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19 November 2019

पोषण में चाहिए हम कुछ और 'स्वैग', कमाल दिखा सकती है क्विक खिचड़ी

अर्चना सिंह
जब मैं प्रातःकालीन व्यायाम के लिए घर से निकल रही थी, तो मैंने ऊंचे स्वर में अपना मां से कहा, “मां, दरवाजा बंद कर लीजिए, मैं योगा क्लास के लिए जा रही हूं।” तुरंत जोरदार आवाज में जवाब आया, “भगवान के लिए योग कहिए, न कि योगा। योग का अर्थ होता है मिलन। यह मस्तिष्क, शरीर और आत्मा का मिलन होता है। कितने बार तुम्हें इसके बारे में बताना होगा?”
अत्यधिक पारंपरिक आचार-व्यवहार के मेरे पिता योग बोलते समय इसके आखिरी अक्षर पर इतना ज्यादा जोर देना पसंद नहीं करते हैं। वह मानते हैं कि योग बेहतरीन प्राचीन भारतीय परंपरा है और इसे अंग्रेजी अंदाज में बोलकर और इसके सिर्फ शारीरिक व्यायाम के पहलू यानी आसन को अपनाकर और मानसिक और अध्यात्मिक पहलू को पीछे नजरंदाज कर हम इसके साथ बड़ा अन्याय कर रहे हैं। मैं उनसे कुछ हद तक सहमत हूं। यह कुछ हद तक सच है कि हम योग के सिर्फ शारीरिक व्यायाम के पहलू पर ही ध्यान देते हैं और शरीर को अजीबोगरीब तरीके से मोड़कर व्यायाम करने से आगे भी भी योग में खोजने को काफी कुछ मौजूद है। हालांकि इसका उच्चारण करते समय स्वर में अतिरिक्त ‘आ’ पर जोर देना मुझे गलत नहीं लगता है, जब इस पद्धति को बढ़ावा मिल रहा है और हम जैसे लोग इसकी ओर आकर्षित हो रहे हैं। मेरा मानना है कि यह परंपरागत पद्धति की ओर तभी अधिकाधिक लोग आकर्षित हुए हैं, जब यह आधुनिक रूप में अवतरित हुई। हम में से बहुत से लोगों के लिए इस परंपरागत प्राचीन पद्धति की ओर आकर्षित होने की मुख्य वजह बॉलीवुड की हस्तियां हैं। शिल्पा शेट्टी कूल और ट्रेंडी कपड़ों में योग की मुद्राएं दिखाती हैं। यह कहना पूरी तरह गलत नहीं है कि फिल्म स्टार, क्रिकेटर, योग के लिए नई-नई वस्तुओं, वस्त्रों का प्रचलन और पश्चिमी जगत के लोगों द्वारा इसे अपनाया जाना ऐसी वजह हैं जिनके कारण योग आज प्रचलित हो रहा है। मुझे पूरा विश्वास है कि योग सूत्रों को एकत्रित करने वाले महर्षि पतंजलि निश्चित ही यह सब देखकर प्रसन्न हो रहे होंगे। आखिर हम उनके विरासत को आधुनिक तरीके से आगे बढ़ा रहे हैं।
यह सिर्फ योग के बारे में ही नहीं है। अध्ययनों से पता चलता है कि अच्छी ब्रांडिंग रणनीति और क्रिएटिव मीडिया प्रचार से किसी भी उत्पाद या पद्धति को लोकप्रिय बनाया जा सकता है और समुदायों में इसकी स्वीकार्यता को काफी बढ़ाया जा सकता है। फिर चाहे दिशा पाटनी और टाइगर श्रॉफ का पेप्सी का विज्ञापन ‘हर घूंट में स्वैग’ हो या फिर तपसी पन्नू का कुरकुरे के लिए ‘चपटपा ख्याल’ वाला विज्ञापन हो। इस तरह से मीडिया अभियान दर्शकों खासकर युवाओं के मन पर असर डालता है। इससे उत्पादों की स्वीकार्यता और खपत बढ़ जाती है।
अब समय आ गया है जब हम इसी तरह स्वास्थ्यवर्धक खानपान आदतों और पौष्टिकता से भरपूर पारंपरिक खाद्य वस्तुओं को प्रोत्साहन देने के लिए रणनीतियां बनाएं ताकि इन्हें ज्यादा से ज्यादा लोग अपनाएं। आपको 1980 के दशक का खूब लोकप्रिय हुआ विज्ञापन अभियान याद होगी जिसकी टैग लाइन थी, संडे हो या मंडे, रोज खाओ अंडे। इससे अंडों को मजेदार खाद्य के रूप में पेश किया। इस अभियान से दारा सिंह जैसी हस्तियां जुड़ीं तो यह खूब सफल रहा। हमें सेलिब्रिटी और प्रभाव डालने वाले लोगों को शामिल करके इनोवेटिव मीडिया अभियान तैयार करना होगा जो पोषण के लिए लोगों को प्रेरित कर सके और उनके बीच इसे लोकप्रिय बना सके।
मखाना, रागी और सोयाबीन जैसी विभिन्न पारंपरिक खाद्य वस्तुओं का प्रचार किया जा रहा है। इससे ज्यादा से ज्यादा लोग इन वस्तुओं को अपने भोजन में शामिल कर रहे हैं। हालांकि हमें पैकेज्ड उत्पादों पर कम और घरों में बने उत्पादों पर ज्यादा जोर देना चाहिए। जरूरत है कि ज्यादा से ज्यादा पारंपरिक खाद्य वस्तुओं और आहार पद्धतियों को आधुनिक प्रणाली के तौर पर प्रचारित किया जाए ताकि और ज्यादा लोग इन्हें अपनाएं। प्रोत्साहन और प्रचार से स्वास्थवर्धक आहार आसान भोज का स्थान ले सकते हैं। दो मिनट मैगी नूडल्स का स्थान क्विक खिचड़ी ले सकती है। असरदार प्रचार रणनीतिक से यह बदलाव लाना संभव है। हमें दूध के ग्लास को ट्रेंडी बनाना होगा जो कोल्ड ड्रिंक्स अथरवा दूसरे अस्वास्थ्यकर पेयों के स्थान पर आपस में बढ़ाया जाए। पार्टी फूड के तौर पर पिज्जा के बजाय घर में बने गरम खाने को प्रोत्साहन करना होगा। हमें पोषण को और ज्यादा स्वैग बनाना होगा और इसे ज्यादा से ज्यादा लोकप्रिय बनाना होगा।
मैं घर वापस आ गई और एक उबला अंडा, कद्दू के कुछ बीज और बादाम का एक ग्लास दूध (जैसा मैंने सुना था, शिल्पा शट्टी का योग के बाद यही आहार है) लिया और झपकी लेने चली गई और उसकी तरह मजबूत, स्वस्थ और लचीले शरीर के सपनों में खो गई।
(डा. अर्चना सिंह पब्लिक हेल्थ प्रोफेशनल हैं और महिला एवं बच्चों के लिए काम करती हैं। वह प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल इंडिया में सीनियर प्रोग्राम एनालिस्ट हैं।

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TAGS: Nutrition, Swag, yoga, Taapasee Pannu, Disha Patani, Tiger Shroff
OUTLOOK 19 November, 2019
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