मारवाड़ी और बिहारियों पर कांग्रेस नेता का फिर बेतुका बयान, बोले खाना दो लेकिन जमीन मत दो
मारवाड़ियों और बिहारियों ने आदिवासियों की जमीन पर कब्जा किया बोलकर विवादों में आये कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और हेमन्त कैबिनेट में वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव अपने स्टैण्ड पर पूरी तरह कायम है। इतना ही नहीं अपने बयान के विरोध के बावजूद उन्होंने यह कहकर दृढ़ता जाहिर कर दी है कि बाहर के लोग आयें तो दोना दो कोना नहीं। यानी स्वागत में भोजन कराओ मगर जमीन मत दो। हालांकि सफाई वाले अंदाज में यह भी कहा कि मैं बिहारियों या मारवाड़ियों का विरोधी नहीं हूं। बल्कि खुद को बिहारी मानता हूं।
बता दें कि भारतीय पुलिस सेवा में बिहार कैडर का अधिकारी होने के कारण लंबे समय तक बिहार के विभिन्न जिलों और पटना मुख्यालय में भी तैनात रहे। और अपने बच्चे का रिश्ता भी बिहार के पूर्व डीजीपी नालंदा के रहने वाले आशाीष रंजन सिन्हा के बच्चे से किया।
पिछली बार बयान देकर विवाद में आने के बाद उन्हें दिल्ली तलब किया गया था। समझा जा रहा था कि बयान को लेकर उन्हें कांग्रेस नेतृत्व ने दिल्ली तलब किया है। हालांकि लौटने के बाद दूसरे राजनीति कारण बताए। अब ताजा बयान के बाद भी वे दिल्ली चले गये हैं। एक निजी आयोजन में शामिल होना है तो वहां पार्टी के नेताओं से भी मिलेंगे। चार दिनों के दिल्ली प्रवास पर गये हैं। एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत के तहत पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का पद छोड़ने को लेकर भी उन पर और पार्टी पर दबाव है। चर्चा है कि इस मसले पर भी जल्द पार्टी कोई निर्णय लेने जा रही है ताकि रामेश्वर उरांव सरकार चलायें और कोई युवा नेता संगठन को धार दे।
दोना-कोना वाले बयान के साथ ही रामेश्वर उरांव ने कहा कि हमारे पूर्वज जल, जंगल, जमीन, संस्कृति और अस्मिता की रक्षा के लिए संघर्ष करते रहे। यह भी सिखाया कि मेहमान चाहे किसी भी धर्म या जाति का हो उसे दोना दो मगर कोना मत दो। जमीन बची रहेगी तो सभ्यता संस्कृति बची रहेगी।
पिछले सप्ताह जब उन्होंने बिहारियों और मारवाड़ियों द्वारा आदिवासी जमीन पर कब्जा किये जाने संबंधी बयान दिया तो उनकी उनकी पार्टी के नेताओं ने ही उनके बयान को निजी बयान बताकर से किनारा कर लिया था। कहा था कि यह पार्टी का बयान नहीं है। हालांकि सफाई देते हुए रामेश्वर उरांव ने कहा था कि क्या गलत कहा। बचपन से पढ़ता आया कि देश में मणिपुर के इंफाल और बिहार के रांची जिला में सर्वाधिक आदिवासी निवास करते हैं। इंफाल आज सुरक्षित है मगर रांची में आदिवासी बहुत कम हो गये। वहीं मारवाड़ी समाज ने उनके बयान का जमकर विरोध किया था। मारवाड़ी युवा मंच के सम्मेलन में प्रांतीय मारवाड़ी सम्मेलन के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा था कि मारवाड़ी समाज ने बड़ी संख्या में प्रदेश में धर्मशालाओं और अस्पतालों का निर्माण कराया है। जितना राजस्व मारवाड़ी समाज की ओर से सरकारी खजाने में जाता है उतना किसी और से नहीं। इसके बावजूद इस तरह का बयान बर्दाश्त के काबिल नहीं है। व्यापक स्तर पर रामेश्वर उरांव के बयान के विरोध का निर्णय लिया गया। तो दूसरी तरफ केंद्रीय सरना समिति ने उनके बयान काा समर्थन किया। समर्थन में रांची में सड़क पर उतर कर ढोल नगाड़े के साथ जुलूस भी निकाला। केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की का कहना है कि राज्य में आदिवासियों की जमीन धड़ल्ले से लूटी जा रही है। रामेश्वर उरांव ने सच बताया तो बाहरी लोगों के पेट में दर्द होने लगा। अब रामेश्वर उरांव के दिल्ली दौरे से लौटने के बाद तस्वीर थोड़ी साफ होगी कि पार्टी ने इस मसले पर कुछ कहा या दो धारी तलवार से बचने का फैसला किया। एक तरफ आदिवासी वोट बैंक है तो दूसरी तरफ गैर आदिवासी भी संख्या में ज्यादा ही हैं।