बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए चौहान ने कहा कि किसानों के साथ चर्चा सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई।
चौहान ने बताया कि केन्द्रीय दल ने बैठक के दौरान किसानों के समक्ष किसान कल्याण कार्यक्रम को रखा, जो नरेन्द्र मोदी सरकार की प्राथमिकता है।
लगभग तीन घंटे तक चली बैठक के बाद मंत्री ने कहा, “हमने किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल और सरवन सिंह पंधेर के विचार सुने। बहुत अच्छी चर्चा हुई। चर्चा जारी रहेगी और अगली बैठक 19 मार्च को चंडीगढ़ में होगी।”
चौहान ने हालांकि मीडिया के किसी सवाल का जवाब नहीं दिया।
इससे पहले चौहान और जोशी शाम छह बजकर पांच मिनट पर 28 सदस्यीय किसान प्रतिनिधिमंडल से मिलने के लिए बैठक स्थल महात्मा गांधी लोक प्रशासन संस्थान पहुंचे।
बैठक में पंजाब के कैबिनेट मंत्री हरपाल सिंह चीमा, गुरमीत सिंह खुड्डियां और लाल चंद कटारूचक भी मौजूद थे।
जगजीत सिंह डल्लेवाल और सरवन सिंह पंढेर समेत किसानों का प्रतिनिधिमंडल पहले ही बैठक स्थल पर पहुंच गया था।
बैठक के बाद किसान नेताओं ने कहा कि उन्होंने फसलों पर एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी की अपनी मांग के समर्थन में तथ्य प्रस्तुत किए।
किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने दावा किया, ‘‘अगर सरकार की नीति और नीयत साफ है तो 25,000-30,000 करोड़ रुपये प्रति वर्ष के अनुमानित व्यय से एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी दी जा सकती है।’’
कोहाड़ ने कहा, ‘‘केंद्रीय टीम ने विशेषज्ञों के साथ चर्चा के लिए किसानों द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों का विवरण मांगा है। हम एक सप्ताह में उन्हें यह उपलब्ध करा देंगे।’’
किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) के समन्वयक सरवन सिंह पंढेर ने कहा, ‘‘हमने एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी के फायदे साझा किए। इससे किसानों की आत्महत्याएं रुकेंगी क्योंकि उन्हें अपनी फसल के लिए न्यूनतम मूल्य मिलने की गारंटी होगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जब किसानों और मजदूरों को सही दाम मिलते हैं, तो बाजारों में क्रय शक्ति भी बढ़ती है। इसलिए हमने बैठक में पूछा एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी देने में क्या नुकसान है।’’
पंढेर ने कहा, ‘‘उसने (केंद्रीय टीम ने) यह नहीं कहा कि वह एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी देने के लिए कानून बनाने के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि इस तरह का (एमएसपी पर) बड़ा फैसला लेने से पहले और अधिक चर्चा की जरूरत है।’’
चीमा ने कहा कि किसान नेताओं ने फसलों पर एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी की अपनी मांग के समर्थन में कुछ आंकड़े पेश किए।
उन्होंने कहा, ‘‘मंत्रियों ने पूछा कि उन्होंने आंकड़ा कहां से एकत्र किया। किसान कुछ दिन में केंद्र के साथ विवरण साझा करेंगे।’’
चीमा ने कहा कि ये आंकड़े खुले बाजार में और एमएसपी पर की गई फसल खरीद से संबंधित हैं।
चीमा ने कहा, ‘‘आंकड़ों को लेकर कुछ मतभेद थे। केंद्रीय टीम के अनुसार, किसानों द्वारा साझा किए गए आंकड़े आधिकारिक रिकॉर्ड से मेल नहीं खा रहे थे। उसने (केंद्रीय टीम ने) आंकड़ों के स्रोत के बारे में पूछा है।’’
पंजाब के वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि 19 मार्च को होने वाली अगली बैठक में कोई समाधान निकल आएगा।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या दालों या अन्य फसलों पर कोई चर्चा हुई, चीमा ने कहा कि बैठक में केवल एमएसपी के मुद्दे पर चर्चा हुई।
डल्लेवाल (70) केंद्र पर आंदोलनकारी किसानों की मांगों को स्वीकार करने का दबाव बनाने के लिए 26 नवंबर, 2024 से पंजाब और हरियाणा के बीच खनौरी सीमा पर आमरण अनशन पर हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) के बैनर तले किसान पिछले साल 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा पर डेरा डाले हुए हैं, क्योंकि सुरक्षा बलों ने उन्हें अपनी विभिन्न मांगों को लेकर दिल्ली तक मार्च करने की अनुमति नहीं दी थी।
एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी के अलावा, किसान कर्ज माफी, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में बढ़ोतरी नहीं करने, किसानों के खिलाफ पुलिस मामलों को वापस लेने और उत्तर प्रदेश में 2021 लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं।
भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को बहाल करना और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देना भी उनकी मांगों में शामिल है।