इस मंदिर में नहीं है कोई भी देवी-देवता
सन् 1733-35 के दौरान जब कलिंग शैली के मंदिरों को मुस्लिम आक्रांता निशाना बना रहे थे तब यह मंदिर पुरी जगन्नाथ मंदिर के देवी-देवताओं की मूर्तियों को छिपाने की जगह थी। बाद में स्थिति शांत होने पर देवी-देवताओं की मूर्तियां वापस पुरी लायी गयीं। चूंकि देवी-देवताओं ने मरदा में शरण ले रखी थी अतएव यह जगह शरण श्रीक्षेत्र के रूप में चर्चित हो गयी। तब से इस मंदिर में कोई देवी-देवता नहीं है, अतएव यहां कार उत्सव का कभी आयोजन नहीं हुआ। आठ साल पहले इस स्थान की यात्रा करने वाले जगन्नाथ संप्रदाय के सेवायतों और शोधकर्ताओं ने दुनिया को इस मंदिर का महत्व बताने का बीड़ा उठाया और पुरी की यात्रा करने वालों से मरदा भी जाने की अपील की। विधायक (पोलासरा) श्रीकांत साहू ने कहा, यदि सरकार इस स्थान को पर्यटक स्थल घोषित करेगी तब इस मंदिर का ऐतिहासिक महत्व दुनिया के समाने आएगा।
एजेंसी