अब बैलों को कीमती करने के लिए पतंजलि करेगी ये काम..
जानकारी के मुताबिक, इस नए प्लान के पीछे पतंजलि का यह मानना है कि पशुओं को बूचड़खाने न भेजा जाए। जबकि उसे इस तरह के कार्यों में लगाया जाए। बैल की खींचने की ताकत से बिजली पैदा होगी। पतंजलि के मैनजिंग डायरेक्टर बालकृष्ण की पहल पर ये प्रयोग शुरू किया गया है। इसमें देश की एक प्रमुख मल्टीनैशनल ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर और एक तुर्की की कंपनी भी शामिल है।
इस डिजाइन से मिलेगा 2.5 किलोवॉट पावर
इस योजना को सफल बनाने के लिए एक प्रोटोटाइप डिजाइन किया गया है और अधिक इलेक्ट्रिसिटी जेनरेट करने के लिए इसमें बदलाव किया जा रहा है। इस रिसर्च प्रॉजेक्ट की जानकारी रखने वालों ने बताया कि अभी तक एक टर्बाइन वाले इस डिजाइन से लगभग 2.5 किलोवॉट पावर मिल सकी है।
बैल बहुत मूल्यवान नहीं, जैसी धारण बदलें
बालकृष्ण ने मीडिया से हुए बातचीत के दौरान बताया, जब ऐसे समय में बड़ी संख्या में बैलों को काटा जा रहा है, तो हम इस धारणा को बदलना चाहते हैं कि बैल बहुत मूल्यवान नहीं है। उन्होंने कहा कि पतंजलि अपने विशाल हरिद्वार मुख्यालय में इस योजना पर शोध कर रही है। बैलों को मूल्यवान बताते हुए उन्होंने कहा कि सुबह में उन्हें खेतों में इस्तेमाल किया जा सकता है और शाम को उन्हें बिजली उत्पादन के लिए।
बुनियादी ढांचे में वापस जाने की जरूरत
बालकृष्ण ने बताया कि प्राचीन समय में बैलों का इस्तेमाल हथियार ले जाने में किया जाता था। उन्होंने कहा कि हमें बुनियादी ढांचे में वापस जाने की जरूरत है। प्राचीन समय में बड़े पैमाने पर तोपों को घेरने के लिए बैल का इस्तेमाल किया जाता था। अगर टेक्नॉलजी की मदद से उनकी ताकत का अधिकतम इस्तेमाल किया जाए, तो वे काफी उपयोगी हो सकते हैं।
गौरतलब है कि पतंजलि एक ऐसा डिजाइन तैयार करने की कोशिश कर रही है, जिसे उन किसानों को बिजली पैदा करने के लिए दिया जा सके जिनके पास बैल हैं। देश में बैलों की संख्या घट रही है और पशुओं की कुल संख्या में इनकी हिस्सेदारी 30 फीसदी से भी कम है।