हम प्रति शीट 50 रूपया लेते हैं और उनकी काफी मांग हैं खासकर पर्यटकों से। भाषा