जानिए, इन पांच मंदिरों के बारे में जहां पुरुषों का जाना मना है...
सबरीमाला मंदिर मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने आज ऐतिहासिक फैसला दिया है। जिसके बाद से हर उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति मिल गई है। इससे पहले तक जब से यह मंदिर बना है तभी से यहां 10 से 50 वर्ष की उम्र वाली महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगी हुई थी। अब शीर्ष अदालत ने कहा कि पूजा करने का अधिकार भगवान के सभी भक्तों को है, लिंग के आधार पर इसमें कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता है। इसे समानता की दिशा में महिलाओं की बड़ी जीत के तौर पर देखा जा रहा है।
लेकिन क्या आपको पता है कि भारत में ऐसे कई मंदिर हैं जहां पुरुषों का प्रवेश वर्जित है। आज हम आपको ऐसे ही मंदिरों के बारे में जानकारी देंगे।
चक्कूलाथूकावु मंदिर- केरल में स्थित इस मंदिर में देवी भगवती की पूजा होती है। यहां 'नारी पूजा' नामक सालाना अनुष्ठान होता है। इस दिन को धनु कहते हैं। जिसमें पुरुष पुजारी उन महिला भक्तों के चरण धोते हैं, जिन्होंने 10 दिनों से व्रत रखा होता है। नारी पूजा के वक्त सिर्फ महिलाओं को ही मंदिर के अंदर जाने की अनुमति होती है।
ब्रह्मा मंदिर- 14वीं शताब्दी में राजस्थान के पुष्कर में ब्रह्म मंदिर बनाया गया था। इस मंदिर में विवाहित पुरुषों का आना सख्त मना है। यह पूरे देश में बना हुआ ब्रह्मा का अकेला मंदिर है।
अत्तुकल मंदिर- केरल में स्थित अत्तुकल भगवती मंदिर में महिलाओं की पूजा होती है। इस मंदिर ने पोंगल त्योहार मनाकर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया था। इसमें 30 लाख महिलाओं ने भाग लिया था। इस मंदिर में पुरुषों को प्रवेश करने की अनुमति नहीं है जहां त्योहार के दौरान महिलाओं की सबसे बड़ी सभा देखने को मिलती है।
कामरुप कामाख्या मंदिर- कामरुप कामाख्या मंदिरअसम में स्थित है। इस मंदिर में माता की माहवारी का उत्सव मनाया जाता है। इस दौरान यहां पुरुषों के प्रवेश पर पाबंदी रहती है। इस दौरान केवल महिला संत और सन्यासिन मंदिर की पूजा करती हैं। इस मंदिर में माता सती के माहवारी कपड़े को बहुत शुभ माना जाता है और इसे भक्तों के बीच बांटा जाता है।
माता मंदिर- बिहार के मुजफ्फरपुर में बने इस मंदिर में एक निश्चित अवधि के दौरान प्रवेश वर्जित हो जाता है। यह नियम इतने कठोर हैं कि पुरुष पुजारी को भी मंदिर में प्रवेश की मनाही रहती है। उस अवधि के दौरान केवल महिलाएं ही यहां आ सकती हैं।