गाली गलौज- बिना लाग लपेट के बात करने वाले होते हैं ज्यादा ईमानदार
वे लोग उन गालियों में काफी अश्लील भाषा का इस्तेमाल करते हैं जिनमें से कुछ को समाज में अनुचित और अस्वीकार्य माना जाता है। ऐसी भाषा अक्सर यौन दुराचार, निंदा और अन्य असभ्य शब्दावलियों में आती है।
आमतौर पर ऐसे शब्द गुस्सा, हताशा और आश्चर्य जैसी भावनाओं को जाहिर करने से संबंधित होता है। हालांकि ऐसे अपशब्दों का इस्तेमाल मनोरंजन करने और दर्शकों का दिल जीतने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
शोधकर्ताओं ने बताया कि बेईमानी और गाली बकना प्राय: असमाजिक और अनैतिक समझा जाता है। तो वहीं दूसरी तरफ इसको ईमानदारी के साथ सकारात्मक रूप से जोड़ा जाता है।
आमतौर पर इसका इस्तेमाल निष्कपट भावना और ईमानदारी को व्यक्त करने के लिए किया जाता है।
ब्रिटेन के कैंब्रिज विश्वविद्यालय के डेविड स्टीलवेल का कहना है, गाली देना और बेईमानी के बीच एक जटिल संबंध होता है। गाली देना अक्सर अनुचित व असभ्य आचरण होता है लेकिन यह ईमानदारी से किसी की अपनी राय व्यक्त करने का जरिया भी हो सकता है।
स्टीलवेल ने बताया, वे लोग बिल्कुल अपनी भाषा को बिना लाग-लपेट के प्रयोग करते हैं, जो ज्यादा मजेदार होता है, और इसमें वे लोग अपने विचार को भी निष्कपटता और स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करते हैं। भाषा