राजधानी दिल्ली में जारी लॉकडाउन के बीच कोविड-19 के हॉटस्पॉट्स इलाकों में से एक खिचड़ीपुर की एक कॉलोनी के बाहर तैनात पुलिसकर्मी
कोरोना वायरस के तेजी से बढ़ते संक्रमण को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 दिनों के देशव्यापी लॉकडाउन को घोषणा की थी। लॉकडाउन की घोषणा होने के बाद सड़क और रेल यातायात बंद हो गए है। वहीं, पुलिस और जिला प्रशासन लॉकडाउन के नियमों का पालन करवाने में जुटा हुआ है। इस दौरान केवल अति-आवश्यक चीजों को लाने ले जाने की अनुमति दी जा रही है। लेकिन तेलंगाना के निजामाबाद की रहने वाली एक महिला का अनोखा रूप देखने को मिला, जिसने बेटे को वापस लाने की जिद ठानी और लॉकडाउन की परवाह न करते हुए स्कूटी पर 1400 किलोमीटर का सफर तय किया।
बेटे के लिए स्कूटी से तय की 1400 किलोमीटर की दूरी
मामला आंध्र प्रदेश के नेल्लोर का है, जहां फंसे अपने बेटे को लाने के लिए मां रजिया बेगम ने साहस और हिम्मत का परिचय दिया। उन्होंने निजामाबाद के बोधन से आंध्र प्रदेश के नेल्लोर तक की 1400 किलो मीटर की दूरी तीन दिनों में अपनी स्कूटी के जरिए तय की और नेल्लोर में फंसे अपने बेटे को वापस घर लेकर आई। इस घटना ने उस बात को चरितार्थ कर दिया, जिसमें कहा गया है- ‘पूत कपूत हो सकता है, लेकिन माता कुमाता नहीं हो सकती।’
पेशे से शिक्षिका है महिला
50 वर्षीय रजिया पेशे से शिक्षिका हैं। बेटे को लाने के लिए रजिया ने 1400 किलोमीटर का सफर सोमवार सुबह शुरू किया था और बुधवार शाम को बेटे के साथ वापस घर लौटीं। मंगलवार दोपहर को नेल्लोर में उन्होंने अपने 17 वर्षीय बेटे मोहम्मद निजामुद्दीन को लिया जो वहां अपने एक मित्र के घर में लॉकडाउन के कारण फंसा था। रजिया ने तीन दिनों में इतना लंबरा सफर तय किया।
पुलिस कमिश्न ने महिला को दिया पत्र
बोधन के सहायक पुलिस कमिश्नर वी जयपाल रेड्डी ने जो पत्र रजिया को दिया था उसमें उन्होंने अधिकारियों से कहा कि रजिया को जाने की अनुमति दी जाए, ताकि वो अपने बेटे को वापस ला सकें। रजिया बेगम ने बताया कि तेलंगाना और आंध्र प्रदेश दोनों ही राज्यों में पुलिस ने उन्हें कई जगहों पर रोका, लेकिन पुलिस ऑफिसर के पत्र को देखने के बाद जाने की अनुमति दे दी।
मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहा है बेटा
एक बेटी व एक बेटे की मां रजिया के पति की मौत 12 साल पहले ही हो गई थी। 2019 में बारहवीं की पढ़ाई करने के बाद निजामुद्दीन मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए हैदराबाद के एक कोचिंग में पढ़ाई कर रहा हैं। रजिया बेगम ने बताया कि किस तरह पुलिस ने मानवता दिखाते हुए उनकी मदद की। उन्होंने कहा, ‘मैंने अपनी मजबूरी और हालात से बोधन के एसीपी को अवगत कराया। इसके बाद मुझे उन्होंने अनुमति दे दी। कोविड-19 के संक्रमण को रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत 25 मार्च से भारत में लॉकडाउन जारी कर दिया है जो 14 अप्रैल तक रहेगा।
12 मार्च को नेल्लोर गया था बेटा
12 मार्च को निजामुद्दीन अपने दोस्त के साथ नेल्लोर गया था, क्योंकि उसके दोस्त के पिता अस्पताल में भर्ती थे। इसके बाद 23 मार्च को राज्य में लागू हुए लॉकडाउन के कारण वह वहीं फंस गया। लंबा समय बीत जाने के कारण परेशान रजिया ने बेटे को लाने का फैसला किया और अनुमति के लिए एसीपी के पास गई जहां उसे सहमति मिल गई। बस फिर क्या था वह निकल पड़ी अपनी स्कूटी के सहारे बेटे को लाने। रजिया ने बताया कि वह निडर हो सुनसान रास्ते पर लगातार चलती रही। इतने लंबे सफर के बावजूद वह नेल्लोर में एक दिन के लिए भी नहीं रुकी और तुरंत वापस अपने घर लौट आई।
एसीपी जयपाल रेड्डी ने कहा कि वह रजिया की इच्छा देखकर उसे रोक न सके। उन्होंने बताया, ‘बेटे के प्रति उसका प्यार देखते हुए उसे रोक न सका। मैंने केवल बोधन से नेल्लोर तक के लिए पुलिस ऑफिसरों से अनुमति देने की अपील की।’