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28 April 2017

गरीबी का आलम: पाकिस्तान का महमूद घास-फूस से भर रहा पेट

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यह जानकर काफी आश्चर्य होगा कि पिछले 25 सालों से पत्तियां और टहनी खाकर जिंदा रहने वाले महमूद बट न तो कभी बीमार हुए हैं और न ही उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा है। उन्होंने यह कदम घोर गरीबी में उठाया था। तब से वह इसी का सेवन करते आ रहे हैं।

मीडिया से वाकिफ हुए बट ने कहा कि जिस दौरान उन्होंने यह कदम उठाया उस समय उनका परिवार घोर गरीबी में जी रहा था। हर चीज हमारी पहुंच से बाहर थी। खुद के लिए भोजन की व्यवस्था करना बहुत कठिन था। बट ने कहा, ऐसे में मैंने सोचा कि भीख मांगने से अच्छा है कि टहनियां और पत्तियों का ही सहारा लिया जाए और आगे चलकर यह मेरी आदत बन गई।

मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, वर्षों बाद जब बट दो वक्त की रोटी जुटाने में समर्थ हुए तो उन्हें सामान्य खाना अजीब सा लगने लगा। लिहाजा, वह पत्तियों पर ही आश्रित रहे। मजदूरी करने वाले बट अब हर दिन तकरीबन 600 रुपये कमा लेते हैं। उन्होंने बताया कि बरगद और टाली की पत्तियां उन्हें पसंद हैं।

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बट के पड़ोसियों का कहना है कि बट आज तक न तो डॉक्टर के पास गए और न ही किसी अस्पताल में भर्ती हुए हैं। उन्होंने कहा, हमें हैरत है कि वर्षों से पत्तियां खाने वाला इंसान आज तक बीमार क्यों नहीं पड़ा? अब बट अपने आसपास के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।

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TAGS: गरीबी आलम, पाकिस्तान, महमूद, घास-फूस, पेट, poverty time, pakistan, mehmood, grass
OUTLOOK 28 April, 2017
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