चुनाव से पहले आरोपों, अफवाहों और हमलों का दौर
जैसे-जैसे दिल्ली विधानसभा चुनावों की तारीख नजदीक आ रही है वैसे-वैसे आरोपों-प्रत्यारोपों और खींचतान का सिलसिला बढ़ रहा है। इस महीने के मध्य तक तय हो जाएगा कि दिल्ली की सत्ता पर कौन काबिज रहेगा। कमल, झाड़ू या हाथ। हालांकि मुख्य मुकाबले में कमल और झाड़ू ही हैं। सत्ता पाने के लिए दोनों दलों ने पूरी ताकत झोंक रखी है। एक – दूसरे पर आरोपों की झड़ी भी यही दोनों दल कर रहे हैं।
आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया है कि दिल्ली विधानसभा चुनावों में भाजपा की मदद के लिए इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) से छेड़छाड़ की जा रही है। ऐसा पहली दफा नहीं हुआ है कि चुनावों में इस प्रकार की धांधली का आरोप लगाया जा रहा हो। केजरीवाल ने ट्वीट किया कि ‘बड़े पैमाने पर ईवीएम से छेड़छाड़ की जा रही है। कल दिल्ली छावनी में चार मशीनों के निरीक्षण के दौरान जो भी बटन दबाया गया, भाजपा के चुनाव चिह्न की बत्ती जल उठी।’ हालांकि केजरीवाल ने यह नहीं बताया कि इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों का निरीक्षण कहां किया गया। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि ईवीएम का निरीक्षण किया जाता है और उस समय मशीनों की रैंडम जांच के लिए जन प्रतिनिधियों को भी साथ रखा जाता है।यही नहीं इससे पहले अवाम नाम के संगठन ने आप पर आरोप लगाते हुए कहा कि आप के पास राजनीतिक चंदे के तौर पर निजी कंपनियों का पैसा है। इस आरोप पर पलटवार करते हुए आप ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में एक स्पेशल टास्क फोर्स बनाई जानी चाहिए, जो सभी दलों के राजनितिक चंदे के स्त्रोत का विश्लेषण करे। आप
यही नहीं चुनावों से पहले नेताओं पर हमले की खबरें भी आने लगी हैं। सात फरवरी को होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव से कुछ दिन पहले अज्ञात लोगों ने बीती रात रोहतासनगर से आप उम्मीदवार की कार पर उस समय कथित हमला कर दिया जब वह अपने घर जा रही थीं।
पुलिस के अनुसार आप की रोहतास नगर विधानसभा क्षेत्र की प्रत्याशी सरिता सिंह जिस वाहन में जा रही थीं, उस पर उत्तर-पूर्वी दिल्ली में लोगों के एक समूह ने कथित रूप से लाठियों और लोहे की छड़ों से हमला कर दिया। हालांकि सरिता सिंह को नुकसान नहीं पहुंचा है।
पुलिस ने बताया कि इस मामले में अभी प्राथमिकी दर्ज कराई जानी है, लेकिन मामले की जांच की जा रही है। जो भी हो दिल्ली की जनता को लुभाने के लिए न तो मनलुभावन वादों की कमी है और न ही कहीं कोई आरोप लगाने में पीछे है। ऐसे में देखना यह है कि जनता आखरकार किसे चुनती है।