Advertisement
29 July 2016

छत्तीसगढ़ के गांवों में घर के बाहर बेटियों की नेमप्लेट

गूगल

माओवाद से आंशिक रूप से प्रभावित बालोद जिले में डेढ़ महीने पहले इस पहल की शुरूआत की गई थी, जिसके तहत गांवों के घरों के बाहर परिवार की छात्राओं की नेमप्लेट लगाई गई हैं। बालोद के कलेक्टर राजेश सिंह राणा ने पीटीआई भाषा से कहा, लोगों को बच्चियों के महत्व के बारे में जागरूक करने के लिए और लड़कियों में साक्षरता बढ़ाने के लिए यह मुहिम शुरू की गई है। उन्होंने कहा कि बालोद के विभिन्न गांवों में विभिन्न आयु वर्ग की करीब 2,700 लड़कियों के नाम की पट्टियां उनके घरों के बाहर लगाई गई हैं। राणा ने कहा कि स्थानीय जन प्रतिनिधियों, सरपंच एवं अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श के बाद प्रधानमंत्री की बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ मुहिम की सोच को साकार करने के मकसद से यह मुहिम शुरू की गई थी।

उन्होंने कहा कि कम अवधि में ही इस मुहिम के 12 ग्राम पंचायतों में सफल परिणाम देखने को मिले हैं। एक गांव की 11वीं की छात्रा पेमिना साहू ने कहा, यह हमारे लिए सपना साकार होने जैसा है। इस मुहिम के कारण लड़कियों के प्रति गांवों के लोगों की सोच बदल रही है। एक अन्य माध्यमिक स्कूल की छात्रा जागृति टेकम ने कहा कि इस प्रकार की मुहिम केवल एक जिले तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि यह राज्य के हर कोने में शुरू की जानी चाहिए ताकि लोगों को यह अहसास दिलाया जा सके कि लड़कियां किसी भी तरह लड़कों से कम नहीं हैं। कलेक्टर ने कहा कि यह मुहिम माता-पिता को अपनी बेटियों को स्कूल भेजने के लिए ही प्रेरित नहीं कर रही, बल्कि उनकी पुरूष प्रधान सोच को भी बदल रही है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने के लिए नेमप्लेट को हरे रंग से रंगा गया है और इस पर सफेद पेंट से नाम लिखे गए हैं।

एजेंसी

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: Pemina Sahu, village, Chhattisgarh, Balod, name plate, girls' education, छत्तीसगढ़, बालोद, बेटियों की नेमप्लेट
OUTLOOK 29 July, 2016
Advertisement