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26 July 2019

बन गई येदियुरप्पा की सरकार लेकिन आसान नहीं डगर

पिछली बार जब बीएस येदियुरप्पा कर्नाटक विधानसभा की ट्रेजरी बेंच के प्रमुख के रूप में बैठे थे तो यह केवल कुछ घंटों के लिए था- उन्होंने 17 मई, 2018 को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी और उन्हें दो दिन बाद विधानसभा में विश्वास मत साबित करना था लेकिन पर्याप्त संख्याबल ना होने से येदियुरप्पा ने बिना शक्ति परीक्षण के इस्तीफा दे दिया और चले गए।

कर्नाटक के 76 वर्षीय भाजपा के मजबूत नेता अब अपने राजनीतिक करियर में चौथी बार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले चुके हैं। फिर भी कुछ उलझन भरी स्थिति बनी हुई है।

नवंबर 2007 में  जब वह पहली बार एचडी कुमारवमी के जनता दल (एस) के साथ गठबंधन में मुख्यमंत्री बने  तो कोई निश्चितता नहीं थी कि उन्हें उनका समर्थन मिलेगा। उन्होंने एक सप्ताह बाद इस्तीफा दे दिया। लेकिन उस 'विश्वासघात' ने येदियुरप्पा को लिंगायत नेता के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करने में मदद की। समुदाय के समर्थन के साथ  उन्होंने 2008 के चुनावों में भाजपा को कर्नाटक में 110 सीटों के साथ जीत का नेतृत्व किया। फिर भी पार्टी के पास बहुमत के लिए तीन सीटों की कमी थी और उन्हें सरकार बनाने के लिए आधा दर्जन निर्दलीयों के पास जाना पड़ा।

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‘संख्या’  के साथ उस असुरक्षा ने भाजपा को कुख्यात ऑपरेशन कमल के लिए प्रेरित किया। गुटबाजी से जूझते हुए भाजपा के पहले कार्यकाल की शुरुआत लौह-अयस्क खनन घोटाले से हुई थी, जिसने येदियुरप्पा को अलग-थलग कर दिया, उन्हें 2011 में पद छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा।

येदियुरप्पा, जो पहली बार 1983 में विधायक बने थे आज बड़े जनसमर्थन वाले कर्नाटक में भाजपा के एकमात्र नेता हैं। यहां तक कि भाजपा को भी स्वीकार करना पड़ा है। 2012 में उन्होंने भाजपा से अलग होकर कर्नाटक जनता पार्टी का गठन किया। 2013 के राज्य चुनावों में  केजेपी ने  येदियुरप्पा के लिंगायत जनाधार के साथ  बड़ी भूमिका निभाई जिससे कांग्रेस को स्पष्ट जीत मिली और विधानसभा में भाजपा की 40 सीटें कम कर दी।

येदियुरप्पा एक साल बाद भाजपा में वापस आ गए और भ्रष्टाचार के मामलों में बरी होने के साथ ही फिर से कर्नाटक में पार्टी प्रमुख बन गए। हालांकि कई लोग कहते हैं कि भाजपा की कर्नाटक इकाई के भीतर के तनाव वास्तव में कभी दूर नहीं हुए।

यद्यपि हर नेता येदियुरप्पा के राजनीतिक दबदबे को पहचानता है, लेकिन उसके बारे में सवाल थे कि वह एक दबंग प्रबंधक था। हालांकि वह हमेशा पार्टी के समर्थन में रैली करने के लिए अथक प्रचारक के तौर पर नजर आते हैं।

मगर, पहले की तरह  कुछ अनिश्चितताएं मुख्यमंत्री के तौर पर येदियुरप्पा के चौथे कार्यकाल में भी हैं। 16 जुलाई को  भाजपा ने विश्वास प्रस्ताव के दौरान एचडी कुमारस्वामी को 105-99 वोटों से हराया था: क्योंकि 20 विधायक अनुपस्थित रहे थे।

अपनी गठबंधन सरकार को गिराने वाले कांग्रेस-जद (एस) के बागियों का भाग्य अभी तक स्पष्ट नहीं है- अध्यक्ष ने गुरुवार को तीन विधायकों को अयोग्य घोषित किया और बाकी पर निर्णय अभी भी लंबित है। येदियुरप्पा को बहुमत साबित करने के लिए अभी परीक्षा का सामना करना है।

“कर्नाटक विधानसभा कर्नाटक भाजपा के प्रयोग के लिए एक प्रयोगशाला बन गई है।”  कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने यह तर्क देते हुए ट्वीट किया कि भाजपा 224 सदस्यीय सदन में बहुमत से कम है।

ऐसे में अधिकांश जानकारों को लगता है कि आगे का रास्ता संभावित रूप से उपचुनावों की ओर ले जाएगा। तब तक, कर्नाटक की राजनीति में अनिश्चितता कायम रहेगी।

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TAGS: ANALYSIS, bs Yediyurappa, Takes Oath, Chief Minister, Uncertainties Persist, Karnataka Politics
OUTLOOK 26 July, 2019
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