नक्सली हमले के अगले दिन नक्सलबाड़ी में अमित शाह, आदिवासी के घर खाया खाना
भारतीय राजनीति के इतिहास में यह एक महत्वपूर्ण तस्वीर साबित हो सकती है, जो वामपंथ के गढ़ में कमल खिलाने के अमित शाह के दावों का सबूूूत है। दरअसल, अमित शाह ने बंगाल समेत पांच राज्यों में पार्टी के विस्तार अभियान की शुरूआत आज नक्सलबाड़ी से की है। उन्होंने ऐलान किया कि 1960 के दशक में जहां से वामपंथी उग्रवाद शुरू हुआ था, वहां से अब विकास तथा प्रगति शुरू होगी।
संयोग देखिए, सोमवार को जिस नक्सली हमले ने पूरे देश को चौंका दिया, अमित शाह आज उसी विचारधारा के उद्गम स्थल पर मौजूद थे। वह नक्सलबाडी इलाके के दक्षिण कटियाजोत गांव में राजू महाली नाम के एक आदिवासी के घर भी पहुंचे और जमीन पर बैठकर खाना खाया। हालांकि, अब नक्सलवाद का प्रभाव नक्सलबाड़ी के बजाय छत्तीसगढ़, झारखंड और आंध्र प्रदेश के इलाकों में ज्यादा है। लेकिन आज नक्सलबाड़ी आंदोलन के 50वें साल में भी क्सलबाड़ी इलाके का ऐतिहासिक महत्व कायम है। नक्सली हमलावर भी अपने हिंसक तौर-तरीकों से इस आंदोलन को भूूूलने नहीं देते।
वामपंथ के गढ़ रहे बंगाल में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का विस्तार अभियान वामपंथी दलों के साथ-साथ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए भी खुली चुनौती है। शाह ने कहा कि नक्सलबाड़ी में आज मोदी जी के सबका साथ सबका विकास का नारा गूंज रहा है। उनके जैसे 3.5 लाख कार्यकर्ता गांव-गांव में जाकर पार्टी को मजबूत बनाने का काम करेंगे।
शाह ने नक्सलबाड़ी में भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, तृणमूल कांग्रेस सोच रही है कि वे मोदीजी के रथ को रोक सकते हैं, लेकिन वे इसे नहीं रोक पाएंगे। वे हमें रोकने का जितना प्रयास करेंगे, उतना ही कमल और खिलेगा। शाह ने दावा किया, 2019 में पश्चिम बंगाल में भाजपा को सबसे ज्यादा सीटें मिलेंगी। देश के लोग यह देखेंगे।
ममता का पलटवार
उधर, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लोगों से अपील की है कि वे भाजपा की बातों में न आएं। उन्होंने आरोप लगाया कि भगवा दल लोगों को धर्म के नाम पर विभाजित करता है। ममता ने कूच बिहार में एक जनसभा में कहा, हम भाजपा के हिन्दुत्व में भरोसा नहीं करते जो लोगों को बांटता हो। वे लोग हिन्दू नहीं हैं। वे हिन्दू धर्म को बदनाम करते हैं। उन लोगों ने धर्म के नाम पर सांप्रदायिक तनाव पैदा किया है।