Advertisement
10 April 2018

ये मदरसा बना आधुनिक शिक्षा का केंद्र, जहां अरबी, अंग्रेजी के साथ पढ़ाई जाती है संस्कृत भी

ANI

समय के साथ-साथ अब मदरसों को आधुनिक करने की कवायद दिखने लगी है। ऐसा तब कहा जा रहा है जब यूपी के गोरखपुर में दारुल उलूम हुसैनिया मदरसे में बदलाव नजर आ रहा है, जिसके कारण ये मदरसा सुर्खियों में बना हुआ है।  

दरअसल, अल्पसंख्यक समुदाय से आने वाले बच्चों के लिए यह मदरसा आधुनिक शिक्षा का केंद्र बन गया है, जहां विज्ञान, गणित, अंग्रेजी, अरबी के अलावा हिंदी और संस्कृत भी पढ़ाई जा रही है। अब तक शायद यह बात पहले कभी नहीं सुनी गई होगी ‌कि किसी मदरसे में संस्कृत भी पढ़ाई जा रही है। यह मदरसा यूपी शिक्षा बोर्ड के अंतर्गत आता है।

संस्कृत पढ़ाने के लिए मुस्लिम शिक्षक नियुक्त

Advertisement

इस मदरसे में खास बात यह है कि संस्कृत पढ़ाने के लिए यहां मुस्लिम शिक्षक ही नियुक्त किया गया है। संभवत: ऐसा पहली बार हो रहा है कि मदरसे में संस्कृत भी पढ़ाई जा रही है।

हमें संस्कृत सीखना अच्छा लगता है- छात्र

वहीं, गोरखपुर में दारुल उलूम हुसैनिया मदरसा में पढ़ने वाले छात्रों का कहना है, 'हमें संस्कृत सीखना अच्छा लगता है। हमारे शिक्षक विषयों को अच्छी तरह से समझाते हैं। हम भी बहुत अच्छी तरह समझते हैं. हमारे माता-पिता भी हमें सीखने में मदद करते हैं।'

ये है आधुनिक मदरसा: प्रधानाचार्य

वहीं, इस मदरसे के प्रधानाचार्य का कहना है कि ये आधुनिक मदरसा है, जहां विज्ञान, गणित, अंग्रेजी, अरबी के अलावा हिंदी और संस्कृत भी पढ़ाई जा रही है।

मदरसों को आधुनिक करने के लिए कई कदम उठाया जा रहा है

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस समय मदरसों को आधुनिक ‌शिक्ष्‍ाा के साथ्‍ा चलाने के लिए कई कदम उठा रहे हैं। योगी सरकार द्वारा वेब पोर्टल पर पंजीयन अनिवार्य किए जाने के बाद 2 हजार से ज्यादा मदरसे फर्जी पाए गए थे। इन पर सालाना 100 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए जाते थे। राज्य सरकार इन फर्जी मदरसों के मामले में जांच कर रही है।

सभी मदरसों के प्रबंधन से उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड के वेब पोर्टल पर अपने बारे में पूरी जानकारी अपलोड करने को कहा गया था। मगर ऐसा करने के लिए अंतिम तारीख कई बार बढ़ाए जाने के बावजूद मदरसों द्वारा संचालित 140 मिनी आईटीआई में से 20 ने अपनी जानकारी नहीं दी। इसके अलावा करीब 2300 मदरसों ने भी पोर्टल पर अपना पंजीयन नहीं कराया। इन सभी पर अब तक हर साल करीब 100 करोड़ रुपये खर्च किए जाते थे।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: Sanskrit, among other subjects, being taught, at Darul Uloom Husainia madrasa
OUTLOOK 10 April, 2018
Advertisement